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क्या आप जानते हैं स्ट्रेस, एंग्जायटी और चिड़चिड़ेपन में अंतर? नहीं तो इसे पढ़िए

मानसिक दबाव के कारण अक्सर आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अगर आप भी मानसिक तनाव के कारण परेशान हैं, तो जानिए स्ट्रेस, एंग्जायटी और चिड़चिड़ेपन में अंतर।
दूसरों के द्वारा जज किए जाने का डर एक सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। चित्र: शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Updated: 27 Oct 2023, 17:58 pm IST
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जीवन के हर क्षण में आपको किसी प्रकार का तनाव जरूर होता है। घर की जिम्मेदारी, ऑफिस का काम, बच्चों तथा परिवार वालों की देखभाल, समय पर चीजें खत्म करना, सामाजिक दायित्व और पता नहीं क्या-क्या! एक हद तक ये मानसिक दबाव आपके जीवन का हिस्सा होते हैं, जो आपके व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है। लेकिन यदि ये तनाव बिना किसी ब्रेक के और हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो आपके स्वास्थ्य को हानि पहुंच सकती है। 

मानसिक विकारों की बढ़ती शृंखला में अवसाद, स्ट्रेस, गुस्सा, एंग्जायटी और चिड़चिड़ापन कुछ आम परेशानियां बन गईं हैं। कोविड-19 महामारी से भी भयंकर हैं ये मानसिक स्थितियां। ये केवल आपके ब्रेन को नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। महामारी के बाद मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों में 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। 

पर कई बार सामान्य चिड़चिड़ेपन या परिस्थितिजन्य गुस्से को भी हम एंग्जायटी या अवसाद मानने की भूल करने लगते हैं। इसलिए आज हेल्थशॉट्स के इस लेख में हम आपको बता रहे हैं इन तीनों मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में अंतर। 

जानिए स्ट्रेस, एंग्जायटी और चिड़चिड़ेपन में अंतर

1. स्ट्रेस (Stress)

तनाव यानी स्ट्रेस (Stress) और अन्य मानसिक विकारों के बीच एक महीन रेखा है। यह भावनात्मक प्रतिक्रियाएं होती हैं, लेकिन तनाव आमतौर पर बाहरी ट्रिगर के कारण होता है। यह ट्रिगर थोड़ी देर के लिए भी हो सकता है, जैसे काम की समय सीमा या किसी प्रियजन के साथ लड़ाई। 

कुछ परिस्थियों में आप लंबे समय तक भी स्ट्रेस का अनुभव कर सकती हैं। जैसे कि काम करने में असमर्थ होना, भेदभाव या पुरानी बीमारी। तनाव में लोग मानसिक और शारीरिक लक्षणों का अनुभव करते हैं, जैसे चिड़चिड़ापन, क्रोध, थकान, मांसपेशियों में दर्द, पाचन संबंधी समस्याएं और सोने में कठिनाई।

स्ट्रेस आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चित्र: शटरस्टॉक

यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और आपको हॉर्मोनल बदलाव का अनुभव भी हो सकता है। लंबे समय तक स्ट्रेस होने से आपको अन्य स्वास्थ्य जोखिमों का भी सामना करना पड़ सकता है। इनमें शराब की लत, दमा, दुर्बलता, तनाव से होने वाला सिरदर्द, हाइपरटेंशन, आंत संबंधी परेशानियां, हृदय रोग, आदि शामिल हैं। 

2. एंग्जायटी (Anxiety)

चिंता यानी एंग्जायटी (Anxiety) को लगातार, अत्यधिक चिंताओं से परिभाषित किया जाता है, जो तनाव के अभाव में भी दूर नहीं होती हैं। इसमें भी आप स्ट्रेस जैसे लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। जैसे अनिद्रा, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, थकान, मांसपेशियों में तनाव और चिड़चिड़ापन। एंग्जायटी आमतौर पर महीनों तक बनी रहती है और मूड और कामकाज को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। 

कुछ चिंता विकार, जैसे कि एगोराफोबिया (सार्वजनिक या खुली जगहों का डर), व्यक्ति को सुखद गतिविधियों से बचने या नौकरी करने में मुश्किल पैदा कर सकता है।

एक अन्य प्रकार का एंग्जायटी डिसॉर्डर है पैनिक अटैक। यह एंग्जायटी के अचानक हमलों से पहचाना जाता है, जो एक व्यक्ति को पसीना, चक्कर आना और सांस के लिए हांफने जैसे लक्षणों के रूप में परिलक्षित होता है। एंग्जायटी कुछ विशिष्ट फोबिया (जैसे उड़ने का डर) या सामाजिक चिंता के रूप में भी प्रकट हो सकती है। 

3. चिड़चिड़ापन (Irritation)

एंग्जायटी एवं स्ट्रेस का एक प्रमुख लक्षण है चिड़चिड़ापन (Irritation)। यह कोई अलग विकार का रूप नहीं हैं। अधिकांश मानसिक बीमारियों का आम लक्षण होता है चिड़चिड़ा स्वभाव। जब कोई व्यक्ति अपने दिमाग में बहुत चीजों और विचारों से लड़ रहा होता है, तो वह बाहरी प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार नहीं होता। 

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ऐसे में उनको टोकने, सलाह देने और मदद करने पर भी वे झुंझला जाते हैं। यह एक उत्तेजित भावना है, जिसमें रोगी आसानी से निराश या परेशान हो जाता है। 

अगर आप जल्दी परेशान हो जाते हैं, बिना वजह आक्रामक होते हैं, छोटी बातों का बुरा मानते हैं, जल्दी क्रोधित होते हैं या दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, तो आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो रहा है। यदि ऐसी भावना लंबे समय से आपको परेशान कर रहीं है, तो आपको चिकित्सक की सलाह लेने की आवश्यकता है। 

चिड़चिड़ापन किसी अन्य मानसिक विकार जैसे डिप्रेशन, ऑटिज्म, एंग्जायटी, स्ट्रेस या बाइपोलर डिसॉर्डर का भी कारण हो सकता है। 

अपने चिड़चिड़े स्वभाव को बदलें। चित्र: शटरस्‍टॉक

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अगर आप किसी प्रकार की मानसिक परेशानी का सामना कर रही हैं, तो ये आसान टिप्स आपको रीलैक्स करने में मदद करेंगे। 

1. मेडिटेशन और माइंडफुलनेस 

ऐसे कई अध्ययन हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि माइंडफुलनेस और मेडिटेशन चिंता और मानसिक तनाव को कम करते हैं। माइंडफुलनेस दैनिक जीवन और उन चीजों पर ध्यान देने के बारे में है, जिनसे हम आम तौर पर भागते हैं।

इसके लिए आप मन को शांत कर दिन में कभी भी 5 धीमी और गहरी सांसें ले सकते हैं। कुछ लोगों ने पाया है कि ड्रॉइंग या रंग भरने वाली किताबों का उपयोग करने से उन्हें रचनात्मकता को व्यक्त करने में मदद मिलती है और उनके दिमाग को आराम मिलता है।

2. प्रकृति से जुड़ें

प्रकृति के साथ समय बिताना तन और मन के लिए अच्छा है। यह चिंता, एंग्जायटी और तनाव की भावनाओं को दूर करने में मदद करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि प्रकृति में रहने, या यहां तक ​​कि प्रकृति के दृश्यों को देखने से क्रोध, भय और तनाव कम हो जाता है और सुखद भावनाएं बढ़ जाती हैं। 

3. अच्छा संगीत सुनें और गुनगुनाएं 

अच्छा संगीत आपकी भावनाओं को प्रभावित करता है और एक अत्यंत प्रभावी स्ट्रेस बस्टर हो सकता है। सुखदायक संगीत हृदय गति को धीमा कर सकता है, रक्तचाप को कम कर सकता है और तनाव हार्मोन के स्तर को कम कर सकता है। 

खाली समय में अपना पसंदीदा गाना बजायें और स्ट्रेस को भगायें। चित्र: शटरस्टॉक

साथ ही यह आपको चिंताओं से दूर रहने में भी मदद कर सकता है। अनुसंधान से पता चलता है कि संगीत सुनने और उसे गुनगुनाने से ​​अवसाद या बाइपोलर डिसॉर्डर वाले व्यक्ति को अपने सबसे खराब मूड से उबरने में भी मदद मिल सकती है।

4. हंसना

हंसी वास्तव में सबसे अच्छी दवा है। यह नकारात्मक भावनाओं को रोक देती है। आप स्थितियों को अधिक यथार्थवादी और कम खतरनाक दृष्टिकोण से देख सकते हैं। हंसी आपको अच्छा महसूस कराती है। यह शरीर में एंडोर्फिन या हैप्पी हॉर्मोन को ट्रिगर करती है। 

जब आप हंसते हैं, तो उसके बाद का एहसास आपके साथ लंबे समय के लिए रहता है। हास्य आपको कठिन परिस्थितियों, निराशाओं और नुकसान के माध्यम से सकारात्मक, आशावादी दृष्टिकोण रखने में मदद करता है। 

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अदिति तिवारी

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