अहोई अष्टमी : पेरेंटिंग के ये 8 उपाय होंगे आपके बच्चे के फिजिकल, सोशल और मेंटल डेवलपमेंट में मददगार

अपने बच्चे को सही परवरिश देना और उनकी सलामती की चिंता हर पेरेंट को होती है। इसलिए जानिए ये 8 तरीके जिससे आपका बच्चा एक बेहतर इंसान बन पाएगा।
Healthy parenting ke liye tips
हेल्दी पेरेंटिंग के लिए इन बातों का ख्याल रखें। चित्र:शटरस्टॉक
अदिति तिवारी Published: 28 Oct 2021, 17:00 pm IST
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 देने के अलावा बेहतर परवरिश और बच्चे को अच्छा इंसान बनाने के लिए कुछ ऐसी बुनियादी चीजें होती है, जिनका आपको ख्याल रखना चाहिए। सही पेरेंटिंग के लिए हम यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं।   

बढ़ते बच्चे जब एक सामाजिक व्यवस्था में प्रवेश करते हैं, तो उन्हे चीजों को समझने में कठिनाई और वक्त लग सकता है। ऐसे में रास्ता भटकने का भी खतरा रहता है। दूसरे बच्चों के साथ वे अपना संबंध बनाने में संघर्ष करते हैं, जो उनके सामाजिक विकास को मुश्किल कर देता है। माता-पिता के रूप में आपका कर्तव्य है कि अपने बच्चे को एक खूबसूरत दुनिया से परिचय करवाएं और कठिनाइयों से लड़ना सिखाएं। 

यहां हैं वे 8 उपाय जो आपके बच्चे को हमेशा सही सलामत रखेंगे 

1. निजी जीवन के उदाहरण का उपयोग 

अपने बच्चों में सहानुभूति पैदा करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका सेल्फ मॉडलिंग (self modelling) करना है।

सहानुभूति कैसी दिखती है, इसका उदाहरण देने के लिए अपने स्वयं के जीवन से उपयुक्त उदाहरणों का उपयोग करें। अपने जीवन से बताई घटनाओं का आपके बच्चे पर ज्यादा असर पड़ता है। उन भावनाओं के बारे में बात करें जो आपने महसूस कीं और जिन भावनाओं को आपने दूसरों में पहचाना है। अपने बच्चे को प्रश्न पूछने दें और उनसे वैचारिक प्रश्न पूछें। इससे उनके व्यवहार को जानने का मौका मिलेगा। 

Personal life ki ghatna ko bachcho ko bataye
निजी जीवन की घटना को बच्चों के साथ करें सांझा। चित्र: शटरस्टॉक

2. बदलाव के लिए तैयार रहें 

अक्सर जीवन में जब चीजें अनुकूल नहीं होती है, तो आप अपना मार्ग या परिस्थिति में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब बात आपके बच्चे की आती हैं, तो आप एकरूपता चाहते हैं। इस एकरूपता का मतलब यह नहीं है कि आप व्यवस्थाओं में बदलाव नहीं कर सकते। 

बच्चे लचीले होते हैं और आपको भी उन्ही के अनुसार खुद के समय और परिस्थिति को बदलना होगा। काम के घंटों या मूड का आपके बच्चों की परवरिश पर नकारात्मक असर नहीं पड़ना चाहिए। 

3. पालतू जानवरों को बच्चों का दोस्त बनायें 

पालतू जानवरों के आसपास रहना छोटे बच्चों को भावनाओं की पहचान करने और दूसरों से जुड़ने में मदद कर सकता है। पालतू जानवर बहुत भावुक हो सकते हैं, और उनके साथ अलग  प्रकार का लगाव होता है। क्योंकि यह आपके सहकर्मी या भाई-बहन नहीं है। यदि आपका कुत्ता घर आने पर आप पर कूदकर पूंछ हिलाता है तो अपने बच्चें को समझाएं कि वह खुश है। 

4. छुट्टियों को सिखाने का अवसर बनायें 

बच्चों में अच्छी भवनायें विकसित करने के लिए रचनात्मक तरीके से काम करें। इसके लिए छुट्टियां एक अच्छा समय हो सकता है। आप अपने बच्चे को किसी भाई-बहन या दोस्त के लिए खरीदारी में शामिल कर सकते हैं। ताकि उन्हें देने के उस आनंद से परिचित कराया जा सके। जब वे उन्हें अपने दिए हुए उपहार को खेलते देखते हैं, तो यह खुशी का अनुभव देता है। 

इसके अलावा त्योहारों के समय बच्चों से कहें कि वे उन खिलौनों को एक बॉक्स में भर सकते हैं, जिनमें उनकी अब कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें अपने साथ बॉक्स को जरूरतमंद बच्चों को दान करने के लिए ले जाएं और इस बारे में बातचीत करें। उन्हें समझाएं कि ऐसे बच्चे क्यों हैं जिनके पास आपके बच्चों की तरह चीजें और खिलौने नहीं है। 

Game ko banaye learning ka hissa
छुट्टियों में बच्चों को गेम के जरिए जीवन की बातें सिखाएं। चित्र:शटरस्टॉक

5. अन्य माध्यमों से भावनात्मक रूचि पैदा करें 

फिल्में या किताबें विभिन्न भावनाओं के उदाहरण दिखाने का एक अच्छा तरीका हैं। एक छोटे बच्चे के लिए अपनी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से खुद को दूर करना और दूसरे व्यक्ति की भावनाओं के बारे में सोचना मुश्किल हो सकता है। यदि आपका बच्चा एक फिल्म देख रहा हैं या कोई किताब पढ़ रहा हैं और एक चरित्र उसके मन में मजबूत भावना पैदा करता है, तो रुकें और उनकी भावनाओं के बारे में बातचीत करें।

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6. हेल्दी आहार की आदत डालें 

आहार न केवल शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जरूरी है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। बच्चों के सामने स्वस्थ आहार पकाना और स्वाद लेकर खाना, एक ऐसा तरीका है, जो उन्हें आहार की पहचान करना और खाना सिखाता है। ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप की बजाए बच्चों को पोषण युक्त स्थानीय आहार की पहचान करवाएं। 

7. व्यायाम को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा 

कोविड-19 ने हम सभी को यह बताया कि स्वस्थ रहना कितना जरूरी है। व्यायाम इस लक्ष्य को पूरा कर सकता है। पिछले कई महीनों से हम सभी अपने-अपने घरों में बंद हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आप व्यायाम को भूल जाएं। योग, प्राणायाम  एवं घर में की जा सकने वाली एक्सरसाइज को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे बच्चों की ग्रोथ और मानसिक विकास दोनों में बढ़ोतरी होगी। 

Bachcho ke saath vyayam kare
अपने बच्चों के साथ नियमित व्यायाम करें। चित्र : शटरस्टॉक

8. आत्मनिर्भर बनाएं 

गैजेट्स से घिरे हमारे बच्चे उन चीजों से भी दूर होने लगे हैं, जिनमें हम आत्मनिर्भर हुआ करते थे। लॉकडाउन के दौरान हमने फिर से उन कामों में हाथ आजमाया जिसके लिए अभी तक हम सहायकों पर निर्भर थे। यह एक बड़ा सबक है। इसलिए बच्चों को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाएं। उन्हें अपने कमरे की सफाई करना, छोटे-मोटे व्यंजन बनाना और अन्य काम करना सिखाएं। जिससे वे धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बन सकें। 

डियर मॉम्स, अपने बच्चों को सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा बनाने और बेहतर भविष्य के लिए इन बातों को उनकी परवरिश में शामिल करें। 

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