पिछले कुछ महीनों में, हम सभी ने घरेलू हिंसा के कई मामले सुने हैं और इस मुद्दे पर कई चर्चाएं भी हुई हैं। इस बीच जॉनी डेप-एम्बर हर्ड ट्रायल केस ने भी अपनी भूमिका निभाई। हालांकि, एक व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या हिंसा के संपर्क में है, वही जानता है कि इसका उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। साथ ही, जब उनके घर के वातावरण में लगातार हिंसा और दुर्व्यवहार होता है, तो उसका सदमा बहुत गंभीर होता है।
एक अब्यूसिव रिलेशनशिप यानी दोनों पार्टनर के बीच एक दूसरे के प्रति इज्जत नहीं है। इस बारे में बात करते हुये एशियन हॉस्पिटल की एसोसिएट डायरेक्टर, साइकियाट्रिस्ट, डॉ मीनाक्षी मनचंदा का कहना है कि “घरेलू हिंसा तब होती है जब कोई अपने करीबी व्यक्ति को कंट्रोल करने की कोशसीह करता है। इसमें भावनात्मक, यौन और शारीरिक शोषण और दुर्व्यवहार कुछ भी शामिल हो सकता है। ज्यादतर यह महिलाओं के साथ होता है, लेकिन काभि – कभी पुरुष भी इसका शिकार होते हैं। विशेष रूप से मौखिक और भावनात्मक हिंसा का।
घरेलू हिंसा या किसी भी प्रकार का अपमानजनक व्यवहार कभी भी स्वीकार्य नहीं है, चाहे फिर बच्चे, बूढ़े, पुरुष, महिला, किसी के साथ भी क्यों न हो। हर कोई सम्मानित और सुरक्षित महसूस करने का हकदार है।
डॉ मनचंदा का कहना है कि “शारीरिक चोट तो सबसे बड़ा खतरा है ही, लेकिन इमोशनल अबयूस का और भी ज़्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है। घरेलू दुर्व्यवहार में हिंसा का एक सामान्य पैटर्न होता है, इसलिए दुर्व्यवहार के चक्र को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है।”
पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम यह पहचानना है कि आपका रिश्ता अब्यूसिव है। क्योंकि ज़रूरी नहीं है अब्यूस हर बार शारीरिक हो, यह मेंटल या इमोशनल अब्यूस भी हो सकता है, जिसे आप पहचान न पा रही हों।
किसी भी तरह के ट्रॉमा के गुज़र चुके लोगों को असुरक्षित महसूस होता है। साथ ही इन्हें लोगों के साथ कनेक्शन स्थापित करने में कठिनाई होती है। इससे बाहर आने के लिए सेल्फ लव और सामाजिक मेलजोल बढ़ाना बहुत जरूरी है। किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना या विचार साझा करना जिस पर आप भरोसा कर सकते हैं, बेहतरीन रूप से काम करता है।
एक अब्यूसिव रिलेशन आपके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इस सदमे से बाहर निकलने के लिए थेरेपी लेना मानोचिकित्सक से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। थेरेपी से आपको इमोशनली औए मेंटली स्टेबिल होने में मदद मिलेगी।
लोग धीरे-धीरे अपने द्वारा अनुभव किए गए उत्पीड़न के प्रभाव को पहचानने लगते हैं। इसलिए उन्हें खुद को फिर से परिभाषित करना शुरू करना चाहिए। अपने लिए एक नई शुरुआत करनी चाहिए और एक नया भविष्य बनाना चाहिए।
हीलिग एक रातोंरात होने वाली प्रक्रिया नहीं है, इसमें कई साल लग सकते हैं। इसका लंबा प्रभाव हो सकता है लेकिन अपने परिवारवालों और दोस्तों के साथ समय बिता कर और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से सहायता लेकर आपको इस सदमे से उबरने में मदद मिलेगी।
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