मसाले या स्पाइसेज़ का उपयोग ऑल्टर्नेटिव चिकित्सा के रूप में भारत में से प्रयोग होता आया है। हाल में इन मसालों पर वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन भी काफी बढ़ा है। दरअसल, ज्यादातर मसाले एंटी-प्रोलिफेरेटिव, एंटी-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिक, एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभावों वाले होते हैं। ये सभी गुण लाइफस्टाइल से उपजी बीमारियों जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग, अर्थराइटिस और कैंसर बीमारियों से बचाव करने में मदद करती हैं। शोध बताते हैं कि काली मिर्च एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। ये ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, टिश्यू क्षति और सूजन को कम कर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने (Black Pepper for High BP and Sugar) में मददगार हैं।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, काली मिर्च पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, ल्यूटिन, ज़ेक्सैन्थिन, विटामिन ई, विटामिन के और विटामिन ए से भरपूर होता है। यह विटामिन सी के अलावा, थायमिन, पाइरिडोक्सिन, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड, कॉपर का भी स्रोत है, जो शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर यह स्वाभाविक रूप से रक्तचाप को प्रबंधित करने और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, काली मिर्च प्रतिरक्षा को बढ़ाने में भी मदद करती है और गले की खराश को ठीक कर सकती है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ आयुर्वेद रिसर्च के अनुसार, काली मिर्च या ब्लैक पेपर तासीर में गर्म होती है। यह पचने में भी हल्का होता है। यह वात और कफ को संतुलित करता है। यह उन लोगों के लिए बढ़िया है, जिन्हें हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है। खाली पेट गर्म या गुनगुने पानी के साथ 1-2 कुटी हुई काली मिर्च ली जा सकती है।
करेंट कार्डियोलोजी रिव्यु जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, काली मिर्च को पाइपर नाइग्रम के नाम से भी जाना जाता है। काली मिर्च के यौगिक – पिपेरिन हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। काली मिर्च में पोटैशियम की मौजूदगी ब्लड को गाढ़ा होने से रोकती है। यह अत्यधिक सोडियम सेवन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है, जो ब्लडप्रेशर के प्रमुख कारणों में से एक है।
यह इंसुलिन संवेदनशीलता और शरीर के ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। इससे शुगर स्पाइक्स को रोकने की क्षमता में सुधार होता है। यह संतुलन पिपेरिन लाता है। 1-2 कुटी हुई काली मिर्च हाफ टी स्पून हल्दी के साथ इसका सेवन खाली पेट या रात के खाने से 1 घंटा पहले किया जा सकता है।
जब भोजन में काली मिर्च शामिल किया जाता है, तो यह ब्लडस्ट्रीम में अवशोषित पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ा देता है। काली मिर्च पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड को उत्तेजित करने में मदद करती है, ताकि खाये जाने वाले खाद्य पदार्थों को बेहतर ढंग से पचाया जा सके। इसे अवशोषित किया जा सके।
काली मिर्च का सेवन करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अधिक मात्रा में किया गया सेवन डायबेटिक्स के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। कुछ शोध बताते हैं कि पिपेरिन ब्लड शुगर लेवल को कम भी कर सकते हैं। काली मिर्च यदि डायबिटीज के दवाओं के साथ अधिक ली जाती है, तो दोनों मिलकर ब्लड शुगर लेवल को बहुत अधिक कम कर सकते हैं। इसलिए काली मिर्च के अधिक सेवन के साथ-साथ ब्लड शुगर लेवल की बारीकी से निगरानी जरूरी है।
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