हमेशा एक अच्छे योग सेशन के बाद बहुत रिलैक्स महसूस होता है। असीम शांति और आराम भी मिलता है। कई शोध बताते हैं कि योग करने के बाद मूड बूस्ट होता है। यदि अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को नियमित रूप से योग कराया जाये, तो वे विकारों से मुक्त हो सकते हैं। डिवाइन सोल योग के डायरेक्टर डॉ. अमित खन्ना बताते हैं कि कई योग हैं, जो डिप्रेशन और एंग्जायटी से छुटकारा दिलाते हैं।
योग और आसन स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ा देते हैं। सेराटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमें अच्छा महसूस कराता है। योगासन हमारे मूड को बूस्ट करने के लिए ब्लड पंप करते हैं। यह ध्यान और सांस तकनीक के माध्यम से आराम की स्थिति में लाकर शांत करता है। इससे एंग्जाइटी को दूर करने का बढिया विकल्प बनता है। योग की सैकड़ों मुद्राएं हैं, जो चिंता और अवसाद से निपटने में मदद कर सकती हैं। कुछ आसनों का अभ्यास करना भी आसान है।
दिमाग अशांत लग रहा है या किसी बात पर बहुत अधिक क्रोध आता है या चिंता होती है, तो इन योगासनों का सहारा लें।
योग मैट पर पैरों को क्रॉस करके बैठ जाएं।
धड़ को कूल्हों की सीध में रखें। रीढ़ सीधी और स्ट्रेट रहे।
टेलबोन को स्ट्रेच करें। कंधों को पीछे और नीचे ले जाएं।
हाथों को घुटनों पर टिका लें। आंखें बंद करें। गहरी और सुकून भरी सांसें लें।
ध्यान हार्ट पर होनी चाहिए।
इस अवस्था में देर तक रहा जा सकता है।
पीठ को सपाट रखें। हाथों और घुटनों को नीचे की तरफ झुकाएं।
पैर की उंगलियों से जमीन पर जोर देकर हिप्स को ऊपर उठाएं।
पैरों और बाहों को सीधा कर लें।
ऊपर उठने के लिए हाथों से हिप्स को जमीन की ओर दबाएं।
शरीर उल्टे वी-शेप में होनी चाहिए।
कुछ सांसें लेने के बाद धीरे से पहले की स्थिति में आयें।
योग मैट पर पेट के बल सीधे लेट जाएं।
पैर की उंगलियों को नीचे की ओर रखते हुए पैरों को पीछे ले जाएं।
हथेलियों को कंधे के ब्लेड के पास चटाई पर नीचे की ओर रखें।
ऊपरी शरीर को ऊपर उठाने के लिए हथेलियों को दबाएं। रीढ़ की हड्डी को सही तरीके से घुमाते हुए ऐसा करें।
कंधों को पीछे रखते हुए छाती और सिर को ऊपर उठाएं।
पूरे शरीर को स्ट्रेच करें।
पहले की स्थिति में आने से पहले गहरी सांस लें।
चटाई पर बड़े पैर की उंगलियों को छूते हुए घुटने टेकें। घुटने कूल्हों से थोड़े अलग होने चाहिए।
भुजाओं और छाती को आगे की ओर फैलाते हुए आगे की ओर झुकें।
सिर को चटाई या किसी कंबल पर टिकाएं। बाहें सिर के ऊपर हों।
वापस ऊपर बैठने से पहले गहरी सांस लें। जितनी देर आप चाहें उतनी देर तक सांस लें।
हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
हाथों को हिप्स के पास रखें। आगे की ओर झुकते हुए घुटनों को थोड़ा मोड़ लें।
छाती जांघों को छूनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो घुटनों को और मोड़ने की कोशिश करें।
हाथों को नीचे ले जाएं और टखनों को पकड़ लें।
धीरे-धीरे वापस ऊपर खड़े होने से पहले सांस लें।
योग मैट पर सीधी लेट जाएं। पैरों को अलग कर लें।
बाहों को शरीर के साथ रखें। हाथ धड़ से थोड़ा अलग हो।
रिलैक्स हो जाएं।
माइंड को एकाग्रचित्त करने का प्रयास करें। स्वाभाविक रूप से सांस लें और छोड़ें।
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