“अवसाद पर बात करना है इससे बचने की दिशा में पहला कदम”, जानिए ऐसा क्यों कहते हैं मनोवैज्ञानिक

हम जानते हैं कि अपनी भावनाओं पर बात करना सबसे मुश्किल होता है, हम पब्लिकली इस पर बात करने की सलाह भी आपको नहीं देंगे। पर अपने किसी विश्‍वासपात्र से बात करना अवसाद से बचने की दिशा में कारगर हो सकता है।
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अपनी भावनाओं के बारे में बात करना मुश्किल तो है, पर यह जरूरी भी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Dr Ishita Mukerji Updated: 24 Nov 2023, 06:01 am IST
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मौजूदा हालात में अवसाद दुनिया भर में सबसे ज्यादा परेशान करने वाला मस्तिष्क विकार बन गया है। अवसाद या डिप्रेशन आम मूड स्विंग्स से काफी अलग होता है। इस बीमारी में लक्षण करीब एक हफ़्ते से लेकर कई महीनों तक रह सकते हैं। कई बार अगर सही इलाज न किया जाए तो डिप्रेशन सालों तक रहता है।

डिप्रेशन कई अन्य शारीरिक रोगों जैसे हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह, अल्ज़ाइमर्स डिसीज़ और अन्य जटिल बीमारियों के कारण भी हो सकता है। तक़रीबन 50% डिप्रेशन के मरीजों में इसके रिपीट होने की संभावना होती है।

क्या है डिप्रेशन का सही इलाज?

हर जटिल बीमारी की तरह डिप्रेशन भी लाइलाज नहीं है मगर इसके रिपीट होने की संभावना रहती है। ऐसे में ज़रूरी है कि समय रहते इसको पहचान कर इलाज किया जाय।

अन्‍य शारीरिक बीमारियों की तरह अवसाद का भी उपचार किया जा सकता है। चित्र: शटरस्‍टाॅक

अवसाद पर बात करना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है

डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति के लिए इस पर खुलकर बात करना मुश्किल ज़रूर है, मगर यही एकमात्र तरीका है डिप्रेशन से लड़ने का। ऐसे में मरीज़ के परिजनों, मित्रों को इस बात का खास ख्या ल रखना चाहिए कि उनकी भावनाओं को धैर्यपूर्वक सुनें।

डिप्रेशन भी बाकी बीमारियों की तरह ही है, इसे टैबू नहीं बनाया जाना चाहिए। डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार न करें।

डिप्रेशन से कैसे लड़ें, कैसे अपनी बात रखें

अपने दिल की बात खुलकर कहना आसान नहीं होता। मगर आपका यह कदम उठाना बहुत आवश्यक है।

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जब आप इस विषय पर बात करते हैं, तो आप उसके कारण को स्वीकार कर आगे बढ़ने का पहला कदम उठाते हैं।

दूसरी सबसे ज़रूरी बात है कि अपनी भावनाएं आप किससे साझा रहे हैं। किसी भरोसेमंद व्यक्ति से दिल की बात कहना बहुत ज़रूरी होता है।

धैर्य और संयम के साथ काम लें, ज़रूरी नहीं कि शुरुआती दिनों में ही आपको इम्प्रूवमेंट नज़र आये, लेकिन धैर्य के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।

अपने लिए सही इलाज को पहचानें

डिप्रेशन हर व्यक्ति के लिए अलग होता है और इसीलिए हर व्यक्ति का इलाज भी अलग ढंग से होता है।

एक बार जब आप डॉक्टर के पास जाना शुरू करें, तो निराश होकर इलाज बीच में मत छोड़ें। पूरे ट्रीटमेंट के बाद ही आप इस बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।

साइकोथेरेपी में आप अपनी समस्या को डिसकस करते हैं और थेरेपिस्ट उसकी मदद से आपके मूड और आपके इलाज को निर्धारित करते हैं। तनाव दूर करने के लिए कुछ एक्सरसाइज़ भी थेरेपिस्ट बताते हैं।

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यह भी ध्यान में रखें….

डिप्रेशन मुश्किल है, लेकिन उसका इलाज संभव है। उम्मीद न छोड़ें। सही मेन्टल केअर से आप इस बीमारी से निजात पा सकते हैं। मगर सबसे पहला कदम होता है अपनी बात कहना। सकारात्मक रहें और खुद से प्यार करें।

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लेखक के बारे में

She is a senior psychologist at Kaleidoscope, a mental wellness centre part of Dr. Bakshi''s Healthcare. She is a Silver Medalist and Ph.D Psychology from Amity University. She gathered rich experience in the field while working with prestigious organizations and institutions such as schools, hospitals, clinics and Corporates and has more than 9 years of experience in the field of relationship counselling, marriage counselling, family counselling, geriatric counselling, child counselling, life skill training, employee wellness training and building psychology based programs. She has published 6 psychological research papers at both Indian and international conferences and journals. ...और पढ़ें

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