40 की उम्र के नए शौक 50 और 60 में भी आपको बनाए रखेंगे युवा, जानिए क्या कहते हैं अध्ययन 

उम्र के हर मोड़ पर कुछ न कुछ नया सीखते रहें। इससे न सिर्फ आपका ब्रेन बीमारियों से सुरक्षित रहेगा, बल्कि आप हर उम्र में बनी रहेंगी युवा। 
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अपनी पसंद का काम करने पर रिश्ते में भी ख़ुशी लौटती है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 4 Oct 2022, 11:00 am IST
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यह कहानी बहुत प्रचलित है कि एक बुजुर्ग ने चायनीज भाषा सीखने की शुरुआत की। वे 80 साल से भी अधिक उम्र के हो चुके थे। वे जब चायनीज भाषा सीखने के लिए लर्निंग क्लास में पहुंचे, तो उन्हें देखकर वहां मौजूद सभी युवा छात्र हंसने लगे। उनमें से एक ने कहा, “ चायनीज सीखने में तो 5 साल से भी ज्यादा का समय लगता है। फिर आपने इसे सीखने की शुरुआत क्यों की?” बुजुर्ग ने झट से उत्तर दिया, क्योंकि अभी मैं युवा हूं। यह सुनते ही सभी जोर-जोर से हंसने लगे। इस पर बुजुर्ग ने कहा, ‘ व्यक्ति जिस दिन सीखना छोड़ देता है, उस दिन वह बूढ़ा हो जाता है। मैं तो एक नई भाषा सीखने का प्रयास कर रहा हूं, इसलिए मैं युवा हूं।’ विशेषज्ञ कहते हैं कि सीखने की प्रक्रिया जारी रखने से उम्र बढ़ने के बावजूद व्यक्ति मन से युवा (impact of learning on mental health) बना रहता है। उम्र के साथ आने वाली ब्रेन संबंधी बीमारियों से भी उसका बचाव हो पाता है।  

क्या कहती है रिसर्च

यूके के एक्सेटर विश्वविद्यालय में हुए शोध के अनुसार उम्र के हर पड़ाव पर सीखते रहने से बाद के जीवन में व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। इस रिसर्च में 65 वर्ष से अधिक आयु के 2,000 से अधिक मानसिक रूप से फिट लोगों का डाटा इकट्ठा किया गया।

 इसमें यह पाया गया कि जो लोग युवावस्था और जीवन की मध्य आयु में भी कुछ न कुछ सीखते रहें, वे लंबे समय तक मानसिक रूप ज्यादा फिट रहे। उनमें डिमेंशिया जैसी बीमारियों की संभावना भी कम दिखी। शोधकर्ताओं ने बताया कि अलग-अलग तरह की एक्टिविटी में संलग्न रहने पर शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क के भी स्वस्थ रहने की संभावना बढ़ जाती है। इस शोध दल में बांगोर, न्यूकैसल और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों के सहयोगी शामिल थे।

एक्टिविटीज कैसे रखती हैं मस्तिष्क को स्वस्थ

शोधकर्ताओं के अनुसार, कुछ लोग अलग-अलग तरह की और नई एक्टिविटीज में संलग्न होते हैं और मस्तिष्क से काम लेते हैं। विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करने के लिए वे चुनौती लेते हैं। विभिन्न नेटवर्क का वे प्रयोग करते हैं,  इसलिए उनके पास उच्च संज्ञानात्मक रिजर्व (High Cognitive Reserve) होता है। 

यह मस्तिष्क में एक बफर बनाता है, जिससे मस्तिष्क अधिक लचीला बन पाता है। जब यह बफर अनुपस्थित होता है, तो बीमारी या क्षय के संकेत मिलने लगते हैं।

सीखते समय भूल जाएं अर्जित अनुभव (Forget gained experience) 

विश्व प्रसिद्ध मनोचिकित्सक जेरोम ब्रूनर  (Jerome Brunner) ने लर्निंग प्रोसेस पर अपनी थ्योरी दी थी। उन्होंने कहा था कि सीखते समय अपना पुराना अर्जित अनुभव भूल जाएं। आपने पीछे कितना कुछ हासिल किया हुआ है।

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सीखते समय अर्जित अनुभव को भूल जाएं | चित्र :- शटरस्टॉक

अनुभव आपके सीखने की प्रक्रिया में बाधा बन सकता है। यदि आप ऐसा करने में सफल हो गये तो आपका मन तरोताजा बना रहेगा और आप नया सीख भी पाएंगे।

 नये लोगों से भी सीखने की कोशिश करें ( try to learn from unexperienced people also) 

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भारत की सुप्रसिद्ध थिएटर और फिल्म अभिनेत्री जोहरा सहगल से जब एक बार किसी पत्रकार ने पूछा कि इतनी उम्र हो जाने के बावजूद आप युवा क्यों दिखती हैं? जोहरा जी ने हंसते हुए जवाब दिया था, “अनुभव और उम्र होने के बावजूद मैं मन से युवा हूं। मैं हमेशा अभिनय में कुछ नया सीखने का प्रयास करती रहती हूं। मैं नये कलाकारों से भी सीखने का कोई अवसर नहीं चूकती हूं।

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नई चीज़ सीखने से आप तनावमुक्त भी रह सकती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

यह सच है कि हमेशा कुछ नया सीखने की चाहत दिमाग को हर तनाव से दूर रखती है और मन से युवा भी बनाये रखती है।

यह भी याद रखें 

स्वस्थ जीवनशैली मस्तिष्क को स्वस्थ रखती है। स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और कुछ न कुछ नया सीखते रहने की प्रवृति संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ावा देते हैं। आप भी आज से इस फंडे  पर काम करना शुरू कर दें। चिर युवा बनी रहेंगी।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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