सचिन ने बहाना बनाया और वह ग्रॉसरी खरीदने के बहाने घर से बाहर निकल गया। वह कुछ स्पेस चाहता था। थोड़ी फ्रेश हवा में सांस लेना चाहता था। जिससे वह कुछ फ्रेश सोच सके। प्रिया जो कि उसकी बैंकर पत्नी है, उसने हाल ही में इस खबर की पुष्टि की वह कोरोना पॉजिटिव है।
प्रिया एक बैंक में काम करती हैं। पिछले कुछ दिनों से उसे कफ के साथ-साथ बुखार भी था। उन दोनों ने सोचा कि यह एक सीजनल फ्लू होगा और ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने इसे जरा भी गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि कुछ दिनों से सिमरन को लक्षण दिखाई दे रहे थे, लेकिन उन दोनो ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
एहतियात बरतते हुए बस खुद को घर पर ही सेल्फ क्वारंटाइन कर लिया। लेकिन अब सचिन नहीं जानता और वह समझ नहीं पा रहा है कि अब उसे क्या करना चाहिए। अब वह क्या रिएक्ट करें और कैसे रिएक्ट करे प्रिया की इस बीमारी पर।
वह अपने बच्चों को इसके बारे में क्या समझाएगा। वह अपने आपको इसका दोष देने लगा कि वह एक बुरा पति है। यही सब सवाल उसके भीतर चल रहे थे। उन सवालों के जवाब खोजने वह बाहर निकल गया।
सचिन की तरह अगर हम भी ऐसे हालात से गुजर रहे होते, तो स्वाभाविक है हम भी ऐसा सोचते। यह कुछ ऐसा है, जिसके लिए हम पहले से तैयार नहीं होते। अनप्रिडिक्टेबल सिचुएशन अक्सर हमारी ज़िन्दगी में आ जाती है। पर आखिरकार हम सबको इसे हैंडल करना ही पड़ता है।
हो सकता है, हम में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो इस सिचुएशन से गुजर रहे होंगे। जिनके परिवार का कोई सदस्यस या प्रियजन कोरोनावायरस पॉजिटिव निकले होंगे।
तो आइए जानते हैं कि हमें उनके साथ कैसे समझदारी से समय बिताना होगा, तब जब हमारा ही कोई करीबी इस वायरस से पॉजिटिव हो :
सबसे पहले यह समझना होगा, जो इंसान पॉजिटिव है वह आपसे ज्यादा घबरा गया होगा। कोविड 19 के टेस्ट ने उसका मनोबल घटा दिया होगा। परिवार से दूर रहने का डर उसे सता रहा होगा, बल्कि उसे अब जान जाने का खतरा भी सता रहा होगा।
इसका मतलब अब उसे आप से ज्यादा सपोर्ट की जरूरत है। ज्यादा कंफर्ट की जरूरत है। एक अच्छे और सहयोग वाले माहौल की जरूरत है। जिसमें वह सिक्योर फील कर सके। अब तो डॉक्टर की भी यही एडवाइस कर रहे है कि कोरोना पॉजिटिव पेशेंट की फीलिंग्स को समझें और उन्हें शांति से सुने।
आपको उनके अंदर बैठे डर को खत्म करना होगा। आपको उन्हें यह यकीन दिलाना होगा कि यह सिर्फ एक मुश्किल समय है। यह एक ऐसा दिन है जो चला जाएगा। यह वह समय है कि जब आपको कदम दर कदम सहयोग के पिलर बनाने होंगे। और अपने परिवार के उस सदस्य का साथ मजबूती से देना होगा। उसे समझाना होगा कि इसमें कोई खतरे की बात नहीं इससे लोग ठीक होते हैं।
यह कोई आसान बात नहीं कि जब आपके दिमाग में भावनाओं का उबाल मचा हो तब आप शांत रहें। कैसे रहें? तो सिर्फ जरूरत है अपने परिवार को सपोर्ट करने की। सबसे ज्यादा जरूरत है कि उन्हें उसमें से बाहर निकाले। ज़रुरत है कुछ ऐसी सोच पैदा करने की जो उन्हें उस घटना से बाहर निकाल सके। इस सिचुएशन में मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स से हेल्प भी ली जा सकती है।
इस बात का अंदाजा लगाना भी कठिन है। जब परिवार में किसी सदस्य का टेस्ट पॉजिटिव आया हो। उस समय सब कुछ सामान्य नही रहता। उसके बाद परिवार का सपोर्ट मिलना और अधिक मुश्किल बात हो जाती है। सबसे ज्यादा आपको समाज का सामना करना पड़ता है। रिश्तेदारों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे अनजान लोगों का सामना करना पड़ता है जिन्हें आप जानते भी नहीं। रिपोर्ट्स के द्वारा पता चला है और साबित हुआ है कि ऐसे बहुत सारे नेगेटिव रिएक्शन हैं जो समाज के द्वारा पेशेंट्स को झेलने पड़ते हैं। वह बहुत दर्दनाक होते हैं, बहुत कष्टदायक होते हैं। बहुत मुश्किल होता है कि दोनों तरफ से सिचुएशन को संभाला जाए।
इसमें यदि आप अपने परिवार का साथ देंगे तो आप उसमें से आसानी से निकल पाएंगे। वार्तालाप (कम्युनिकेशन) एक ऐसी कला है जो आपके परिवार में आए हुए खालीपन को भर देगी। यह आपको भी लड़ाई लड़ने में मदद कर सकती है। बस आप को शांत रहना है। खासकर उनके प्रति जो आपके लिए आक्रोश से भरे हुए हैं।
आप उनको सहानुभूति की नजरों से भी देख सकते हैं। कभी-कभी अपने परिवार के लिए एक शील्ड बन जाना बड़ी बात होती है। आप अपने परिवार के किसी सदस्य को गिल्टी फील ना होने दे। एक निष्पक्ष बातचीत और सहानुभूति वाला व्यवहार आपके बोझ को थोड़ा कम कर देगा।
आप मेडिटेशन में अपना समय बिता सकते हैं। जिससे आपको ज्यादा शांति मिलेगी। आप किसी ओर पसंदीदा हॉबी को भी फॉलो कर सकते हैं। यह आपको उसी चिंता भरे माहौल से थोड़ा दूर रखेगा।
बैलेंस कराना बहुत जरूरत है इस परिस्थिति में बहुत एकाग्रता की जरूरत है। क्योंकि covid-19 बहुत तेजी से फैल रहा है। हालांकि आप हालातों को अलग रख कर नही सोच सकते। हो सकता है आप अपने काम में फंसे हों। हर समय आप उन हालातों में उनका साथ नहीं दे सकते। आपका डेली रूटीन आपको ऐसे इजाजत नहीं देता। जिससे वो कभी-कभी उदासी का शिकार हो सकते हैं।
इस समय आपको सही बैलेंस करने की जरूरत है। आप जब उनसे बात करें उनके मन की परेशानियों को समझे। उसे हल करने की कोशिश करें, आप उनके साथ मिलकर अपना दिन प्लान भी कर सकते हैं। उनके साथ मिलकर इसे मैनेज कर लीजिए।
आप अपने काम से कभी-कभी ब्रेक लेकर उन्हें एक अच्छी एक्टिविटी भी करा सकते हैं। आप अपनी सिचुएशन के साथ रहते हुए भी नई चीजें अपना सकते हैं। जैसे आप जॉब पर जा सकते हैं। आप ऑनलाइन जुंबा क्लासेस जॉइन कर सकते हैं।
जिम जाने की बजाय घर पर ही शारीरिक व्यायाम कर सकते हैं। आपको अपने दिमाग में एक सेंस ऑफ़ नार्मल जैसी चीज बनानी पड़ेगी। आपको अपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ में बैलेंस करना ही पड़ेगा। अपने परिवार में और समाज के बीच बैलेंस मेंटेन करना होगा।
डॉक्टर कहते हैं कि जबकि आपके घर में covid-19 से पॉजिटिव फैमिली मेंबर है। लेकिन फिर भी उनकी केअर के साथ-साथ आपको अपना खयाल भी रखना होगा। अपनी सेहत को आप किसी भी हालत में अवॉइड नहीं कर सकते। यह खुद को सेल्फिश कहने जैसा बिल्कुल नहीं है।
कई दफा यह चीजों को और बेहतर कहने जैसा है। आपको एक हैल्दी फैमिली एनवायरमेंट बनाना ही होगा और यदि आप खुद बीमार हो जाएंगे तो फिर आप उनका ख्याल कैसे रखेंगे।
ऐसी परिस्थितियों में जब आप इतनी सारी चुनौतियों का सामना कर रहे हो उस वक्त यह कहना कि आप अपने लिए कुछ समय निकालिए कठिन होगा। लेकिन फिर भी अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आपको जरूर करना चाहिए।
आप अपने दोस्तों से मिल सकते हैं। उनसे कनेक्ट रह सकते हैं। चाहे आप ऐसा पर्सनल करें या इंटरनेट के जरिए। उनके साथ कुछ समय बिताइए। वही कुछ क्वालिटी टाइम आपके काम आ सकता है। आप अपनी फेवरेट मूवी देख सकते हैं। आप अपने अच्छे बुरे समय को याद कर सकते हैं।
डायरी लिख सकते हैं। बहुत से तरीके हैं जिसने आप इस परेशानी में रहकर भी इस से बाहर निकल सकते हैं। आप अपने आप को खराब स्थिति में गुम करने की बजाय इसमें से अपने परिवार को निकाल के दिखाइए तब बात बने।
इसमें कोई शर्म नहीं है। अगर आप ऐसी सिचुएशन में फस जाते हैं जहां पर आपको मदद की जरूरत है। आपको नहीं मालूम के आपको आगे क्या करना है तो आप किसी से मदद मांग सकते हैं। ऐसी बहुत सी मेंटल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशंस हैं जो ऐसी मदद देती हैं। जो हमेशा ऐसे लोगों के लिए तैयार रहती हैं।
वह आपके और आपके परिवार के लिए जरूर आगे आएंगे और आपकी बड़ी समस्या का छोटा सा हाल तो निकाल ही लेंगे। बस आखिर में जरूरत है तो कुछ करने की, आगे बढ़ने की। बस आपको एक कदम बढ़ाना है।
यकीन मानिए यह पहला कदम ही होगा जो आपको बहुत दूर तक ले जाएगा और अंत में आप पूरे परिवार के साथ अपने इस कठिन समय को याद करेंगे।