आत्महत्या दुनिया भर में युवा वयस्कों में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2015 के आंकड़े बताते हैं कि मालदीव में आत्महत्या की दर 0.7 / 100,000 से बेलारूस में 63.3 / 100,000 थी और 10.6 / 100,000 की आत्महत्या की दर के साथ भारत आत्महत्या की दरों के घटते क्रम में 43 वें स्थान पर था।
पर उसके बाद युवाओं में आत्महत्या की दर बहुत बढ़ गई। युवा अब विकसित और विकासशील देशों के एक तिहाई में सबसे अधिक जोखिम वाले समूह हैं। इंटरनेट के युग में “साइबर-आत्महत्या” की उभरती घटनाएं चिंता का एक और कारण हैं। इसलिए भी कि आत्महत्या के नए तरीकों का उपयोग आत्महत्या दर में वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ है। आत्महत्या एक निजी और व्यक्तिगत कृत्य है।
भारत और चीन में वैश्विक स्तर पर 800,000 वार्षिक आत्महत्या से होने वाली मौतों का 40 प्रतिशत या उससे अधिक हैं। भारत में आत्महत्या के आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो में उपलब्ध हैं।
सबसे हालिया रिपोर्ट में 2010 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 11.4 हो गई। यह आत्महत्याओं की संख्या में 5.9% की वृद्धि है।
वैश्विक आत्महत्या दर में पुरुषों की संख्या 18 / 100,000 व स्त्रियों की संख्या 14 / 100,000 11 / 100,000 होने का अनुमान है। पुरुष दर 14 प्रति 100,000 के आसपास थी। जबकि महिला दर 13 वर्षों में 9 से 7 प्रति 100,000 तक घट गई। एन सी आर बी ने 2015 में भारत में आत्महत्या करने वालों की कुल संख्या 133,623 बताई है। यह 10.6 प्रति 100,000 है।
आत्महत्या अनुसंधान के निष्कर्षों में यह बात भी सामने आई है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक आत्महत्या का प्रयास करती हैं, लेकिन महिलाओं की तुलना में पुरुषों के मरने की संभावना अधिक होती है।
आत्महत्या का ठोस कारण अज्ञात है, कुछ आम कारण जो सामने आते हैं:
मनोरोग संबंधी बीमारी – विशेष रूप से, मूड विकार (जैसे, अवसाद, बाई पोलर विकार , सिज़ोफ्रेनिया), मादक द्रव्यों का सेवन, आत्महत्या का पारिवारिक इतिहास, किसी प्रियजन की मृत्यु, प्रेम सम्बन्धों में ब्रेक अप, बेरोजगारी असहनीय भावनात्मक या शारीरिक दर्द।
नैदानिक अवसाद के संकेत – दोस्तों और परिवार से दूर हटना, उदासी और निराशा, दैनिक गतिविधियों में अरुचि, आसपास के हालात घटनाओं से बेखबरी
शारीरिक परिवर्तन – ऊर्जा की कमी, नींद में बदलाव, वजन या भूख में बदलाव, आत्म-सम्मान की कमी, कभी पहले आत्महत्या के प्रयास की हिस्ट्री,
मौखिक संकेत – हर बार मृत्यु के बारे में बात करना, जैसे – मैं मर जाता तो अच्छा होता होता या काश मैं पैदा ही नहीं होता।
एक्शन संबंधी संकेत – अपनी जान लेने के साधन जुटाना, जैसे – बंदूक या नींद की गोलियां खरीदना, शराब या ड्रग्स का बढ़ता उपयोग।
मानसिक परिवर्तन – मूड स्विंग होना, जैसे- एक दिन भावनात्मक रूप से बहुत हाई होना और अगले ही दिन डीप सेडनेस। लापरवाही से ड्राइविंग करना
कुछ और भी हैं संकेत
शारीरिक या यौन शोषण सहित मानसिक विकारों, समलैंगिक, उभयलिंगी स्थिति को छुपाना।
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कस्टमाइज़ करेंबचाव का सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है परिवार से जुड़े रहना, जो अधिकतर मामलों में हमें ऐसे प्रयास से बचाता है। अमूमन किसी के भी गहरी निराशा या अवसाद में जाने के मुख्य कारण होते हैं – कैरियर में हताशा , आर्थिक हालात में गड़बड़ी या नुकसान, प्रेम सम्बन्ध में अनबन और सबसे बड़ी वजह आइसोलेशन।
दरअसल व्यक्ति की मानसिक, वैचारिक और आंतरिक ऊर्जा का केन्द्र उसका घर-परिवार होता है। माता-पिता उस ऊर्जा के मुख्य स्रोत होते हैं। भीषण संकट या समस्या के वक्त वे ही चट्टान बन कर साथ खड़े होते हैं। मनोबल टूटने नहीं देते। आपकी कमियों-गलतियों की आलोचना करते हैं। उन गलतियों सहित हमें स्वीकार लेते हैं। आत्मसात कर लेते हैं, त्यागते नहीं हैं।
उस तरह से प्रेमिका या अन्य कोई दूसरा व्यक्ति कर ही नहीं सकता। जबकि दोस्त आपकी बुराईयों को उस तरह से डील नहीं कर पाते। वे पेरेंट्स की तरह सख्त, अनुशासित और धैर्यवान भी नहीं हो पाते। उम्र का भी एक असर होता है। कुछ चीजें व्यक्ति अनुभव के साथ सीखता है।
दौलत और शोहरत का नशा अक्सर सिर पर चढ़ कर बोलता है, उस नशे को उतारना सिर्फ माता-पिता को आता है।
911 या अपने स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करें।
आपातकालीन कक्ष में, आपको किसी भी चोट यथा फायर आर्म इंजरी, जहर लेना नस काटने का इलाज किया जाएगा।
मनोचिकित्सा में, जिसे मनोवैज्ञानिक परामर्श काउंसिलिंग या टॉक थेरेपी भी कहा जाता है, अवसाद हेतु दवाएं, नशीली दवाओं या शराब की लत का उपचार किया जाता है।
परिवार का समर्थन और शिक्षा – आपके प्रियजन समर्थन और संघर्ष दोनों का स्रोत हो सकते हैं।