scorecardresearch

पछतावा है आपके मानसिक स्वास्थ्य का दुश्मन, जानिए जीवन में इससे बचने के 4 आसान उपाय

ग्लानि यानी रिग्रेट एक नकारात्मक भावना है और इसे मन में रखकर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहीं हैं।
Updated On: 12 Oct 2023, 05:52 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
उदास रहना हो सआपके मासिक धर्म के शुरुआती दिनों में मूड स्विंग प्रमुख रूप से होता है।चित्र- शटरस्टॉक।कता है मानसिक रोग का लक्षण। चित्र- शटरस्टॉक।
आपके मासिक धर्म के शुरुआती दिनों में मूड स्विंग प्रमुख रूप से होता है।चित्र- शटरस्टॉक।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह जीवन में सामाजिक रूप से कई रिश्ते बनाता है, जो उसके जीवन को प्रभावित करते हैं। हम आजीवन कई रिश्तों में बंधते हैं जो हमारे विकास में योगदान देते हैं। हमारी गतिविधियों से सिर्फ हमारा जीवन ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि हमारे अपनों का जीवन भी प्रभावित होता है।

जीवन में जाहिर है कि हम कुछ गलतियां भी करेंगे, जिनका प्रभाव हमारे आसपास के लोगों पर भी पड़ेगा। जब हमारे किसी एक्शन का दुष्परिणाम होता है, तो हमें ग्लानि या पछतावा भी हो सकता है। इस तरह ही भावनाएं सामान्य हैं और हर मनुष्य के अंदर आती हैं। लेकिन कई बार हम इस भावना से निकल नहीं पाते और यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

क्यों खतरनाक है ग्लानि होना

ग्लानि एक नकारात्मक भाव है और यह मुख्यतः अतीत की किसी घटना से जुड़ा है। ग्लानि आपको अतीत में जीने पर मजबूर करती है, जो आपके वर्तमान और भविष्य दोनों को प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर, हो सकता है आपने किसी प्रेजेंटेशन पर मेहनत नहीं की और आप ऑफिस में एक बड़ी पदोन्नति से चूक गयीं।

चाहें जैसे भी हों हालात आपको कभी नहीं महसूस होना चाहिए गिल्‍ट। चित्र- शटरस्टॉक।

इस बात का मलाल आपको रहेगा कि आपने तब मेहनत क्यों नहीं की। हालांकि इस स्थिति से सीख लेने की जरूरत है, लेकिन अतीत के बारे में सोचकर आप वर्तमान में भी पूरी मेहनत नहीं कर रही हैं। और इसका प्रभाव आपके भविष्य पर पड़ेगा।

पछतावा होने पर भी आप गुजरे हुए कल को बदल नहीं सकते। इसलिए उस भावना से बाहर निकलना ही बेहतर होता है।

ये भी पढ़ें- 2021 में ये 21 आदतें बदल देंगी आपका जीवन, हम बता रहे हैं आपके तन और मन को इनसे होने वाले लाभ
पबमेड सेंट्रल में प्रकाशित 2007 की एक स्टडी के अनुसार ग्लानि की भावना से ग्रस्त व्यक्ति में अवसाद होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, नियमित ग्लानि महसूस करने से व्यक्ति दो दशक के भीतर ही डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गम्भीर मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है।

ग्लानि से बाहर निकलने के लिए क्या करें-

सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि जिस स्थिति को लेकर परेशान है वह गुजर चुकी है और उसे बदला नहीं जा सकता। अतीत मे रहना आप से भविष्य को सुधारने का अवसर भी छीन लेता है। इसलिए जो बीत गया उसे जानें दें।

Pollपोल
स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

1 जो विचार आपको परेशान कर रहे हैं उन्हें बाहर निकालें

किसी भी बात को अपने अंदर रख कर आप नकारात्मकता को बढ़ाती हैं। इसे अपने सिस्टम से बाहर जाने दें। किसी दोस्त या साथी से अपने मन की बात कहें या उसे लिख लें। इससे आप इस विचार से मुक्त हो पाएंगी और उससे जुड़ी भावनाएं भी धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी।

2 अतीत से सीख लें और भविष्य को बेहतर बनाएं

आप से जो गलती हो गयी उसको सीख के तौर पर देखें। और सुनिश्चित करें कि आप भविष्य में ऐसी कोई गलती ना करें।

पछतावा आपको आगे बढ़ने से रोकता है। चित्र- शटरस्टॉक।

3 दूसरों के अनुसार नहीं, अपनी खुशी के लिए जियें

हम अक्सर कई कदम दूसरों के अनुसार लेते हैं, जो आजीवन एक रिग्रेट बन कर रह जाता है। अपने जीवन के निर्णय खुद लें, ताकि उसके परिणाम को आप साफ मन से अपना सकें। अगर दूसरों के कहे अनुसार चलेंगी तो जीवन भर ग्लानि में रहेंगी और जीवन का आनंद नहीं ले पाएंगी।

4 मेडिटेशन जैसी अच्छी आदतों को अपनाएं

मेडिटेशन यानी ध्यान मानसिक स्वास्थ्य के लिये सबसे अच्छा है। यह आपके मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार करता है और नकारात्मक विचारों को बाहर करता है। ये आपको खुद को एक्सेप्ट करना भी सिखाता है जो सुखद जीवन के लिए आवश्यक है।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
संबंधित विषय:
लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

अगला लेख