14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के तौर पर मनाया जाता है। हिंदी न केवल राजभाषा है, बल्कि यह उत्तर भारत में एक बड़े क्षेत्र की मातृ भाषा भी है। आज भले ही रोजगार और संवाद के लिए हम कई तरह की भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं, पर वैज्ञानिक भी इस बात को मान रहे हैं कि जो आत्मविश्वास मातृभाषा में संवाद करने में महसूस होता है, वही किसी और भाषा में नहीं।
यह आपकी आत्मसम्मान के साथ ही आपके भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के शोधकर्ताओं ने भी इस बात का सत्यापित किया है कि जो बच्चे घर में अपनी मातृभाषा में बात करते हैं, वे बाहर किसी भी भाषा को आसानी से सीख पाते हैं। शोध में यह भी सामने आया कि दो या अधिक भाषाओं का इस्तेमाल करने वाले बच्चों का आईक्यू लेवल उन बच्चों से अधिक होता है जो सिर्फ एक ही भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
जन्म से हम जिस भाषा का प्रयोग करते है वह हमारी मातृ भाषा होती है। जिस भाषा को हमारे माता-पिता, हमारे पूर्वज बोल चाल की भाषा में प्रयोग करते है।
अपनी मातृ भाषा को जानना उतना ही आवश्यक है, जितना ताला खोलने के लिए चाभी का पता होना। आइए जाने क्यों जरूरी है मातृ भाषा में संवाद और व्यवहार करना।
जब आपके देश के बच्चे अपनी मातृ भाषा पर पकड़ बनाते है, तो आपका देश बौद्धिक विकास की ओर अग्रसर होता है। आज हम जिस तरह से अपनी संस्कृति, सभ्यता, और मातृ भाषा को भूलते जा रहे है यह हमारे लिए ही खतरे कि घड़ी बन सकती हैं। अगर आज भी आप अपने देश और देश की मातृ भाषा को आगे बढ़ाते है, तो आपकी शिक्षा व्यवस्था भी स्वयं ही विकसित होगी।
भाषा, संस्कृति और सभ्यता एक दूसरे के पूरक है। आज अगर आप अपनी मातृभाषा को अपनाते हैं, तो आप अपनी संस्कृति को भी अपनाते हैं। इस आधुनिक समय में अपनी संस्कृति और अपनी जड़ों की समझ होना सभी के लिए जरूरी है।
मातृभाषा में संवाद करते हुए आपके पास शब्दों का ही नहीं, अपने आसपास की चीजों का एक वृहत कोश तैयार होता रहता है। जब बच्चा बचपन से ही अपनी मातृ भाषा का ज्ञान लेता है, तो वो उस भाषा में दक्षता प्राप्त कर लेता है। उसके बाद वो अन्य भाषा पर अपना ध्यान केंद्रित करता है ऐसे बच्चे एक नहीं बल्कि कई मातृ भाषा सीखते है।
आज हर क्षेत्र में व्यावसाय बढ़ रहा चाहे वो गांव हो या शहर। आज लोगो का ध्यान मातृ भाषा की तरफ गया है ऐसे में मातृ भाषा के क्षेत्र में भी व्यवसाय बढ़ रहा है, आज स्कूलों में कॉलेज में अपनी मातृ भाषा पढ़ाने का प्रचलन चला है ऐसे शिक्षक की आवश्यकता है, अब कई रोजगार इसी प्रकार बढ़ते जा रहे है।
अपनी मातृ भाषा का ज्ञान होना स्वयं के लिए एक गर्व कि बात होती है। उच्च ज्ञान एवं उच्च आचरण का ज्ञान मातृ भाषा ही सिखाता है, आज हर बच्चे को इंग्लिश के अलावा अपनी मातृ भाषा का ज्ञान होना ही चाहिए।
तो महोदया, अगली बार जब आपका बच्चा अपने नाना-नानी या दादा-दादी से उनकी क्षेत्रीय भाषा में बात करे, तो उसे टोकिएगा नहीं, बल्कि उसके शब्द भंडार को और बढ़ाने में उसकी मदद कीजिएगा।