ऐसे कई विषय होते हैं जिनके बारे में हम खुल कर बात करना नही पसंद करते या समाज उन मुद्दों को खुले मन से स्वीकार करना नही चाहता। औरतों की ज़रूरतें या सेक्स जैसे मुद्दों पर खुल कर बात करना अश्लील समझा जाता है। लोग अपनी निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा बात नहीं करते। जबकि दूसरों की जिंदगी के बारे में चर्चा करना सबको पसंद होता है।
दूसरों के बारे में गपशप करना अक्सर लोगों को खूब मजे देता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने व्यक्तिगत झूठ को छुपाने के लिए, दूसरों की जिंदगियों का मज़ाक बनाना शुरू कर देते हैं।
हर कोई अपने जीवन में एक ऐसे रिश्ते का साथ चाहता है, जो उन्हें संभाल सके। उनकी परेशानियों को दूर कर सके और सही सलाह दे सके। लोगो का मानना है कि एक साथी ही मुसीबत में उनका साथ निभा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से जब सब कुछ गलत हो रहा होता है, तो हर चीज़ के लिए ज़िम्मेदार भी वही होते हैं।
साथ न देने के लिए, बात न सुनने के लिए, पूरी तरह से सपोर्ट न करने के लिए लोग साथी को ही ज़िम्मेदार ठहराते हैं। अगर आप या आपका पार्टनर ऐसी ही किसी परिस्थिति से गुज़र रहे हैं, तो आगे बताये गये कुछ टिप्स आपको उन पर अपनी निर्भरता कम करने मदद करेंगे।
किसी भी रिश्ते में दोनों ही एक-दूसरे पर अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए निर्भर रहते हैं। यह किसी भी रिश्ते की मूलभूत ज़रूरतों में से एक माना गया है। पर यह समझ लेना कि आप एक दूसरे के साथ के बगैर कुछ भी नही है तो ये बिलकुल गलत है।
जब आप खुद को सम्पूर्ण मानने लागतें हैं तो, चीजें आसान होने लगती हैं। रिश्तों में आपकी भागीदारी भी बढ़ने लगती है। इसे हम सहनिर्भरता (Co-Dependency) भी कहते हैं।
वहीँ दूसरे हाथ पर निर्भरता, वह होती है जब दो लोग बराबरी से एक रिश्ते में अपनी सह-निर्भरता सुनिश्चित करते हैं। आपको जीने के लिए किसी की ज़रुरत नहीं होती पर आप यह ज़रूर चाहते हैं कि कोई आपके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सके। यह किसी भी स्वस्थ रिश्ते का मुख्य पहलू है।
कोई भी रिश्ता तभी पनपता है जब उसमें मौजूद लोग आपस में संतुलन बनाये रखते है। ठीक वैसे ही जैसे किसी घर के दो मज़बूत स्तम्भ। इसका मतलब है कि आपकी ख़ुशी का कारण सिर्फ आपका जीवन साथी ही न हो, बल्कि आपका काम, व्यायाम, दोस्त-यार भी हों।
काफी लोगों ने इंटिमेसी को सिर्फ शारीरिक संबंध के रूप में माना है, पर ऐसा नही है। इंटिमेसी शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर बराबर की होनी चाहिए तभी रिश्ते अच्छे से पनपते हैं।
कोई भी साथी योग्य नहीं है, अगर आप अपने मन की बात उनके सामने खुलकर और सम्मान पूर्वक नहीं कह पातींं। जब आप अपने विचारों का खुलकर आदान-प्रदान करतीं हैं, तभी एक ख़ुश हाल और स्वस्थ रिश्ते की नींव स्थापित हो सकती है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंयह भी पढ़ें – आखिर क्यों थोक के भाव झूठ बोलते हैं कुछ लोग? हमने ढूंढे इसके वैज्ञानिक कारण