हम में से किसी ने भी लॉकडाउन की शुरुआत में नहीं सोचा होगा कि हमारा वर्क फ्रॉम होम इतना लंबा चलेगा। हालांकि हमने पिछले कुछ महीनों में इस नई जीवनशैली को अपना लिया है और खुद को इसके अनुसार ढाल लिया है। जूम जैसे एप्स इस्तेमाल करना सीखने से लेकर घर के पैजामों में ऑफिस का काम करना- यह कहा जा सकता है कि पिछले कुछ महीनों में हमारा जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो चुका है।
हालांकि वर्क फ्रॉम होम हमारी आदत बन गया है और इस समय हमारे लिए सुरक्षित भी है। लेकिन इसके कारण हमारे व्यक्तिगत जीवन और काम काज में बहुत महीन रेखा बची है। उसके साथ ही भविष्य को लेकर कोई आश्वस्ति नहीं है। यही कारण है हमें बर्न आउट की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ समय में हमने देखा कि लोग आगे बढ़कर लॉकडाउन के दुष्प्रभावों पर बात कर रहे हैं, खासकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए।
साधारण शब्दों में कहें तो बर्न आउट लम्बे समय तक होने वाले तनाव के कारण ही होता है। बर्न आउट में आपको यह महसूस हो जाता है कि आप बुरी तरह थक चुके हैं और काम में आप अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं।
दिन भर थका हुआ महसूस करना, भावनात्मक रूप से खाली महसूस करना, ऊर्जा की कमी, हताश और निराश महसूस करना, जीवन में प्रेरणा की कमी और कोई काम करने की इच्छा न होना बर्न आउट के संकेत हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस महामारी के कारण हम सभी तनाव को काफी लंबे समय से झेल रहे हैं, लेकिन खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए हमें कुछ कदम उठाने होंगे।
कोरोना वायरस से पहले, वर्क फ्रॉम होम का अर्थ होता था कम तनाव भरा दिन या आधी छुट्टी। अब जब हम लगभग छह महीने से घर से ही काम कर रहे हैं, तो यह कहा जा सकता है कि इसमें भी तनाव कहीं से कम नहीं है।
अधिकांश लोग शाम से रात तक भी काम कर रहे हैं, तो वहीं बहुत से लोग कम सैलरी पर काम कर रहे हैं, जहां नौकरी खोने का भी डर है। पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन के बीच कोई फर्क रह नहीं गया है, जिसके कारण हम अक्सर जरूरत से अधिक काम कर रहे हैं और कोई ब्रेक नहीं मिल रहा है।
इसलिए यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि हम तनाव में हैं और बर्न आउट झेल रहे हैं।
ऐसी स्थिति में जरूरी है कि हम सकारात्मक रहें और इसको सामान्य बर्ताव के रूप में ही देखें। इस तरह का बर्न आउट होना नॉर्मल है। यह समझने से हम इससे बेहतर तरीके से डील कर पाएंगे।
दिन भर में छोटे छोटे ब्रेक लेते रहना जरूरी है ताकी आप खुद को रिफ्रेश कर सकें। अपने लिए एक कप ग्रीन टी बनाएं, अपनी पसन्द के गाने सुनें, थोड़ी देर योग करें या एक पॉवर नैप ले लें। यही नहीं अधिक ऊब लगे तो किसी कलीग को फोन करके बात करें। यह छोटे ब्रेक आपके दिमाग को फ्रेश करेंगे और आपको ज्यादा प्रोडक्टिव बनाएंगे।
कोरोनावायरस महामारी के कारण हमारे जीवन में कोई रूटीन नहीं रह गया है। हमारी नींद के समय से लेकर खाने तक, जीवन में कोई रूटीन नहीं है। इससे हमारा जीवन और अधिक अस्थिर हो गया है। एक रूटीन होने पर आप जीवन को स्थिर कर सकती हैं, जिससे आप अधिक प्रोडक्टिव महसूस करेंगी। खाने का समय तय करें, सुबह एक्सरसाइज करें और अपना सुबह का रूटीन फिक्स करें।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंसोशल मीडिया जानकारी और खबरों के लिए जरूरी है, लेकिन सोशल मीडिया पर मौजूद गलत जानकारी अधिक खतरनाक है। इस तरह की गलत खबरें आपका स्ट्रेस बढ़ाती ही हैं। इसलिए सोशल मीडिया को कम समय दें।
हम सभी इस समय बुरे वक्त से गुजर रहे हैं, लेकिन हम इसे अपने मानसिक स्वास्थ्य और शांति को प्रभावित करने नहीं दे सकते। और अगर आपको लगता है कि यह तनाव आपके बर्दाश्त से अधिक हो रहा है तो प्रोफेशनल मदद लेने में शर्माएं नहीं।
यह भी पढ़ें – ब्रेकअप के बाद मुश्किल लग रहा है सब? हम बताते हैं खुद से प्यार करने के 3 आसान तरीके