समय बदलने के साथ लोगों के लाइफस्टाइल में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं। कोई देर तक जगा रहता है, तो किसी को अंधेरा पसंद नहीं है। किसी के वकिंग आवर्स ज्यादा हैं, तो किसी को खर्राटों की आवाज़ शोर लगने लगती है। पार्टनर्स के मध्य उचित तालमेल न बैठ पाने के चलते दिनों स्लीप डाइवोर्स काफी चलन में है। जहां पार्टनर्स अपने सोने की व्यवस्था अपने हिसाब से करने का निर्णय लेते हैं। जानते हैं स्लीप डाइवोर्स (sleep divorce)क्या है और इसका रिलेशनशिप पर क्या प्रभाव पड़ता है।
स्लीप डाइवोर्स (sleep divorce) उस सिचुएशन को कहा जाता है, जिसमें पार्टनर्स अपने कंफर्ट के हिसाब से अलग-अलग सोते हैं। दरअसल, लॉन्ग वर्किंग आवर्स, स्नोरिंग और बार बार करवट बदलने से होने वाली डिसटर्बेंस से बचने के लिए कपल्स स्लीप डाइवोर्स का फैसला लेते हैं। शहरों में ये चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। जो खासतौर से एकल परिवारों में देखने को मिलता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत का कहना है कि ये एक नॉर्मल डायवार्स से बिल्कुल भिन्न होता है। इस प्रक्रिया को अपनाने से हम शारीरिक और मानसिक रूप से रिएनरजाइज़ हो जाते है। वे लोग जिन्हें अपने जीवन में प्राइवेसी की आवश्यकता होती है। वे अपने पार्टनर्स की सहमति से स्लीप डाइवोर्स में रहने लगते हैं। अपनी रात की नींद को आरामदायक बनाने के लिए वे इस प्रक्रिया को एडॉप्ट करते हैं। इसके चलते उनके संबधों में कई प्रकार के उतार चढ़ाव भी देखने को मिलते हैं।
दिनभर की दौड़भाग के बाद बेडरूम एक ऐसी जगह होती है। जहां कपल्स को कुछ वक्त एक दूसरे के साथ बिताने का मौका मिलता है। वे इस दौरान एक दूसरे से अपने अनुभव और बहुत सी बातें साझी कर पाते हैं। इसके चलते वे एक दूसरे से कनेक्टिड रह पाते हैं। अगर वे अलग अलग सोते हैं, तो उनके मध्य एक दूरी बढ़ने लगती है।
वे कपल्स जो एक दूसरे से अलग सोते हैं। उनकी सेक्सुअल लाइफ भी डिस्टर्ब होने लगती है। धीरे धीरे उनका लगाव एक दूसरे के प्रति कम होने लगता है। इसका असर उनकी शादीशुदा जिंदगी पर भी दिखने लगता है। आपसी संपर्क खत्म होने से रिश्तों में भी खालीपन महसूस होने लगता है।
पूरा दिन एक दूसरे अलग रहने वाले पार्टनर्स अब कोई भी वक्त साथ नहीं गुज़ार पाते हैं। इससे दो लोगों की विचारधारा एक दूसरे से अलग होती चली जाती है। जो तनाव का रूप ले लेता है। इससे आपसी मनमुटाव भी अब बढ़ने लगता है। ऐसे में कपल्स को काउंसलिंग की आवश्यकता होती है।
वे कपल जो स्लीप डाइवोर्स का फैसला करते हैं। वे हर वक्त अपने पार्टनर को लेकर इनसिक्योर रहने लगते हैं। उन्हें अपने रिलेशनशिप में किसी तीसरे के आने का डर सताता है। इसके चलते पार्टनर को हर दम नोटिस करने से लेकर उनके खान पान तक हर चीज़ पर नज़र बनाए रखते हैं।
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