हमारे अंदर भावनाओं का समुद्र है। जैसे ही हम अपने बारे में कोई विचार या प्रतिक्रिया सुनते हैं, हमारी भावनाएं काम करने लगती हैं। ये भावनाएं पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों हो सकती हैं। हमें अपनी भावनाओं पर नियंत्रण या उसका मैनेजमेंट जरूर आना चाहिए। पर सभी से यह संभव नहीं हो सकता है। विशेषज्ञ के बताये टिप्स को फॉलो करने पर हमें अपनी भावनाओं को रेगुलेट करना या भावनाओं का मैनेजमेंट (Emotional Management) करना सीख सकते हैं। साइकोलोजिस्ट डॉ. सानिया बेदी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में इसके बारे में बताती हैं।
भावनात्मक प्रबंधन यानी इमोशनल मैनेजमेंट एक तरह की स्किल या कौशल है, जो व्यक्ति को लोगों या घटनाओं पर रचनात्मक प्रतिक्रिया करने में मदद कर सकता है। भावनाओं को प्रबंधित करने पर पारिवारिक या प्रोफेशनल स्तर पर दूसरों के साथ संबंध विकसित करने में मदद मिलती है। इससे रिश्ते प्रगाढ़ (Relationship Bonding) होते हैं और प्रोफेशन में भी लाभ मिलता है। लेकिन कैसे किया जाए भावनाओं का प्रबंधन (how to do Emotional Regulation)।
डॉ. सानिया बेदी बताती हैं कि भावनाओं का प्रबंधन करने के लिए सबसे जरूरी है अपने इमोशन की पहचान करना। इसके लिए मन और शरीर में हो रहे परिवर्तनों का अनुभव करना चाहिए। कई बार हम अपने इमोशन की पहचान नहीं कर पाते हैं। इसके कारण हम अपने-आपको हानि पहुंचा देते हैं। जब हम अपनी भावनाओं को पहचानना सीख जायेंगे, तो उसका सही तरीके से प्रबंधन भी हो सकेगा। क्योंकि इससे सही और गलत को पहचानना आसान हो जायेगा।
हर हमेशा हम अपने इमोशन को जज करते रहते हैं, उसे गलत ठहरा देते हैं। जब तक अपनी भावनाओं को नेगेटिव कहना नहीं छोड़ेंगे, तब तक इस ओर डेवलपमेंट होना असंभव है। जरूरी नहीं है कि हमेशा हम ही गलत हों। नेगेटिविटी किसी भी समस्या को और अधिक गंभीर बना देती है। इसलिए हमें हमेशा खुद को नेगेटिव साबित करने की होड़ छोड़ देनी चाहिए।
डॉ. सानिया कहती हैं, ‘अपने आप से यह जरूर पूछें कि आपके इमोशन आपसे क्या कहना चाहते हैं।’ हम हमेशा दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखने के लिए अपनी भावना या अपनी इच्छा को मार लेते हैं। ऐसा करने से सिर्फ हम अपना नुकसान करते हैं। कभी अपने मन की बात को भी मानना चाहिए। संभव हो कि इसमें ही आपका करियर ग्रोथ या प्ररिवार की भलाई छुपी हो।
अपने इमोशन की पहचान करें और उसे सुरक्षित तरीके से एक्सप्रेस करने की भी कोशिश करें। सामने वाले के सामने सकारात्मक तरीके से उसे अभिव्यक्त करने कोशिश करें। जरूरी नहीं है कि आपकी बात सभी को समझ में आ जाए। खुद को एक्सप्रेस करने के कई और रचनात्मक तरीके भी हो सकते हैं। इसके अंतर्गत गहरी सांस लेना भी हो सकता है।
कम से कम 5 मिनट के लिए प्राणायाम आपको भावनात्मक समस्या से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी भावनाओं के प्रबंधन में मदद कर सकती है। अपनी रुचि का काम जैसे कि कलरिंग, पेंटिंग करने के माध्यम से आप अपने इमोशन को एक्सप्रेस कर सकती हैं।
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