पूरी दुनिया में आत्महत्या एक चिंता का विषय है। मौजूदा वक्त में इसकी बढ़ती संख्या यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि आखिर क्यों लोग ऐसा कदम उठाते है? यह स्थिति तब और भी ज्यादा चिंताजनक हो जाती है, जब समाज को दिशा दिखाने वाला कोई व्यक्ति इसकी गिरफ्त में आ जाता है। हम बता रहे है इसके ट्रिगर पॉइंट्स और बचने के तरीके।
अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने अथवा सम्पूर्ण बनाने की कोशिश में अकसर लोग तनाव, अवसाद, चिंता, गुस्सा जैसे मानसिक विकारों के शिकार होने लगते हैं। इन मेंटल डिसॉर्डर के अलावा आत्महत्या के कुछ मामलों के लिए अनियंत्रित भावनाएं भी जिम्मेदार हो सकती हैं।
यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर किसी व्यक्ति के कौन-से लक्षण बताते हैं कि उसके दिमाग में आत्महत्या का ख्याल आ रहा है। यह जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हम इस तरह किसी की भी बेशकीमती जिंदगी बचा सकते हैं।
सुसाइड (Suicide) की राह पर बढ़ने का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को होता है, जो डिप्रेशन के दौर से गुजर रहे हैं। यह एक गंभीर मानसिक रोग है। जिसमें व्यक्ति उदास रहता है और उसके मन में हर समय नकारात्मक ख्याल आते रहते हैं। जिससे हारकर व्यक्ति अपने जीवन को खत्म करने के बारे में भी सोचने लगता है।
भारत में पारिवारिक तनाव, आर्थिक समस्या, तनावपूर्ण संबंध या ब्रेकअप की वजह से आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।
आत्महत्या के बारे में सोचने वाले आदमी का व्यक्तित्व बदलने लगता है। वह हर समय बेचैनी और असहाय महसूस करता है। गुस्सा, चिड़चिड़ापन, मूड डिसऑर्डर, ठीक से नींद न आना, मन में नकारात्मक विचार, उदास रहना, काम में मन न लगना, ज्यादा थकावट इसके सामान्य लक्षण हो सकते हैं।
कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां लोगों में आत्महत्या का कारण बन सकते है। जैसे:
सरल शब्दों में कहां जाए तो आत्मघाती विचार और व्यवहार तब शुरू होते हैं, जब कोई व्यक्ति अवसाद से पीड़ित होता है। इस बीमारी से न निकल पाने पर वह रास्ता भटक जाता है और यह निष्कर्ष निकाल लेता हैं कि उनके दर्द से मुक्ति पाने के लिए आत्महत्या ही एकमात्र उपाय है।
कई लोग आर्थिक संकट, पारिवारिक क्लेश, बुरे संबंध, आर्थिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना नहीं कर पाते है और अक्सर घबराहट या एंग्जायटी से ग्रस्त होते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपनी घबराहट पर काबू नहीं पाता है और खुदकुशी जैसे भयानक कदम उठा लेता है।
साइकैट्रिक डिसऑर्डर के शिकार लोग भी आसानी से आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। इनमें नशीले पदार्थों के आदी, लंबी बीमारी या असहनीय दर्द सह रहे लोग, आत्महत्या को करीब से देखे लोग और पहले सुसाइड की कोशिश कर चुके लोग शामिल होते है।
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कस्टमाइज़ करेंअधिक तनावपूर्ण घटना जिसे अक्सर एक प्रारंभिक घटना कहा जाता है, आत्महत्या की ओर ले जाती है। यह मानसिक बीमारी का रूप ले सकती है। यह सभी आत्महत्याओं का लगभग 90 प्रतिशत कारण है। किसी बात या परिस्थिति को लेकर ज्यादा तनाव कुछ मामलों में आत्महत्या को ट्रिगर कर सकती है।
अकेलापन अपने साथ कई बुरे ख्याल लाता है। अकसर अकेले रहने वाला व्यक्ति नकारात्मक सोच रखता है जिसे सुसाइड का कारण कहा जाता है। लंबे समय तक अकेले रहने वाला एक समय यह सोचने लगता है कि दुनिया में उसके लिए कोई नहीं है । वह आत्महत्या जैसे भयानक कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है।
नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति से लगातार अच्छी बातचीत करनी चाहिए ताकि वे आत्महत्या जैसे विचार से बच सके। अपने आस-पास के लोगों की प्रवृत्ति पर ध्यान दे और देखे की कोई बात उन्हे परेशान तो नहीं कर रही है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास जानें की सलाह दें ताकि वे अपनी परेशानी को बात सके।
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अलीम सिद्दीकी बताते हैं कि आत्महत्या के ख्याल आते हैं तो व्यक्ति किसी से दुख बांटने का प्रयास करता है। जब कोई रास्ता नहीं मिलता तो आत्महत्या की ओर बढ़ता है। इसीलिए ध्यान रखें कि अपने काम में व्यस्त होकर ऐसे किसी व्यक्ति को आप नजरंदाज न करें।
इसके साथ ही भारत में बहुत सुसाइड हेल्पलाइन नंबर है जिसका उपयोह खुदकुशी के घटनाओं को रोकने के लिए किया जा सकता है।
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