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इन 3 योगासनों को अगर आपने अब तक ट्राई नहीं किया है, तो आज ही से करें दिमाग को कूल करने वाले इन योगासनों का अभ्यास

एक साथ कई सारे काम पूरा करने के कारण हमारा दिमाग तनाव ग्रस्त हो जाता है। योग एक्सपर्ट बताते हैं कि 3 योगसन दिमाग को रिलैक्स करने में मदद कर सकते हैं।
यहां हैं गायत्री मंत्र का जाप करने के कुछ महत्वपूर्ण फायदे। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:12 am IST
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हमारे जीवन में टू डू की लिस्ट बहुत लंबी होती है। घर और बाहर के इतने काम होते हैं कि इसे पूरा करते हुए हमारा दिमाग थक जाता है। माइंड आराम करना चाहता है। माइंड को रिलैक्स करने के लिए योग सबसे बढ़िया माध्यम है। योगासन से तनाव कम होता है, आराम मिलता है और समग्र रूप से बेहतर महसूस करने में भी मदद मिलती है। जब समय कम हो, तो हम चाहते हैं कि ऐसे योग आसन किये जाएं, जिनके स्टेप्स करना आसान हो। माइंड को रिलैक्स करने वाले योग के बारे में जानने के लिए हमने माइंड सोल योग के डायरेक्टर और योग थेरेपिस्ट डॉ. अमित खन्ना से हमने बात की।

योग कैसे रिलैक्स करता है दिमाग को

डॉ. अमित खन्ना बताते हैं, ‘योग शरीर की विश्राम अवस्था को चालू करके तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है। साइंस भी यह प्रमाणित कर चुका है कि यह अवस्था पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करने के माध्यम से होती है। योगाभ्यास से हम सचेत रूप से सांस ले पाते हैं। पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र सक्रिय होने पर यह हृदय और तंत्रिकाओं को संकेत भेजता है। उन्हें आराम करने के लिए कहता है। इससे पूरा शरीर विश्राम की अवस्था में आ जाता है।
यहां हैं योग जो दिमाग को रिलैक्स करते हैं

यहां हैं 3 योगासन जो दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करते हैं 

1 मत्स्यासन (Matsyasana)

यह मुद्रा पूरे ऊपरी शरीर को खोलने का काम करती है। यह तनाव मुक्त करती है और माइंड को आराम पहुंचाती है।

कैसे करें मत्स्यासन (How to do Matsyasana)
पूरे शरीर को शांत कर लें। पद्मासन में बैठ जाएं।
शरीर को सहारा देने के लिए हाथों और कोहनियों से काम लें। धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें।
सिर को पीछे ले जाएं। छाती को थोड़ा ऊपर उठाएं। सिर के शीर्ष को फर्श पर नीचे की ओर बढायें।

मत्स्यासन तनाव मुक्त करता है और माइंड को आराम पहुंचाता है। चित्र :शटरस्टॉक।

पैर की उंगलियों को हाथों से पकड़ें। कोहनियों को फर्श पर टिकाने की कोशिश करें।

बैक बोन पर पड़ना चाहिए दवाब 

सिर को अन्य अंगों के साथ समायोजित करने की कोशिश करें। इससे पीठ पर दवाब पड़ सकेगा।
दोनों हाथों और पूरे शरीर को शांत और स्थिर कर लें।
आंखें बंद करें और धीरे-धीरे और गहरी सांस लें।
आसन की इन प्रक्रियाओं के क्रम को उलटते हुए शुरुआत वाली स्थिति में लौटें।

सावधानी: जो लोग हृदय रोग, पेप्टिक अल्सर, हर्निया से पीड़ित हैं, उन्हें इसके अभ्यास से बचना चाहिए। साथ ही घुटने के गठिया में पद्मासन से परहेज करें। यह अभ्यास पैर को सीधा रखकर किया जा सकता है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका प्रयास नहीं करना चाहिए।

2 विपरीत करणी (Viparita Karani Or Legs Up The Wall Pose)

सोने से पहले इस आसन का अभ्यास करने से पीठ में खिंचाव होता है। इस मुद्रा को नियमित रूप से करने पर चिंता और अवसाद से निपटने में मदद मिलती है।

कैसे करें विपरीता करणी

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कस्टमाइज़ करें

समतल सतह पर लेट जाएं।
कूल्हों को जितना हो सके दीवार के करीब ले जाएं। अपने पैरों को दीवार पर तब तक चलाने की कोशिश करें जब तक कि आपका शरीर एल आकार का न हो जाए।

दीवार के सहारे पैर को उठाने की कोशिश करनी चाहिए। चित्र : शटर स्टॉक

इस स्थिति में स्थिर रहने की कोशिश करें, ताकि इस मुद्रा में आराम महसूस कर सकें। सिर के नीचे एक तकिया या अपनी पीठ के तल पर तौलिया का उपयोग कर सकती हैं।
इन तीनों आसनों के अलावा बालासन (Child Pose) और शवासन(Corpse Pose) भी दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करते हैं।

3 सर्वांगासन (Sarvangasana)

इस आसन से दिमाग रिलैक्स होता है। इससे शरीर के लगभग सभी अंगों पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।

कैसे करें सर्वांगासन (How to do Sarvangasana)
योग मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। सिर और बैकबोन एक सीध में होना चाहिए। पैर बिल्कुल स्ट्रेट और एक साथ हों।
हथेलियों को फर्श की ओर रखते हुए अपने हाथों को शरीर के बगल में रखें।
इस अवस्था में पूरे शरीर और दिमाग को आराम दें।
पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ें। हाथों के सहारे धीरे-धीरे पैरों को सीधा रखते हुए सीधे ऊपर उठाएं।
जब पैर एक सीध में हों, तो हाथों को नीचे फर्श पर दबाएं।
धीरे-धीरे और सुचारू रूप से हिप्स को रोल करें और बैकबोन को फर्श से ऊपर उठाएं।
धड़ को ऊर्ध्वाधर यानी वर्टिकल स्थिति में उठाएं

पीठ को दें सहारा 

हाथों की हथेलियों को ऊपर की ओर मोड़ें। कोहनियों को मोड़ें। हाथों को रीढ़ की हड्डी से थोड़ा दूर पसलियों के पीछे रखें। इससे पीठ को सहारा मिलेगा।
कंधे की चौड़ाई से कोहनी अलग होनी चाहिए।
धीरे से छाती को आगे की ओर धकेलें ताकि यह ठुड्डी पर मजबूती से दब जाए।
अंतिम स्थिति में पैर को लम्बाई में रखते हुए एक साथ रखें।
यह धड़ के साथ एक सीधी रेखा में होना चाहिए।
इससे शरीर को कंधों, गर्दन की नस और सिर के पिछले हिस्से पर सहारा मिलता है। बाहें स्थिरता प्रदान करती हैं

आंखें होनी चाहिए बंद 

छाती ठोड़ी पर टिकी होती है और पैर स्थिर होते हैं।
आंखें बंद रखें।

इससे शरीर के लगभग सभी अंगों पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। चित्र शटरस्टॉक।

अंतिम मुद्रा में पूरे शरीर को जितनी देर हो सके, आराम दें।
वापस सामान्य मुद्रा में आने के लिए पीठ, कमर और फिर टांगों को बिना झटके के नीचे लाएं और सिर को ऊपर उठाएं।
सावधानी : इस आसन को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, हाई ब्लड प्रेशर या दिल की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान इससे बचना चाहिए।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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