एक के बाद एक पार्टनर की सभी बातों को मानना और उसके मुताबिक चलना रिश्ते को भले ही स्मूद और हेल्दी बना दें। मगर कहीं ये इमोशनल ब्लैकमेलिंग का संकेत तो नहीं। कभी प्यार तो कभी फटकार से अपनी बात को मनवा लेना और फिर खुद को ही सही साबित करना रिश्ते में इमोशनल ब्लैकमेलिंग को दर्शाता है। दरअसल, रिश्ते में जब अपने पार्टनर की भावनाओं की परवाह किए गए बगैर अनावश्यक दबाव महसूस होने लगे, तो उससे रिश्ते की नींव कमज़ोर होने लगती है। जानते हैं इमोशनल ब्लैकमेलिंग क्या और उससे उबरने के उपाय भी।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि भावनात्मक ब्लैकमेलिंग मेनीप्यूलेशन का वो तरीका है, जिसमें कोई व्यक्ति अपने पार्टनर की भावनाओं का प्रयोग उसके व्यवहार को नियंत्रित करन के लिए करता है। इसका पता रिश्ते में बढ़ने वाले प्रैशर, डिमांड, बॉडी लैंग्वेज और किसी बात के लिए बार बार मज़बूर करने के तरीके से लगाया जा सकता है।
ऐसे लोग अक्सर खुद को मासूम ठहराते हुए पूरी गलती के लिए पार्टनर को जिम्मेदारी है। पार्टनर की शिकायत को सुनने से पहले ही उसे किसी न किसी बात पर दोषी बनाकर कटघरे में खड़ा कर देते हैं। इससे दूसरा व्यक्ति अपराध बोध में ही अपना जीवन गुज़ारने लगता है।
हर बार दूसरों के बारे में चिंता करने से पहले अपने स्वास्थ्य पर फोकस करें। इसके अलावा अपनी मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए विभिन्न एक्टीविटीज़ में खुद को बिज़ी कर लें। ब्लैकमेलिंग और दोषों से बचने के लिए अपनी हेल्थ को लेकर सकारात्मक रहें और सेल्फ ग्रूमिंग के लिए समय निकालने की कोशिश करें।
हर व्यक्ति की अलग महत्वकांक्षाएं होती है, जो जीवन में आने वाले किसी व्यक्ति के लिए नहीं त्यागी जा सकती हैं। अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं पर फोकस लें। पार्टनर के नकारात्मक रैवये से अपनी अहमियत को न खोएं। साथ ही हर गलती के लिए अपने आप को न कोसें। गलतियों से सीख लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
जब आप हर प्रकार से पार्टनर पर निर्भर हो जाते हैं, तो उस वक्त ऐसे व्यक्ति को टेकन फॉर ग्रांटिड लिया जाता है। अपने अस्तित्व की तलाश करें और हर बार खुद को आरोपी साबित होने से बचाएं। फाइनेंशियली इंडिपेंडेट होने से अपने जीवन के छोटे फैसले आप आसानी से ले पाएंगे और पार्टन्र की ब्लैक मेलिंग से बच पाएंगे।
परिवार के किसी भी सदस्य से जुड़ी समस्या को अपने पार्टनर से लिंक करके उसे प्रताड़ित करना, उसके आत्मविश्वास को खत्म करने लगता है। ऐसे में अपने पार्टनर को उसकी सीमाओं का बोध कराएं और अपने लिए समझदारी से आवाज़ उठाते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करें।
हर काम के लिए पार्टनर की अनुमति लेने से व्यक्ति पूरी तरह से दूसरों पर डिपैंड होने लगता है। इससे व्यक्ति अपनी मर्जी और चहतों को भुला देता है, जिसका फायदा दूसरा व्यक्ति उठाने लगता है। ऐसे में हर कार्य को पार्टनर के अनुसार करने से बचें। अपनी इच्छाओं को प्रमुखता से आगे रखें और हर समय आंखे बदं करके अपने पार्टनर की इच्छाओं को मानने के लिए आप बाध्य नहीं होती है। इसके लिए पार्टनर की मर्जी को मानने की जगह बातचीत करें और निष्कर्ष निकालें।
हर काम की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लेने से व्यक्ति दिनभर थका हुआ और परेशान रहने लगता है। ऐसे में पार्टनर का इंटरस्ट भी कम होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए अपने कार्यों को डिवाइड कर लें और हेल्दी रहने का प्रयास करें। इससे बार बार होने वाली इमोशनल ब्लैकमेलिंग से बचने में मदद मिल पाएगी।
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