दुनिया का कोई भी कोना कोरोनावायरस (Coronavirus) के प्रकोप से बच नहीं पाया है। दिसंबर 2019 से शुरु हुई यह अनजानी महामारी (Pandemic) अब भी वैज्ञानिकों और चिकित्सक समुदाय के लिए पहेली बनी हुई है। जिसने विकास के नए प्रतिमान गढ़ते विशाल देश अमेरिका से लेकर 95 हज़ार की छोटी सी आबादी वाले अफ्रीकी देश सेशेल्स तक को अपनी चपेट में ले लिया। तब वह कौन सा कोना बचा जहां हर आम-ओ-खास ने अपने आप को सुरक्षित समझा और जिसने थमी हुई दुनिया को थोड़ी सी रफ्तार दी?
वह कोना था घर। जी हां, घर। जिसे कॉरपोरेट की दुनिया अब तक सबसे उपेक्षित और सहानुभूति पूर्ण जगह माना। वर्क फ्रॉम होम (Work from home) करते हुए दुनिया भर के मिलियन-बिलियन-ट्रिलियन लोगों ने न केवल सामुदायिक स्वास्थ्य (Community Health) को संभालने में अप्रत्यक्ष योगदान दिया, बल्कि घुटनों पर आई अर्थव्यवस्था (Economy) और कॉरपोरेट जगत (Corporate World) को भी फिर से खड़े होने की उम्मीद दी।
पिछले वर्ष जो संक्रमण, जो माहौल और जो बदलाव हमें बहुत अजीब लग रहे थे, इस वर्ष तक आते हम उनके प्रति ज्यादा सहज हुए। मास्क पहनना, सेनिटाइज़र, स्टीमर, थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर ये वे उपकरण हैं जिन्हें हमने कोविड-19 से उपजे न्यू नॉर्मल में अपने पास रखना और इस्तेमाल करना सीख लिया। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मास्क सिर्फ आपको कोविड-19 के संक्रमण से ही नहीं बचाता, बल्कि यह कई अन्य संक्रमणों से भी आपकी रक्षा करता है। जिनमें प्रदूषण बढ़ने के बाद होने वाले श्वास संबंधी संक्रमण भी शामिल हैं।
अपने लंबे कॅरियर में मेरी यह बरसों की साध थी कि काश मेरा घर दफ्तर में ही या दफ्तर के पास कहीं होता। मुझे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित उन तमाम अफसरों से इस मामले में अघोषित ईर्ष्या रही है, जिनके पास ऐसी सुविधा है। पर न्यू नॉर्मल ने कुछ अलग तरह से मेरी इस साध को पूरा किया। मेरा घर भले ही दफ्तर में कभी नहीं हो सका, पर अब मेरे घर में मेरा दफ्तर था। न सिर्फ मेरा, बल्कि हेल्थशॉट्स की हमारी पूरी टीम अपने-अपने घरों से काम करती रही। यकीनन इसने हमारे उन बेशकीमती घंटों को बचाया, जिन्हें सफर के दौरान खर्च करना पड़ता था।
हां, कई और लोगों की तरह कोविड-19 की दूसरी लहर जब दिल्ली में मंद पड़ने लगी थी, तब इस संक्रमण ने मुझे भी अपनी चपेट में ले लिया। हम अपनी तरह से पूरी एहतियात बरत रहे थे, इसके बावजूद यह संक्रमण हमारे घर में दाखिल हो गया।
उस दौरान ऐसे कई रिसर्च सामने आए, जिसमें यह साबित हुआ कि कोरोना वायरस कई घंटों तक हवा में भी मौजूद रह सकता है। यकीनन बिल्डिंग की कॉमन सीढ़ियां इस वायरस को हम तक लाईं। जिसके कारण यहां रहने वाले हम तीन परिवार बारी-बारी से इसकी चपेट में आए। पर दवा, दुआ और प्राणायाम ये वह त्रिस्तरीय उपाय था, जिसकी मदद से हम कोविड-19 से अपनी-अपनी लड़ाई जीत पाए।
कोविड-19 दूसरी लहर के लगातार बढ़ते आंकड़े, एक के बाद एक आसपास के कितने ही परिचितों का जाना और उस पर महीनों तक घर के भीतर बंद रहना, यह वह माहौल था जब हम सभी तनाव, एंग्जायटी और आंशिक अवसाद के शिकार हो रहे थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने भी मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) के लिए जागरुक होने और योग-ध्यान-प्राणायाम का समर्थन किया।
मैं जब कोविड से जूझ रही थी और शारीरिक रूप से बेहद कमजोर थी, तब मेरी एक मित्र मुझे ऑनलाइन प्राणायाम करवा रहीं थीं। हालांकि हर रोज सुबह का एक घंटा मेरा वर्कआउट के लिए सुनिश्चित है, लेकिन कोविड शरीर की पूरी ताकत निचोड़ डालता है। ऐसे समय में ब्रीदिंग एक्सरसाइज (Breathing exercise) यानी श्वास प्राणायाम सभी के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। मैंने इस पूरे दौर में इन्हें कभी भी मिस नहीं किया।
इस तरह कोविड-19 की लहर धीमी पड़ने के बाद वह दौर भी आया जब पाबंदियों में ढिलाई होने लगी, लोग त्योहार मनाने लगे। तब हमने भी अपने नियमित योगाभ्यास के लिए अपने-अपने कमरों से निकलकर छत पर योगा मैट बिछाने की शुरूआत की।
पबमेड में प्रकाशित जॉन हॉपकिंस के शोध के अनुसार योग, ध्यान और प्राणायाम आपको एक स्वस्थ और बेहतर जिंदगी जीने में मदद करता है। भारत में योगाभ्यास की सदियों पुरानी पंरपरा है। नियमित योगाभ्यास न केवल आपके शरीर की ताकत और लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
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कस्टमाइज़ करेंयह आपको बेहतर नींद (Better sleep) और फोकस (Focus) बढ़ाने में भी मदद करता है। विशेषतौर पर अनुलोम-विलोम और कपालभाति प्राणायाम आपके फेफड़ों की ताकत बढ़ाकर आपको मानसिक रूप से शांत करने में भी योगदान करते हैं।
हम सभी उत्सवधर्मी समाज का हिस्सा हैं। यहां कड़ाके की ठंड में भी लोग क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टी मनाने निकल पड़ते हैं, वही चिलचिलाती धूप के महीने भी उत्सवों के बिना नहीं बीतते। पर सबसे बड़ा उत्सव अच्छी सेहत है। इसलिए ऋषियों ने कहा भी है, पहला धन निरोगी काया।
इस समय का यह तकाजा है कि अपने सेहतमंद होने का उत्सव मनाएं। इसके लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है, न ही भीड़ में हल्ला-गुल्ला करने की। बस उनके संपर्क में रहें, जिनसे आप प्यार (Loved one) करते हैं, उनकी कद्र करें, जो आपकी कद्र करते हैं। अपने और अपने अपनों के लिए समय निकालें। यही जीवन का वास्तविक उत्सव है।
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