World Schizophrenia Day : लाइलाज नहीं है सिज़ोफ्रेनिया, जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय

मानसिक बीमारी का चरम रूप है सिज़ोफ्रेनिया। इसमें व्यक्ति समाज और वास्तविकता से कटकर कल्पना की दुनिया में जीने लगता है। शुरुआती चरण में इसका इलाज संभव है।
सिज़ोफ्रेनिया में व्यक्ति रियलिटी को स्वीकार नहीं करता है, बल्कि वह कल्पना जगत में रहना लगता है। यह एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसका इलाज संभव है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Updated On: 23 Oct 2023, 09:26 am IST
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कई फिल्मों और टीवी सीरियल में आपने किसी ख़ास किरदार को अजीबोगरीब व्यवहार करते हुए देखा होगा। उन्हें चीखते-चिल्लाते और भ्रम में जीते देखा होगा। दरअसल, वह किरदार फिल्म में सिज़ोफ्रेनिक की एक्टिंग कर रहा होता है। दरअसल, सिज़ोफ्रेनिया मनोविकृति का चरम रूप (psychotic disorder) है। यह एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति हो सकती है। कई बार जानकारी के अभाव में हम पहचान ही नहीं पाते हैं कि सामने वाले व्यक्ति को सिज़ोफ्रेनिया है। आम लोगों को इसकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ही वर्ल्ड सिज़ोफ्रेनिया डे (World Schizophrenia Day -24 May) मनाया जाता है। सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण और उपचार को जानने के लिए हमने बात की मनस्थली फाउंडर और सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति कपूर से।

विश्व सिज़ोफ्रेनिया जागरूकता दिवस या वर्ल्ड सिज़ोफ्रेनिया डे (World Schizophrenia Day -24 May)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (World Health Organization) के अनुसार, दुनिया भर में 2 करोड़ से अधिक लोग सिज़ोफ्रेनिया से प्रभावित हैं। इस मानसिक बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ही यह दिवस मनाया जाता है। पहले सिज़ोफ्रेनिया को डिमेंशिया प्रैकॉक्स यानी डिमेंशिया का शुरुआती दौर।

विकार से पीड़ित लोगों की मदद करना है इस दिवस की थीम 

सबसे पहले वर्ष 1887 में डॉ. एमिल क्रैपेलिन ने सिज़ोफ्रेनिया शब्द का इस्तेमाल किया था। वर्ल्ड सिज़ोफ्रेनिया डे 2023 की थीम है, ‘सामूहिक रूप से रोगी की मदद करने की शक्ति का सेलेब्रेशन (Celebrating the Power of Community Kindness)। विश्व सिज़ोफ्रेनिया दिवस आम लोगों और सिज़ोफ्रेनिया के पीड़ितों में जागरूकता (World Schizophrenia Awareness Day) फैलाने और विकार से पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किये जाने वाले कार्य को प्रोत्साहित करना है।

क्या है  यह रोग (Schizophrenia)

डॉ. ज्योति कपूर कहती हैं, ‘सिज़ोफ्रेनिया स्थिति और विकारों के एक स्पेक्ट्रम को संदर्भित करता है, जिसमें मतिभ्रम (hallucinations) और भ्रम (delusions) शामिल हैं। सिज़ोफ्रेनिया में व्यक्ति रियलिटी को स्वीकार नहीं करता है, बल्कि वह कल्पना जगत में रहना लगता है। यह एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसका इलाज संभव है।”

ज्यादा चिंताजनक नहीं है भारत की स्तिथि 

भारत में सिज़ोफ्रेनिया का प्रसार 1000 में लगभग 3 व्यक्ति का है। यह पुरुषों में अधिक आम है। महिलाओं की तुलना में औसतन पुरुषों में सिज़ोफ्रेनिया अधिक होते हैं ।

साधारण से गंभीर हो सकते हैं लक्षण (Schizophrenia Symptoms)

डॉ. ज्योति कपूर के अनुसार, प्राथमिक चरण में सिज़ोफ्रेनिया के जो लक्षण दिखते हैं, वे उतने गंभीर नहीं होते हैं। विश्वास, प्रेरणा की कमी, आनंद की भावनाओं में कमी, सीमित बोलना और भावनात्मक अभिव्यक्ति में कमी सबसे अधिक दिखाई देता है। यदि शुरुआती दौर में इलाज किया जाए, तो व्यक्ति ठीक हो सकता है।

मिडल चरण में सिज़ोफ्रेनिया होने पर व्यक्ति समाज से कट जाता है। उसमें एंग्जायटी, किसी काम को लेकर उत्साह और प्रेरणा की कमी और व्यक्तिगत स्वच्छता की उपेक्षा भी शामिल हो सकती है।

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अंतिम चरण के लक्षण बहुत अधिक प्रभावी

सिज़ोफ्रेनिया के अंतिम चरण में व्यक्ति में लक्षण बहुत अधिक प्रभावी ढंग से दिखने लगते हैं। इसके लिए साइकोटिक ब्रेक (Psychotic Break) शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसमें व्यक्ति वास्तविकता से पूरी तरह विमुख हो जाता है। वह हेलुसिनेशन वर्ल्ड में जीने लगता है सिज़ोफ्रेनिया और स्थितियों से संबंधित स्पेक्ट्रम का कारण स्पष्ट नहीं हो सकता है। कई कारक और परिस्थितियां जोखिम को बढ़ाती हैं।

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सिज़ोफ्रेनिया के अंतिम चरण में  लक्षण बहुत अधिक प्रभावी ढंग से दिखने लगते हैं। इसलिए इलाज कठिन हो सकता है। चित्र शटरस्टॉक

विशेषज्ञों के अनुसार कारण ये हो सकते हैं (Schizophrenia Causes)

मस्तिष्क द्वारा कोशिका से कोशिका संचार के लिए उपयोग किए जाने वाले रासायनिक संकेतों में असंतुलन
जन्म से पहले मस्तिष्क के विकास की समस्याएं
मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों के बीच संपर्क का टूटना

प्राथमिक चरण में संभव है इलाज (Schizophrenia Treatment)

सिज़ोफ्रेनिया को ट्रीटमेंट से पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। कुछ मामलों में लोग सिज़ोफ्रेनिया से पूरी तरह से ठीक भी हो सकते हैं। सिज़ोफ्रेनिया के इलाज में आमतौर पर दवा, चिकित्सा और सेल्फ मैनेजमेंट तकनीकों की मदद ली जाती है। सिज़ोफ्रेनिया के प्रबंधन के लिए आमतौर पर दवा की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक निदान और उपचार महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये बेहतर परिणाम की संभावना को बढ़ाते हैं

एंटीसाइकोटिक्स दवाओं का प्रयोग (Schizophrenia medicine) 

इसमें विशिष्ट मनोविकार नाशक (Typical antipsychotics) दवाओं को प्रयोग में लाया जाता है। इसे फर्स्ट जेनरेशन एंटीसाइकोटिक्स के रूप में भी जाना जाता है। ये दवाएं मस्तिष्क के डोपामाइन के उपयोग के तरीकों को ब्लॉक करती हैं। यह एक केमिकल है, जिसे हमारा मस्तिष्क सेल-टू-सेल संचार के लिए उपयोग करता है।

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दवाएं मस्तिष्क के डोपामाइन के उपयोग के तरीकों को ब्लॉक करती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

एटिपिकल एंटीसाइकोटिक्स दवाओं का भी प्रयोग किया जाता है। ये दवाएं सेकंड जेनरेशन एंटीसाइकोटिक्स कहलाती हैं। ये पहली पीढ़ी के एंटीसाइकोटिक्स से अलग तरीके से काम करती हैं। ये मस्तिष्क में दो प्रमुख संचार रसायनों डोपामाइन और सेरोटोनिन दोनों को अवरुद्ध करते हैं

मनोचिकित्सा (Psychotherapy)

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive behavioral therapy) जैसी मनोचिकित्सा विधियां सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों को उनकी स्थिति से निपटने और प्रबंधित करने में मदद कर सकती हैं। लंबे समय तक ट्रीटमेंट चलने पर सिज़ोफ्रेनिया के साथ-साथ अन्य समस्याओं जैसे कि एंग्जायटी, डिप्रेशन को कम करने में मदद कर सकती है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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