हम सभी को जीवन में कभी न कभी ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, जिससे हम तनावग्रस्त हो जाते हैं। पर यही स्थिति अगर लगातार चलती रहे और उससे बाहर आने का रास्ता भी न दिखाई दे, तो समस्या बढ़ना लाजिमी है। कई बार ऐसे हालात में आपका बार-बार रोने को मन करता है, आप चुप रहने लगती हैं या किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पातीं। अगर आप भी इसी तरह के लक्षणों का सामना कर रहीं हैं, तो ये एडजस्टमेंट डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। आइए समझते हैं क्या है ये।
एक्सपर्ट के अनुसार जो महिलाएं किसी विशेष परिस्थिति से निकलने के लिए संघर्ष कर रही हैं वह एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर की शिकार हो सकती हैं। इसकी मुख्य वजह मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां हैं और इसका निदान वैसे तो आसानी से किया जा सकता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में थोड़ा मुश्किल भी होता है।
जब आप जरूरत से ज्यादा तनावग्रस्त रहतती हैं या किसी एक विशेष महौल या परिस्थिति में एडजस्ट करने की कोशिश करती हैं, तब आपको एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर का सामना करना पड़ सकता है।
फोर्टिस हॉस्पिटल में मनोवैज्ञानिक डॉ स्वाति मित्तल, के अनुसार एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के समान खतरनाक नहीं है। पीटीएसडी वाली कंडीशन लगभग एक महीना बाद शुरू होती है और काफी दिनों तक रहती है।
एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर महिलाओं या बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। वैसे तो यह किसी को भी हो सकता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। बच्चों में इस डिसऑर्डर के जो दुष्प्रभाव असर देखने को मिलते हैं, वह बड़ों में नहीं देखने को मिलते।
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इमोशनल बिहेवियर संबंधित लक्षणों का दिखना जिनकी शुरुआत तनाव की शुरुआत के साथ हुई हो और लगभग 3 महीने का समय हो गया हो।
अगर आप किसी चीज को लेकर डिस्टर्ब होंगी, तो आप सोसायटी के नियमों का पालन नहीं करेंगी और दूसरों के अधिकारों का हनन करते भी देखी जा सकती हैं। कुछ ऐसी बातें एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर के लिए जैसे आपके माता पिता का तलाक हुआ हो, आपका अपने पार्टनर से ब्रेकअप हुआ हो या आपको कोई बहुत बड़ा नुकसान हुआ हो, जिसकी भरपाई की चिंता अनुभव करती हो।
अचानक आपकी नौकरी चली गई हो या आपका काम नहीं चलना भी इस डिसऑर्डर का कारण हो सकता है। इसी तरह की बहुत सी कंडीशन हैं, जिसकी वजह से आपको एडजेस्टमेंट डिसऑर्डर की समस्या डिवेलप हो सकती है। इसका परिणाम यह होता है कि आप हर समय तनाव में रहने लगती हैं।
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