मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह जीवन में सामाजिक रूप से कई रिश्ते बनाता है, जो उसके जीवन को प्रभावित करते हैं। हम आजीवन कई रिश्तों में बंधते हैं जो हमारे विकास में योगदान देते हैं। हमारी गतिविधियों से सिर्फ हमारा जीवन ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि हमारे अपनों का जीवन भी प्रभावित होता है।
जीवन में जाहिर है कि हम कुछ गलतियां भी करेंगे, जिनका प्रभाव हमारे आसपास के लोगों पर भी पड़ेगा। जब हमारे किसी एक्शन का दुष्परिणाम होता है, तो हमें ग्लानि या पछतावा भी हो सकता है। इस तरह ही भावनाएं सामान्य हैं और हर मनुष्य के अंदर आती हैं। लेकिन कई बार हम इस भावना से निकल नहीं पाते और यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
ग्लानि एक नकारात्मक भाव है और यह मुख्यतः अतीत की किसी घटना से जुड़ा है। ग्लानि आपको अतीत में जीने पर मजबूर करती है, जो आपके वर्तमान और भविष्य दोनों को प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर, हो सकता है आपने किसी प्रेजेंटेशन पर मेहनत नहीं की और आप ऑफिस में एक बड़ी पदोन्नति से चूक गयीं।
इस बात का मलाल आपको रहेगा कि आपने तब मेहनत क्यों नहीं की। हालांकि इस स्थिति से सीख लेने की जरूरत है, लेकिन अतीत के बारे में सोचकर आप वर्तमान में भी पूरी मेहनत नहीं कर रही हैं। और इसका प्रभाव आपके भविष्य पर पड़ेगा।
पछतावा होने पर भी आप गुजरे हुए कल को बदल नहीं सकते। इसलिए उस भावना से बाहर निकलना ही बेहतर होता है।
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पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित 2007 की एक स्टडी के अनुसार ग्लानि की भावना से ग्रस्त व्यक्ति में अवसाद होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, नियमित ग्लानि महसूस करने से व्यक्ति दो दशक के भीतर ही डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गम्भीर मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है।
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि जिस स्थिति को लेकर परेशान है वह गुजर चुकी है और उसे बदला नहीं जा सकता। अतीत मे रहना आप से भविष्य को सुधारने का अवसर भी छीन लेता है। इसलिए जो बीत गया उसे जानें दें।
किसी भी बात को अपने अंदर रख कर आप नकारात्मकता को बढ़ाती हैं। इसे अपने सिस्टम से बाहर जाने दें। किसी दोस्त या साथी से अपने मन की बात कहें या उसे लिख लें। इससे आप इस विचार से मुक्त हो पाएंगी और उससे जुड़ी भावनाएं भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी।
आप से जो गलती हो गयी उसको सीख के तौर पर देखें। और सुनिश्चित करें कि आप भविष्य में ऐसी कोई गलती ना करें।
हम अक्सर कई कदम दूसरों के अनुसार लेते हैं, जो आजीवन एक रिग्रेट बन कर रह जाता है। अपने जीवन के निर्णय खुद लें, ताकि उसके परिणाम को आप साफ मन से अपना सकें। अगर दूसरों के कहे अनुसार चलेंगी तो जीवन भर ग्लानि में रहेंगी और जीवन का आनंद नहीं ले पाएंगी।
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कस्टमाइज़ करेंमेडिटेशन यानी ध्यान मानसिक स्वास्थ्य के लिये सबसे अच्छा है। यह आपके मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार करता है और नकारात्मक विचारों को बाहर करता है। ये आपको खुद को एक्सेप्ट करना भी सिखाता है जो सुखद जीवन के लिए आवश्यक है।