“ मुझे यह भी पता नहीं कि मैं इतना थक क्यों गयी हूं। मैं बस दिन के दौरान अपनी टीम और ग्राहकों के साथ कुछ ऑनलाइन बैठकों में शामिल हुई। लेकिन मैं अपने आप को पूरी तरह से ड्राय फील कर रहीं हूं। घर पर हर किसी पर गुस्सा और एंग्जायटी … यह बहुत अजीब है।” कीया* ने अपनी वर्चुअल सेशन में यह सब कहा।
और वह अकेली नहीं है। पिछले कुछ महीने से हमारा जीवन पूरी तरह बदल गया है। हम अब भी इस नए रूटीन के साथ एडजस्ट नहीं हो पाए हैं। हम अभी भी इस “नए सामान्य” के साथ जूझ रहे हैं। हालांकि यह सब बहुत अजीब लग सकता है, जैसा कि कीया को लगा।
घर से काम करने और मानव संपर्क बनाए रखने के लिए हम में से ज्यादातर टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। दिन भर लैपटॉप और इंटरनेट पर रहने और वर्चुअल मीटिंग्स के कारण डिजिटल बर्नआउट बढ़ता जा रहा है। शायद आपको अंदाजा नहीं, लेकिन ये वर्चुअल मीटिंग्स भी आपके ब्रेन को बहुत लोड दे रहीं हैं।
मानवीय संचार का सार मौखिक और गैर-मौखिक संकेतों के माध्यम से होता है। हमारे सामने जो भी व्यक्त किया जाता है, हमारा मस्तिष्क उसी के हिसाब से एक चित्र बनाता है। और प्रतिक्रिया देता है। जबकि डिजिटल कम्यूनिकेशन उन नॉन वर्बल संकेतों को ग्रहण नहीं कर पाता। जिससे काफी समस्या होने लगती है।
हालांकि, एक वीडियो कॉल पर हो रही वर्चुअल मीटिंग्स इस डीप रुटेड क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसमें मौखिक संकेतों पर ही अधिक और निरंतर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। हमारे पीछे के बेहतर अस्थायी सुल्कस और अमिगडाला, जो ‘सामाजिक मस्तिष्क’ तंत्रिका नेटवर्क का हिस्सा हैं और इन संकेतों की व्याख्या के लिए जिम्मेदार हैं, ओवरड्राइव पर चले जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, स्क्रीन पर कई लोग होने, सभी के एक ही समय पर बात करने पर हमें ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पड़ती है। जिसके चलते हम लगातार चौकस रहते हैं और मीटिंग के बाद खुद को बहुत ड्राय महसूस करते हैं।
इससे हमारी परेशानी और थकावट में इजाफा होता है, जैसा किया को हुआ। हम ऐसा लगता है कि हम बैठे ही तो हैं, पर इससे बहुत ज्यादा थकावट होती है। जबकि यह हमारे ब्रेन के लिए सामान्य से ज्यादा लोड हो जाता है।
लैपटॉप पर लंबे समय तक घंटों काम करने से थकान में वृद्धि होती है। किसी भी कार्य पर पूर्ण ध्यान बनाए रखने की हमारी कम क्षमता हमारे संज्ञानात्मक कौशल पर असर डालती है। जो पहले से ही तनावपूर्ण हालत में हैं। वाई-फाई में उतार-चढ़ाव और लगातार अलग-अलग लोगों से संपर्क की जरूरत हमें और भी थका देती है।
तो आप वर्चुअल बर्नआउट से कैसे बच सकती हैं?
सभी मीटिंग्स में भाग लेना जरूरी नहीं है। आप केवल उनका चयन करें जिनमें आपका शामिल होना जरूरी है। निरंतर बैठकों को शेड्यूल करने से बचें, भले ही आपके लिए इसे एक बार में कर पाना आसान हो। अगर हम व्यक्तिगत बैठकों के दौरान ऐसा नहीं करते, तो वर्चुअल मीटिंग में ऐसा क्यों कर रहे हैं ? हमारे दिमाग को अभी भी बीच में एक ब्रेक की आवश्यकता है।
यदि आप एक्जर्ट फील कर रहीं हैं तो मीटिंग के दौरान अपना वीडियो बंद रखें और बस ऑडियो चलाएं। यह आपको स्क्रीन पर घूरते रहने की स्थिति से बचाएगा। और आपके मस्तिष्क की जानकारी के स्रोत को पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता पर लोड को कम करने में मदद करेगा।
यदि आपकी एक दिन में कई बैठकें हैं, तो कोशिश करें और सुनिश्चित करें कि उनके बीच में ब्रेक लेती रहें। बीच में मूवमेंट करती रहें, यह आपको थकावट और तनाव से बचाती है। यह आपके मूड को बदलने में भी मदद करता है। भले ही आप बेडरूम से उठकर लिविंग रूम में जाएं पर एक्टिव रहें।
हम में से कितने सही मायने में कह सकते हैं कि हम अपने वर्किंग डेज में ऐसा कर सकते हैं! कई लोगों के लिए यह करना आसान है, पर कुछ परेशान हो जाते हैं। पर अपने वर्क और पर्सनल लाइफ के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। इसलिए वर्किंग आवर खत्म होने के बाद आप आराम से ऐसा कर सकती हैं।
उदाहरण के लिए, आप अपने साथियों या क्लाइंट्स को यह बता सकती हैं कि किसी खास निर्धारित समय के बाद आप किसी भी मेल या मैसेज का जवाब अगले दिन ही दे पाएंगी। बर्नआउट से बचने के लिए यह करना जरूरी है।
यह एक असामान्य समय है और हमें याद रखना होगा कि हम घर से काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक महामारी के कारण काम को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। काम और घर के बीच संतुलन बनाकर आप शारीरिक और मानसिक रूप से सेहतमंद रह सकती हैं।
*गोपनीयता की रक्षा के लिए नाम बदल दिए गए हैं