World Mental Health Day : अकेले होने से बेहतर है सबके साथ होना, जानिए मेंटल हेल्थ के लिए 5 मंत्र
यह सच है कि अकेले होने पर कई अच्छे आइडियाज आते हैं। शांति और सुकून मिलता है। अपने लक्ष्य को पाने की इच्छाशक्ति मजबूत होती है। पर दिमाग को मजबूती देने के लिए परिवार और समाज का साथ मिलना जरूरी है। भारत में काफी पुराने समय से यह माना जाता रहा है कि परिवार और समाज का साथ मिलने पर दिमाग नकारात्मक भावों से दूर रहता है। जबकि अकेलापन आपको मानसिक रूप से बीमार बना सकता है। हर वर्ष नकारात्मक विचारों को दिमाग से बाहर करने के प्रति जागरुकता फ़ैलाने और मेंटल हेल्थ इम्प्रूव करने के लिए पूरी दुनिया में 10 अक्टूबर को एक खास दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World mental health day) का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा मुखर होकर बातचीत करना और समस्याओं को दूर करना है।
अपनों का साथ हर व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है। इससे मेंटल हेल्थ इम्प्रूव होती है। कई रिसर्च भी इस बात पर सहमति जताते हैं। पर महानगरों में तो न्यूक्लियर फैमिली का चलन है। भागदौड़ वाली जिंदगी में लोगों के पास इतनी फुर्सत भी नहीं है कि वे एक-दूसरे के लिए समय निकाल सकें। फिर कैसे कर सकते हैं, वे अपनी मेंटल हेल्थ इम्प्रूव। आइये इस पर विस्तार से बात करते हैं।
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (10 October, World Mental Health Day)
दुनिया भर में अकेलापन, तनाव और आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। आत्महत्या के मामलों और दूसरी मानसिक समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे या विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य लोगों में मेंटल हेल्थ इशू के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मानसिक रूप से स्वस्थ करने का प्रयास करना भी है।
जानिए आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बना सकते हैं
मेंटल हेल्थ इम्प्रूव करने के लिए सबसे जरूरी है सकारात्मक महसूस करना और हर परिस्थिति में खुश रहना। इनके अलावा और भी कई उपाय हैं, जिनसे मेंटल हेल्थ इम्प्रूव हो सकता है।
1 लोगों के साथ अधिक से अधिक जुड़ने की कोशिश (Mix with Society or be Social)
अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकाएट्री के अनुसार, मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में इसलिए बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि लोग आपस में मिलते-जुलते नहीं हैं। घर-ऑफिस के काम से जब भी फुर्सत मिले, सगे-संबंधियों, परिचितों से मिलने की कोशिश करें। छुट्टी के दिनों में बैकलॉग निपटाने की बजाय लोगों से मिलें। लोगों से मिलने पर आपकी कई समस्याओं का निदान बातचीत से हो जाएगा। लोगों से बातचीत करते समय टीवी- मोबाइल ऑफ रखें। दूर रह रहे लोगों से बात करने के लिए व्हाटसएप या दूसरे एप की मदद ले सकती हैं।
2 सक्रियता बनाये रखें (Be Active)
आपने देखा होगा कि जब आप काम में बहुत अधिक मसरूफ रहती हैं, तो आपको किसी प्रकार का शारीरिक दर्द नहीं सताता है। सक्रिय रहने से न सिर्फ फिजिकल हेल्थ ही नहीं, बल्कि मेंटल हेल्थ भी इम्प्रूव होती है। स्टडी बताती है कि जो लोग जीवनपर्यंत सक्रिय बने रहे, उन्हें अल्जाइमर, डिमेंशिया होने का जोखिम कम रहा। तैराकी, साइकिलिंग, डांसिंग जैसी मजेदार एक्टिविटी भी आप अपना सकती हैं।
3 रुचि के नये काम और स्किल सीखें (Learn New Skill or Work of your choice)
व्यस्तता की वजह से अपनी पसंद का जो काम नहीं सीख पाई, उसे सीखने के लिए जरूर वक्त निकालें। स्टेन्फोर्ड यूनिवर्सिटी की स्टडी बताती है कि नई स्किल और नए काम सीखने से मेंटल हेल्थ इम्प्रूव होती है।
कई वीडियो उपलब्ध हैं, जिनसे सीखकर अपने टूटे सामन की मरम्मत करना भी सीख सकती हैं। यह प्रक्रिया ब्रेन हेल्थ के लिए मददगार है।
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समाज की मदद करें (Help Others)
भारत में यह परंपरा पुरानी है कि उम्र बढ़ने पर लोग दान-परोपकार से अधिक जुड़ने लगते हैं। इसके पीछे की फिलोसॉफी यही रही होगी कि लोगों की मदद करने से दिमाग मजबूत होता है।
पबमेड सेंट्रल की स्टडी रिपोर्ट बताती है कि सामजिक भलाई से जुड़े लोगों की मेंटल हेल्थ इम्प्रूव होती है। जरूरत पड़ने पर मदद करने से न सिर्फ दूसरों का भला होता है, बल्कि आपका दिमाग भी अच्छा महसूस करता है।
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जियें वर्तमान में (Live in Present)
कल की चिंता करने की बजाय आज के समय का मजा लें। कल क्या होगा, इस पर बहुत अधिक सोच-विचार नहीं करना चाहिए।
इससे भी आपका मेंटल हेल्थ प्रभावित होता है। कहने का अर्थ है कि जीवन के प्रति जागरूक होकर जियें। इसे माइंडफुलनेस (Mindfulness) भी कहा जा सकता है।