बबात करते करते अचानक से गुस्से में आकर तेज़ बोलना और चिल्लाना न केवल मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि इससे कई शारीरिक समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं। बार बार आने वाला गुस्सा ब्लड सेल्स को क्षतिग्रस्त करने का कार्य करता है। दरअसल, गुस्से में आने वाले तनाव हार्मोन यानि कार्टिसोल का रिसाव बढ़ जाता है, जिससे हृदय संबधी समस्याओं समेत रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी नुकसान का सामना करना पउत्रता है। जानते हैं क्रोधित होना शारीरिक स्वास्थ्य को कैसे पहुंचाता है नुकसान और इस समस्या को दूर करने के उपाय।
किसी भी व्यक्ति के क्रोधित होने पर कई शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन क्रोध को हल्की जलन से लेकर क्रोध और क्रोध तक के रूप में समझाता है। इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ बसवराज एस कुम्बर बताते हैं ब्रेन में अमिग्डाला एड्रेनल ग्लैंड को तनाव हार्मोन जैसे एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल जारी करने के लिए संकेत भेजता है। इससे मांसपेशियां तनावग्रस्त होने लगती हैं। साथ ही शरीर पर उसका गहरा प्रभाव देखने को भी मिलता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाएं हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। रिसर्च के अनुसार जो लोग पुरानी स्थितियों को याद करके चिंतित हो जाते हैं। उन्हें गुस्सा, चिंता या दुख का सामना करना पड़ता है। इससे ब्लड वेसल्स की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के अनुसार क्रोध हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। इससे हृदय संबंधी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। जब हम क्रोधित होते हैं, तो शरीर में कैटेकोलामाइन जैसे तनाव हार्मोन की अधिकता होने लगती है।
क्रोध के लगातार बने रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है, जिससे शरीर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इम्यूनोलॉजी के अनुसार क्रोध का असर प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी देखने को मिलता है। इससे शरीर में मौसमी बीमारियों के पनपने का जोखिम बढ़ जाता है।
तनाव हार्मोन पाचन को बाधित कर सकते हैं, जिससे पेट में दर्द, एसिड रिफ्लक्स या इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के अनुसार गुस्सा करने से पाचन संबधी समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। इससे शरीर में ब्लोटिंग, अपच और पेट दर्द की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा भूख भी कम होने लगती है।
हर समय गुस्से में रहने से मांसपेशियों में दर्द का सामना करना पड़ता है। इस तनाव के चलते अक्सर सिरदर्द, पीठ दर्द और मसल्स से जुड़ी अन्य समस्याएं बनी रहती हैं। न्यूरोस्पाइन के रिसर्च के अनुसार जिन प्रतिभागियों में मध्यम से लेकर गंभीर क्रोध की समस्या पाई गई, उनमें पीठ और गर्दन में दर्द का जोखिम बढ़ गया।
हालांकि क्रोध कुछ स्थितियों के लिए एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया हो सकती हैए लेकिन क्रोध के छोटे और तीव्र दौर दिल की समस्याओं के अलावा रिश्तों में भी समस्या पैदा कर सकते हैं। ऐसे में कुछ टिप्स की मदद से क्रोध को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
दिन की शुरूआत व्यायाम से करें। इससे शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने लगता है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उचित बना रहता है। इससे बॉडी एक्टिव व हेल्दी रहता है। इसमें कार्डियो, एरोबिक्स व जॉगिंग व वॉकिंग को शामिल किया जा सकता है।
अपने मन में उठने वाले विचारों को गुस्से में आकर व्यक्त करने की जगह उन्हें रोज़ाना डायरी में लिखकर दर्ज कर दें। इससे व्यक्ति को मन में उठने वाली भावनाओं को बाहर निकालने में मदद मिलती है। ऐसे में व्यवहार में सकारात्मकता बढ़ने लगती है।
तनाव और क्रोध से राहत पाने के लिए गुस्सा आने पर उसे व्यक्त करने से बचें और 10 से 1 तक उल्टी गिनती को गिनें। इससे व्यक्ति धीरे धीरे गुस्से को नियंत्रित कर सकता है और समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
अपने आप को गुस्से की स्थिति से बाहर निकालने के लिए दोस्तों से मिलें और बातचीत करें। इससे मन में उठने वाले विचारों को दूर करके समस्या हल होने लगती है। साथ ही पसंदीदा कार्यों को करने के लिए भी दिनभर में कुछ समय निकालें।
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