कल्पना कीजिए,एक चिमनी के भीतर कोयला जल रहा है, पर भाप को निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा। कोई शुबहा नहीं कि वह फट जाएगी।
ठीक ऐसा ही आपके साथ होता है, जब आप भावनात्मक रूप से चोटिल होते हैं। अगर आप इन नकारात्मक भावनाओं को अपने भीतर इकट्ठा करते रहेंगे और इन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं देंगे तो यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अगर आप यह सोचकर कन्फ्यूज हैं कि ऐसा कैसे हो कि गुस्सा भी बाहर निकल जाए और संतुलन एवं मानसिक शांति भी बनी रहे, तो हम बता रहे हैं आपको पांच बेहतर तरीके –
अपने भीतर इकट्ठा हो रही नकारात्मकता को बाहर निकालने का इससे बेहतर दूसरा कोई तरीका नहीं है। इसके श्रेय जाता है वर्कआउट के दौरान रिलीज होने वाले एंडोर्फिन हॉर्मोन को, जिसे हम हैप्पी हॉर्मोन भी कहते हैं। कॉर्टिसोल जिसे स्ट्रैस हॉर्मोन भी कहा जाता है, वह एंडोर्फिन के स्राव से अपने आप कम होने लगता है। जिससे आपके मानसिक स्वास्थ्य को कई तरह के लाभ पहुंचते हैं।
जब आप पर बहुत ज्यादा गुस्सा सवार हो तो भड़ास निकालने का बेहतर तरीका है कि एक कदम पीछे आएं और गहरी सांस लें।
आपने देखा होगा कि हम में से ज्यादातर लोग गुस्से में ऐसे फैसले ले लेते हैं, जो दिल तोड़ने वाले साबित होते हैं। बाद में हम ही इन पर पछताते भी हैं। ये पछतावा आगे चलकर आपको और ज्यादा कुंठित बना देता है, जिससे हालात और खराब हो जाते हैं।
तो, सबसे अच्छा तरीका है कि किसी भी परिस्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया न दें। बल्कि गुस्से और नकारात्मक भावनाओं को बाहर निकालने के लिए गहरी सांसें लें। अपनी भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए पहले खुद को शांत करें और हालात को सामान्य होने दें।
इस तरह आप बेहतर तरीके से डिबेट कर पाएंगे, बजाए गुस्से में लड़ाई-झगड़ा करके सिचुएशन को और ज्यादा खराब करने के।
मिसौरी विश्वविद्यालय में किए गए शोध में यह सामने आया है कि जब आप अपने दोस्तों से शिकायतें या बातचीत करते हैं, तो इससे आपकी भावनाओं को बाहर आने का मौका मिलता है। पर कभी-कभी यह निगेटिव फीलिंग्स को बढ़ाने और आदत डालने का भी काम करता है। तो आप तय कीजिए कि आप अपने दोस्तों से किस तरह की बात करना चाहेंगे।
ठीक है, बात को छोड़ने की बजाए- शेयर करें। पर किसी ऐसे भरोसेमंद दोस्त के साथ ही अपनी भावनाओं को साझा करें, जो आपका सही मार्गदर्शन भी करें।
बेहतर यही है कि आप शांत रहें और उस व्यक्ति का विनम्रता पूर्वक सामना करें, जिसके कारण आपको समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। समाधान खोजने की दिशा में यह जरूरी है संवाद बना रहे, न कि लड़ा जाए।
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कस्टमाइज़ करेंयदि आपके पास ऐसा कोई भरोसेमंद दोस्त नहीं है जिससे सब बातें कही जा सकें तो अपनी कलम और डायरी को अपना बेस्ट फ्रेंड फोरएवर बनाएं। सीरियसली यह कमाल का काम करता है। अपनी डायरी में पूरी ईमानदारी से अपनी भावनाओं को दर्ज करें।
और, जब आप शांत हो जाएं, इस डायरी को दोबारा पढ़ें। आपको महसूस होगा कि आपके गुस्से ने कैसे आपकी तर्क शक्ति को ढक लिया था। इस तरह आप अपनी उन कमजोरियों पर भी काम कर सकती हैं, जिसके कारण आप इंस्टेंट रिएक्शन देने लगते हैं और गलती कर बैठते हैं।
हमारा मतलब है, सचमुच कलात्मक होना। चाहे आप मन से कलाकार हैं या नहीं हैं। एक खाली कैनवास लो और उस पर अपने गुस्से और हताशा को व्यक्त करने वाले अपनी मर्जी के रंग उड़ेल दें। अमेरिका के ड्रेक्सल विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि आप चाहें तनाव की किसी भी स्थिति में हों आर्ट आपके तनाव को कम कर आपको बेहतर महसूस करवाने में मदद करती है।
इसके अलावा भी अगर आपको कोई ऐसा तरीका याद है जिससे गुस्से को जाहिर किया जा सकता है तो उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें जरूर बताएं।