हमारे दिमाग में दिन भर कई तरह के विचार आते रहते हैं। उनमें कुछ सकारात्मक होते हैं, तो कुछ नकारात्मक। हमारे विचार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आपके विचार नकारात्मक हैं, तो मन और शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं, वहीं सकारात्मक विचार मन और शरीर पर बढ़िया प्रभाव डालते हैं। स्वस्थ शरीर के लिए मन का विचारों से आजाद होना बहुत जरूरी है।
मन के विचार किस तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं और मन को विचारों से कैसे आजाद किया जाए, इसके लिए हमने बात की नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के लिबरट आर्ट स्कूल में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी से।
डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी कहते हैं, “हमारे विचार फिजिकल और मेंटल हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब हम उदास, क्रोधित या दूसरों के प्रति जलन महसूस करते हैं, तो हमारे मन में वैसे ही नकारात्मक विचार और भाव उत्पन्न होते हैं। इससे स्ट्रेस हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शारीरिक उत्तेजना का कारण बनते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, हाई पल्स रेट, हाई ग्लूकोज लेवल आदि इसके कुछ लक्षण हैं। यदि इन स्वास्थ्य समस्याओं को दूर नहीं किया जाता है, तो लंबे समय में इनसे हार्ट प्रॉब्लम भी हो सकता है।”
सभी अवांछित या अप्रासंगिक विचारों से स्वयं को मुक्त करना महत्वपूर्ण है। ज्यादातर डिसऑर्डर तर्कहीन सोच की वजह से ही होते हैं। इन्हें ऑटोमेटिक थॉट कहा जा सकता है। ऊपरी तौर पर इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं दिखता है, लेकिन यह हमारे स्वास्थ्य को लगातार प्रभावित करता रहता है।
यदि हम किसी प्रतियोगिता परीक्षा में असफल होते हैं, तो उस पर बहुत अधिक या लगातार सोचने का कोई मतलब नहीं है। असफलता के कारणों को ढूंढ़ना और उस पर कार्य करना जरूरी है न कि तर्कहीन बातों पर विचार करते रहना। साइकोलॉजिस्ट नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद करते हैं।
नकारात्मक विचारों पर अमेरिका में लगभग 30 सालों में 300 से अधिक स्टडी की गई। इस स्टडी के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि मन में उठ रहे नकारात्मक विचार इम्यून सिस्टम, इनफ्लेमेशन, ब्लड सेल्स प्रोडक्शन को प्रभावित करते हैं। जो लोग नकारात्मक विचारों से लैस रहे, उनका न सिर्फ इम्यून सिस्टम प्रभावित हुआ, बल्कि तनाव, एंग्जायटी आदि भी उन्हें अधिक हुआ।
कई लोग पुरानी गलतियों पर बार-बार अफसोस करते और सोचते रहते हैं। हमें पास्ट में नहीं, बल्कि वर्तमान में जीना चाहिए। पुरानी बातों को भुलाकर नई बातों और नई योजनाओं पर काम करना चाहिए।
कल्पना की उड़ान में हम पूरी दुनिया की सैर कर लेते हैं। काल्पनिक जगत हमेशा हमें भ्रम की ओर ले जाता है। भ्रम में जीने की बजाय वास्तविकता मे जिएं। यथार्थवादी बनें। कल्पना करने की बजाए आपमें जिस कार्य को करने की क्षमता है वह करें।
मन को विचारों की कैद से मुक्त करना चाहती हैं, तो स्वयं को खुशी देने वाले कार्य करें। उदाहरण के लिए यदि आपको सजना-संवरना अच्छा लगता है, तो नकारात्मक विचारों को मन से दूर भगाने के लिए स्वयं को सजाने-संवारने का उपक्रम करें।
आपने देखा होगा कि यदि आप बढ़िया तरीके से तैयार हो जाती हैं, तो आप बहुत बढ़िया महसूस करती हैं। आप चाहें, तो कुछ दिनों के लिए अपने मनपसंद स्थान की यात्रा पर भी निकल सकती हैं।
यदि आप कोई प्रेरणादायी किताब पढ़ती हैं, तो किताब में उल्लेख की गई बातें, व्यक्ति के जीवन-संदर्भ भी आपके मन को प्रफुल्लित कर सकते हैं। प्रेरण प्रसंग न सिर्फ आपको बढ़िया कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे, बल्कि नकारात्मक विचारों से भी मुक्त करेंगे।
ज्यादातर लोग डायरी में अपने मन की बात नोट करते हैं। डायरी एक तरह से आपके वेलनेस की राजदार होती है। यदि आप बीमार महसूस करती हैं, तो नकारात्मक विचार नोट करती हैं।
यदि आपका मन खुश होता है, तो सकारात्मक विचार आपकी कलम से निकलते हैं। आप मन में उठ रहे विचारों को डायरी में नोट कर भी खुद को मुक्त महसूस कर सकती हैं।
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