पेरेंटिंग बिलकुल भी आसान नहीं है और खासकर तब जब आपके दो बच्चे हों और उनमें मुश्किल से एक-दो साल का अंतर हो। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह विशेष क्षण इसे सभी के लायक बनाता हैं, लेकिन कोई भी मां इस बात से इनकार नहीं करेगी कि यह सब कितना तनावपूर्ण हो सकता है। मीरा राजपूत कपूर, जो बॉलीवुड के दो सबसे प्यारे बच्चों की मां हैं। वे इसे महसूस करती हैं और अक्सर अपनी सोशल मीडिया उपस्थिति का उपयोग करते हुए कुछ पेरेंटिंग टिप्स शेयर करती हैं, जो सभी माताओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
मीरा के इंस्टाग्राम फीड से इतना स्पष्ट है कि मीशा (4 वर्ष), और ज़ैन (2 वर्ष), अपनी मम्मी को बहुत सारे खेलों और शरारतों में व्यस्त रखते हैं। किसी भी माता-पिता को पता है कि अपने बच्चों को स्वस्थ और खुश रखने में कितनी मेहनत लगती है। पेरेंटिंग एक रोलर-कोस्टर की यात्रा की तरह है और मीरा लगातार सोशल मीडिया पर अपने फॉलोअर्स के साथ यह साझा करती हैं, कि वह इस को कैसे मैनेज करती हैं।
उनकी पेरेंटिंग का स्टाइल, इस सब को सरल बनाए रखने के बारे में हैं क्योंकि वह अपने बच्चों को उनके आसपास की दुनिया के बारे में जागरूक करने का इरादा रखती हैं। यहां हम आपको मीरा की पेरेंटिंग के तीन तरीकों के बारे में बता रहे हैं जो सभी माता-पिता के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे:
एक मां इसे सबसे अच्छी तरह जानती है। चाहें गर्भावस्था हो या बच्चों की परवरिश की बात मीरा हमेशा अपने मन की सुनने की सिफारिश करती हैं। आपको उन सलाहों को आंख बंद करके फॉलो करने की बाजाए जो अक्सर माताओं को दी जाती हैं, वह करें जो आपको अपने बच्चों के लिए बेहतर लगता है।
उन्होंने कहा, “मैंने कोई किताब नहीं पढ़ीं। बस अपने आप की सुनी, अपने शरीर की सुनी। यह वह सबसे अच्छी सलाह है जो मुझे मिली है। मेरे परिवार, मेरी बहनें, मेरी मां सभी ने मुझे बहुत सी सलाह दीं। लेकिन मुझे जो सबसे अच्छी सलाह मिली, वह थी आंख बंद करके किसी भी बात का पालन न करना। मेरी बहनें खुद भी मां हैं और उन्होंने मुझे बहुत व्यावहारिक सलाह दी। मैं कुछ भी नहीं पढ़ती, क्योंकि मुझे जानकारी का अधिभार नहीं चाहिए और मैं तनाव में नहीं चाहती।”
आज बच्चे अपने आसपास बहुत सारी तकनीक के साथ पैदा होते हैं। वे समझते हैं कि इंटरनेट कैसे काम करता है और सोशल मीडिया क्या है इससे पहले कि वे उस दुनिया को समझें जिसमें वे रहते हैं। लेकिन, बच्चों के लिए प्रकृति के साथ संपर्क में रहना, वास्तविकता के साथ एक मजबूत स्पर्श होना, पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूक होना और एक वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करना महत्वपूर्ण है।
इसलिए, मीरा मीशा और ज़ैन के साथ नियमित रूप से समय बिताना सुनिश्चित करती हैं। वे प्रकृति का अनुभव करके दुनिया के बारे में अधिक समझती है। मम्मी को इस तथ्य में खुशी मिलती है कि उसके बच्चे पहले से ही कुछ सब्जियों और कीड़ों की पहचान कर सकते हैं!
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कस्टमाइज़ करेंमीरा इस तथ्य को लेकर बहुत स्पष्ट हैं, वह चाहती है कि उनके दोनों बच्चे आधुनिक दुनिया में बड़े हों, लेकिन वे जहां से आते हैं, उसके प्रति उनका एक मजबूत लगाव हो। वह मानती हैं कि ऐसा करने से उन्हें ऐसा व्यक्ति बनने में मदद मिलेगी, जिसकी पहचान परंपरा पर आधारित होने के साथ ही वह डाउन-टू-अर्थ हो। इसके लिए, वह सुनिश्चित करती है कि उनके बच्चे अपनी संस्कृति से अवगत हों, चाहे वह भोजन हो या दवा प्रणाली।
वे उन्हें आयुर्वेद के जादू के बारे में बताती हैं। उन्हें घर का बना खाना परोसती हैं और छोटी मीशा पहले से ही अपनी दादी नीलिमा से कथक के बारे में सीख रही हैं!
तो लेडीज, जब पेरेंटिंग की बात आती है, तो आप मीरा से कुछ सुझाव ले सकती हैं।
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