आधुनिकता के इस दौर ने भले ही बचपन के मायनों को काफी हद तक बदल दिया हो। मगर बच्चों के चेहरे पर वो मासूमियत, चेहरे पर चुलबुलाहट और कुछ पाने की जिद्द हर दौर में वैसी ही है। अब बच्चों का ये व्यवहार कई बार माता पिता के लिए तनाव का कारण बनने लगता है। वो जीवन के इस हसीन दौर से गुज़र रहे बच्चों की मासूमियत को समझ नहीं पाते हैं और उन्हें कंट्रोल करने लगते हैं। जो बच्चों की सुनहरी दुनिया में डर और चिड़चिड़ेपन का कारण बनने लगता है। इससे बच्चे हताश और कुछ निराश होने लगते हैं।
घर और ऑफिस में तालमेल बैठाने की जुगत में परिजन तनाव का शिकार होने लगते हैं। ऐसे में वो अपना गुस्सा बच्चों पर बेवजह उतारने लगते हैं। जो पेरेंटिंग स्ट्रेस का कारण बनने लगता है। जो बच्चों से न केवल उनका बचपन छीन लेती है बल्कि उन्हें पैरेंटस से भी दूर करने लगता है। इस प्रकार की स्ट्रिक्ट पैरेंटिंग बच्चों की मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाने लगती है। इससे बच्चों में विरोध की भावना जन्म लेने लगती है। वहीं पैरेंटस और बच्चों के मध्य भी फांसला बढ़ने लगता है। जानते हैं पैरेंटिंग स्ट्रैस से कैसे निपटें। (Tips to release parenting stress)
परिवार के अन्य लोगों की दखलअंदाज़ी
वर्कलोड का बढ़ना
बच्चों का जिद्दी व्यवहार
नींद पूरी न हो पाना
बच्चों का अनुचित आचरण
दूसरे बच्चें से अपने बच्चों की तुलना
कई बार हम ये नहीं जान पाते कि किस कारण से हम अंदर ही अंदर परेशान बने हुए है। ऐसे में अपनी समस्याओं को जानने का प्रयास करें। इससे लिए कुछ वक्त अकेले बैठें और अपनी समस्याओं को एकत्रित करें। इससे आप आसानी से उस परेशानी से बाहर आ पाएंगे। खुद को मेंटली फिट रखने के लिए कुछ वक्त मेडिटेशन करें और बच्चों को अपनी फ्रस्टरेशन का शिकार न बनाएं।
कभी ऑफिस तो कभी किसी दोस्त के कारण आप तनाव का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में बार बार वहीं बातें आपको परेशान करने लगती है। घर पहुंचते ही बच्चों पर आपका गुस्सा फूट पड़ता है। इससे आपका घरेलू जीवन भी कई परेशानियों से होकर गुज़रने लगता है। ऐसे में बाहरी चिंताओं को घर में अपने साथ न लेकर आएं और बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करें।
कम सोने से भी आप तनाव की चपेट में आने लगते हैं। नींद पूरी न होने से मस्तिष्क थकान महसूस करता है। इससे आपके व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। जो आपकी चिंताओं को बढ़ा देता है और बच्चों के साथ आपका व्यवहार नकारात्मक होने लगता है। मेंटल हेल्थ को उचित बनाए रखने के लिए 7 से 8 घंटे की पूरी नींद लें।
घूमने फिरने से आप बच्चो के व्यवहार को समझने लगते हैं और आपका माइंड भी तरोताज़़ा बना रहता है। दुश्चिंताओं से बचने के लिए कुछ वक्त बच्चों के साथ बाहर स्पैंण्ड करें। इससे बच्चों के साथ आपका बॉन्ड मज़बूत बनने जगता है। साथ ही माइंड में तनाव का स्तर भी कम होने लगता है। जो आपके रिश्ते में मज़बूती का कारण बन जाता है।
इस बात को समझना बेहद ज़रूरी है, कि हर कार्य आप खुद अकेले नहीं कर सकते हैं। ऐसे में परिवारजनों की मदद लेने में न हिचकें। काम को डिवाइड करने से आपका वर्कलोड कम होने लगेगा। जो तनाव को रिलीज़ करने में मददगार साबित होगा। दूसरों की मदद लेकर काम करने से आपके पास बच्चों के लिए भी कुछ वक्त निकल पाएगा। इससे बच्चे आपके करीब आने लगेंगे।
कोई व्यक्ति अगर आपके बच्चे के बारे में कुछ भी कह रहा है। तो उसकी बातों में आने की बजाय अपने बच्चे के व्यवहार पर नज़र बनाए रखें। उसे समझे और डांटने से बचें। कंट्रोल्ड पैरेंटिंग बच्चों को आपसे दूर कर सकती है। साथ ही उनके आत्मविश्वास में भी कमी आने लगती है। उन्हें प्यार करें और हर पल उनकी गलतियों और नाकामियों को हाइलाइट करने से बचें।
बचपन किसी सीढ़ी का वो पहला कदम है, जहां बच्चे में संस्कारों की नींव रखी जाती है। उसे अपने से बड़ों और छोटों से व्यवहार करना सिखाया जाता है। इससे बच्चे में सोशल स्किल्स डेवलप होने लगते हैं। वो आस पास के लोगों से मिलता जुलता है और बात करने में कंफर्टेबल महसूस करता है। इससे बच्चे की मेंटल हेल्थ भी मज़बूत होने लगती है।
बच्चों को मानसिक तौर पर हेल्दी बनाए रखने के लिए गुस्सा करना बंद कर दें। इससे बच्चे में आक्रोश की भावना बढ़ जाती है। उनकी कमियों पर फोक्स न करें और उन्हें अपने कार्यों के लिए एप्रीशिएट करें। इससे बच्चे डर के साएं से मुक्त होकर आगे बढे़गे।
अगर आप हर पल बच्चे को कंट्रोल करने का प्रयास करते रहेंगे, तो इससे बच्चों के न केवल क्रिएटिव स्किल्स कम होने लगते हैं बल्कि लोगों से बात करने में भी हिचकिचाहट महसूस करते हैं। सॉफ्ट स्पोकन बनें और बसत बात पर डांटने और फटकारने की बजाय उन्हें अलग अलग उदाहरणों के माध्यम से चीजों को समझाएं।
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