पहला सुख निरोगी काया। यह एक पुरानी कहावत और ऑलटाइम सच्चाई है। अगर आप स्वस्थ नहीं हैं, तो कोई भी चीज आपको संतुष्ट नहीं कर सकती। कोरोनावायरस के कारण बहुत सारे तनाव, चिंताएं और परेशानियां बढ़ गईं हैं। लेकिन अगर आप खुद को इस तनाव के समय भी पॉजिटिव बनाए रखती हैं और सेहत पर ध्यान देती हैं, तो यह दौर आपको नुकसान की बजाए कुछ सबक देकर जाएगा।
हाल ही में हुए एक सर्वे में यह सामने आया है कि कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर के 50 फीसदी से ज्यादा युवा एंग्जायटी और डिप्रेशन का सामना कर रहे हैं। इनमें भी 17 फीसदी युवा ऐसे हैं, जो गंभीर किस्म के मानसिक रोगों के गिरफ्त में आ सकते हैं।
कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चलते दुनिया के आधे युवा अवसाद और चिंता के शिकार हैं। एक तिहाई से अधिक भविष्य में अपने करियर को लेकर अनिश्चित हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, दुनिया भर में दो में से एक (यानी 50 प्रतिशत) युवा चिंता या अवसाद का शिकार हैं, जबकि इनमें से 17 प्रतिशत शायद काफी अधिक प्रभावित हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो युवाओं के ऊपर इस महामारी का गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले प्रतिकूल प्रभावों का खतरा है।
आईएलओ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन के हर पहलू को बाधित कर दिया है। संकट की शुरुआत से पहले भी, युवाओं के सामाजिक और आर्थिक एकीकरण को लेकर लगातार चुनौती थी और यदि अब तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो युवाओं के महामारी से गंभीर रूप से पीड़ित होने की आशंका है, जिसका असर लंबे समय तक रहेगा।
आईएलओ के इस सर्वेक्षण में 18 से 29 वर्ष तक की उम्र वाले लोगों पर महामारी के कारण रोजगार, शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, अधिकारों और सामाजिक सक्रियता से संबंधित असर के बारे में पता लगाया गया। सर्वेक्षण के तहत 112 देशों के 12,000 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं, जिसमें बड़ा हिस्सा इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले शिक्षित युवाओं का है।
महामारी के कारण सीखने और काम करने को लेकर गंभीर व्यवधान पैदा हुआ है, जिसके युवाओं की मानसिक स्थिति कमजोर हुई है। 18 से 24 वर्ष की आयु वाले युवाओं की मानसिक स्थिति सबसे अधिक दबाव में है।
निश्चित ही डाटा परेशान करने वाला है। सबसे ज्यादा यह कि ये उन लोगों के बारे में बात कर रहा है जो जीवन की सबसे एनर्जेटिक एज यानी 18 से 24 वर्ष के बीच होते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप खुद को तनावग्रस्त युवाओं के समूह में शामिल होने से बचाएं।
यह जितना कहना आसान है, फॉलो करना उतना ही मुश्किल। फिर भी इसके अलावा दूसरा कोई विकल्पन नहीं है। अभी सिचुएशन आधा गिलास खाली वाली है। पर आपको बचे हुए आधे भरे हुए गिलास पर खुद को फोकस करना है। जितना सकारात्मक रहेंगी, उतना ज्यादा कूल रह पाएंगी।
यह एक तरह की टेंडेंसी बन गई है कि जब आप तनाव में होते हैं तो आप स्मोकिंग और एल्कोहल जैसे रास्ते अपनाते हैं। पर यह केवल छिपने का रास्ता है, इसमें समाधान की कोई गारंटी नहीं। बल्कि यह चीजें आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाकर आप पर मानसिक, आर्थिक और शारीरिक बोझ भी बढ़ा देंगी।
आपके घर की दाल-रोटी या दाल-चावल सिर्फ हेल्दी ही नहीं है, बल्कि यह आपके लिए सस्ती भी है। तो कोरोनावायरस ने आपको फिर से अपने पारंपरिक और स्व्स्थ भोजन की ओर लौटने का एक मौका दिया है। आप हेल्दी और सिंपल डाइट लें। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्यादा फायदेमंद होगी।
कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि शारीरिक रूप से सक्रिय रहना आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद होता है। बाहर जाकर रनिंग या वर्कआउट नहीं कर सकती तो घर पर ही योगासन करें, घरेलू कामों का अभ्यास करें, डांस करें। कुछ भी जिसे आप शौक से कर सकती हैं, वह आपको फिजिकली फिट रखने के साथ-साथ मेंटली भी कूल रखेगा।