हर साल सात लाख से अधिक लोग आत्महत्या कर असमय अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, हर आत्महत्या के लिए 20 से अधिक आत्महत्या (Suicide) के प्रयास होते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान बिगड़े हुए हालात में यह स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। यह आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं! इसलिए जरूरी है कि आप इसके संकेतों (Suicidal symptoms) को पहचान कर अपने अपनों के प्रति उम्मीद हाथ बढ़ाएं। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) उन संकल्पों और उम्मीद (Hope) को फिर से जिलाए रखने का दिन है।
पहली बार, 10 सितंबर, 2003 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मिलकर इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) नें इस दिवस की स्थापना की थी। तब से प्रत्येक वर्ष, IASP 60 से अधिक देशों में आत्महत्या को रोकने के लिए सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित करता है।
हर वर्ष वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की थीम अलग होती है और इस बार इसकी थीम “Creating Hope Through Action” रखी गयी है। यह थीम आत्महत्या को रोकने की दिशा में एक सामुहिक पहल का वादा करती है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को हर कीमत पर सुसाइड करने, और इसके बारे में सोचने से रोकना है।
महामारी ने बहुत से लोगों को कई कारणों से सुसाइड जैसे बड़े कदम उठाने के लिए मजबूर किया है और इसके प्रति अतिसंवेदनशील बना दिया है। नौकरी छूटना, कोरोनोवायरस की वजह से अपनों को खोना, अकेलापन जैसी कई समस्याएं हैं, जिनकी वजह से लोग आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगते हैं।
शारीरिक और विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद या एंग्जायटी सबसे आम कारक हैं। इसके अलावा, वित्तीय समस्याओं से लेकर दुर्व्यवहार, आक्रामकता, शारीरिक और मानसिक शोषण के अनुभव, जो दर्द की भावनाओं में योगदान कर सकते हैं।
आमतौर पर, शराब या ड्रग्स भी आत्महत्या के प्रयास में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयासों का प्रभाव न सिर्फ पीड़ित पर पड़ता है, बल्कि उनके परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों और समाज पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
सुसाइड को रोकने का सबसे अच्छा तरीका चेतावनी के संकेतों को पहचानना और इस तरह के संकट का जवाब देना है।
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