हम अपने जीवन में कठिन दौर से भी गुजरते हैं। इसकी वजह से हम चिंतित या निराश भी महसूस कर सकते हैं। लंबे समय तक प्रभावित रहने पर हमारी चिंता या तनाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। कभी-कभी हम इससे प्रभावित हो जाते हैं, लेकिन इस स्वास्थ्य समस्या को स्वीकार नहीं कर पाते (acceptance of mental health problem) हैं।
अभी भी भारत में मानसिक स्वास्थ्य के निदान के बारे में सोचना तो दूर, बात भी नहीं करना चाहते हैं। खुद को स्वस्थ रखने के लिए मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को स्वयं के अलावा परिवार को भी स्वीकार करना चाहिए। स्वीकृति हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्यों जरूरी (acceptance of mental health problem) है, इसके बारे में मनस्थली की संस्थापक और सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ ज्योति कपूर विस्तार से बता रही हैं।
डॉ. ज्योति बताती हैं, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को स्वीकार करने के बाद ही आप उनके प्रबंधन और उपचार के लिए सक्रिय कदम उठा पाएंगी। आपके व्यक्तिगत तौर पर स्वीकार करने पर ही मानसिक बीमारी से जुड़ा सोशल स्टिग्मा खत्म हो पायेगा। मानसिक स्वास्थ्य समस्या को स्वीकार करने के साथ ही स्वयं की देखभाल अधिक करना शुरू करें। इसके लिए सबसे पहले अपने संघर्षों के बारे में खुलकर और ईमानदारी से बात करें। नियमित रूप से फिजिकल और मेंटल एक्सरसाइज करें। अपने आहार में सुधार करें। इन परिवर्तनों के बाद ही आप अपनी समस्या का उपचार सही तरीके से प सकेंगी।”
मन और शरीर एक दूसरे के पूरक हैं। यदि मन स्वस्थ नहीं है, तो शरीर पर भी उनका प्रभाव पड़ना लाजिमी है। अवसाद सिरदर्द, थकान और पाचन समस्याओं के साथ आ सकता है। एंग्जाइटी के कारण पेट खराब हो सकता है। अनिद्रा, बेचैनी और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए किसी भी प्रकार की मेंटल समस्या होने पर उसे स्वीकार करें और उसका उपचार कराएं।
मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम की स्वीकृति क्रिएटिव वर्क करने के लिए भी जरूरी होती है। समस्या से जूझने पर हमें किसी भी तरह के काम में मन नहीं लगता है। इस दौरान अत्यधिक भय, चिंता, अपराधबोध की भावना से जूझ सकती हैं। अत्यधिक उदास महसूस करने के कारण हम ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इससे हमारा अपनी रुचि के काम में भी मन नहीं लगता है। इससे परफोर्मेंस खराब हो सकती है।
अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्वीकृति स्वयं के साथ-साथ दूसरों की भलाई के लिए भी जरूरी है। जब हम स्वयं मानसिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, तो दोस्तों और सामजिक गतिविधियों से स्वयं को काटने लगते हैं। थकान, कम ऊर्जा या नींद न आने की समस्या भी हमें होने लगती है। अनिद्रा के कारण हुए मूड स्विंग्स हमें दूसरों के साथ खराब व्यवहार के लिए उकसाने लगता है। इसलिए समय रहते स्वीकार कर समस्या के निदान की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
इसके कारण पार्टनर के साथ संबंधों में भी दरार आ सकती है। अन्य पारिवारिक रिश्ते भी प्रभावित हो सकते हैं। जब मानसिक बीमारी का लंबे समय तक उपचार नहीं किया जाता है, तो यह भावनात्मक अस्थिरता, बेहेवियर रेगुलेशन, रिलेशनशिप की दिक्कतों, नशे के सेवन जैसे लंबे समय तक चलने वाले मुद्दों को भी जन्म दे सकती है।
क्या आप जानती हैं कि मानसिक बीमारियों का इलाज नहीं होने पर मस्तिष्क में न्यूरॉन्स (न्यूरोट्रांसमिशन) के बीच कम्युनिकेशन की समस्या हो सकती है। अवसाद वाले व्यक्तियों में न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन लेवल कम हो जाता है। इसलिए समय रहते अपनी छोटी-बड़ी मानसिक समस्या को स्वीकार करें और उपचार के लिए श्रेष्ठ मनोचिकित्सक से तुरंत मिलें।
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