कभी-कभी अपने खुशहाल रिश्ते में हम खुद अवरोधक बन जाते हैं। अक्सर लोग दिल टूटने के बाद होने वाले इमोशनल पेन को छिपाने के लिए इन छोटे-छोटे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। परंतु कभी-कभी हम खुद को सुरक्षित रखने के लिए वास्तविक प्यार से दूरी बनाने लगते हैं। हालांकि, प्यार में अप्स एंड डाउन्स चलते रहते हैं। पर उसे तोड़- मरोड़ कर पेश करना आपके लिए मानसिक तनाव और रिश्ते के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है।
सीधे शब्दों में कहें तो खुद को सेल्फ सबोटेज (self sabotage) करना उन कार्यों और तरीको को संदर्भित करता है, जो व्यक्तिगत या पेशेवर रूप से आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोकते हैं। इसके साथ ही खुद से नकारात्मक रूप से बातें करना और खुद को बताना कि आप प्यार और कामयाबी के लायक नहीं हैं।
इसमें आपको कुछ ऐसे विचार भी आ सकते हैं कि “आप कुछ नहीं कर सकती, आप किसी भी चीज के लायक नहीं है और यदि आप कोशिश भी करती हैं तो आखिर में असफल होना ही होना है।”
यूके बेस्ड साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर ललिता सुगलानी ने डेटिंग के दौरान होने वाले भावनात्मक असुरक्षा के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, और हेल्दी रिलेशनशिप के लिए कुछ जरूरी टिप्स भी बताए हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार कई रिश्तों में रिश्ता टूटने का डर बना रहता है, परंतु यदि आपका रिश्ता हेल्दी है, तो इस प्रकार का डर नहीं होना चाहिए।
डॉक्टर सुगलानी कहती हैं, ” इस तरह के रिलेशनशिप स्ट्रेस को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके साथ ही इस बात का पता लगाना भी बहुत जरूरी है कि आपका यह व्यवहार किस कारण उत्पन्न हो रहा है और आपके पार्टनर की कौन सी चीज आपको ट्रिगर कर रही है।”
बहुत बार सेल्फ सबोटेजिंग अथवा आत्म निंदा से हम बिल्कुल अनजान होते हैं। कभी-कभी हम ऐसी स्थिति में फंस जाते हैं, जहां हमारे पास खुद के सवालों का कोई भी जवाब नहीं होता। वहीं हम अपने रिश्ते को सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगते हैं।
किसी भी रिश्ते की नींव ईमानदारी होती है। परंतु कभी-कभी अपने पार्टनर के सामने अच्छा दिखने और अच्छा बनने के लिए हम अपनी एक ऐसी छवि पेश करते हैं, जो वास्तविक रूप में हम नहीं होते।
किसी भी रिश्ते को सफल बनाने के लिए विश्वास बहुत जरूरी होता है। किसी व्यक्ति के साथ लगातार ईमानदार बने रहने पर ही उन्हें पता चलता है कि आपके ऊपर भरोसा किया जा सकता है। हमेशा याद रखें कि आप ज्यादा दिन तक दिखावा नहीं कर सकतीं। यह लंबे समय तक नहीं चलता।
क्या आप अपने पार्टनर में वह ढूंढ रही हैं, जो वह वास्तव में नहीं हैं? किसी को लेकर अपने हिसाब से दिमाग में एक चित्र बना लेना रिश्ते को कमजोर कर सकता है।
चीजों को स्वीकार करना, अपने रिश्ते की केयर करना, पार्टनर को प्रोत्साहित करते रहना एक हेल्दी रिलेशनशिप में बहुत जरूरी है। साथ ही यह रिश्ते को मजबूत बनाए रखता है। वहीं अपने पार्टनर के साथ एक निश्चित तरीके से व्यवहार करना और जवाब में आदर्शवादी विजुलाइजेशन की कल्पना करने से संबंध खराब होने की संभावना कई हद तक बढ़ जाती है।
यदि चीजें आप की अपेक्षा के अनुसार न चलें तो इसकी वजह से आप दुखी रह सकती हैं। ऐसी परिस्थिति में आपको कभी भी संतुष्टि की अनुभूति नहीं होगी। यह आपको अंदर से कमजोर और चिड़चिड़ा बनाएगा इसलिए एक हेल्दी रिलेशनशिप के लिए अपने एक्सपेक्टेशन को सामने वाले पर न थोपें।
एक रिलेशनशिप में आपको कई रेड फ्लैग्स नजर आ सकते हैं, परंतु हर बार खुद को समझा लेना कि इस सब ठीक है, आगे चलकर रिश्ते की कमजोरी का कारण बनता है। रिश्ते में नजर आने वाले रेड फ्लैग्स को अनदेखा करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। ऐसे में हम मूल परेशानी को नजरअंदाज करते हुए डिनायल में जीते हैं और सोचते हैं कि जीवन बहुत अच्छा चल रहा है।
ऐसे में हमेशा रिश्तों को कमजोर कर रही परिस्थिति को समझने के साथ ही इसे संभालने का प्रयास करें। हालांकि, इसे इग्नोर करना टॉक्सिक हो सकता है।
किसी भी रिश्ते की शुरुआत करने से पहले या करने के बाद अपने पार्टनर से बदलने की अपेक्षा करना बिल्कुल गलत है। यह एक सामान्य ह्यूमन टेंडेंसी है कि कोई भी व्यक्ति अपने स्वाभाविक व्यवहार को नहीं छोड़ता, और आपको भी ऐसा नहीं करना चाहिए। यदि कुछ समस्या है तो उसे बातचीत करके सुलझाने का प्रयास करें, न कि गुस्से में आकर चीजों को एक दूसरे पर थोपना शुरू कर दें।
कम्युनिकेशन हेल्दी रिलेशनशिप की चाबी है। यदि आप अपने पार्टनर से बातचीत नहीं करती हैं, तो आप अपनी भावनाओं और अपनी अपेक्षाओं को उनके सामने नही रख पाएंगी। जिस वजह से आप दोनों के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है।
सामने वाले इंसान को कोई भी बात तब तक समझ नहीं आएगी जब तक आप उन्हें बताएंगी नहीं। ऐसे में आप उम्मीद रखेंगी और वह आपके उम्मीदों पर खड़े नहीं हो पाएंगे, जो आपको निराश कर सकता है।
यदि आप दोनों की अपेक्षाएं एक-दूसरे के सामान्य हैं तो चीजें ठीक तरह से आगे बढ़ती है। वहीं आपका पार्टनर कुछ महीनों बाद आपके रिश्ते को गंभीरता से लेने के लिए तैयार है, तो इसे बेफिक्र होकर अपना सकती हैं।
रिश्ते में जल्दबाजी करने से बचें, यह तब काम करता है जब आप दोनों एक दूसरे के लिए पूरी तरह तैयार हों। हालांकि, आप और आपके पार्टनर दो अलग-अलग गतियों को चुनते हैं, जैसे कि यदि आप रिश्ते में धीमी गति चाहती हैं, तो आपका साथी थोड़ी तेज गति से आगे बढ़ सकता है। ऐसे में यह चिंता का विषय हो सकता है।
तो इन परिस्थितियों में क्या करें? ऐसे में एक दूसरे के साथ बैठकर बातचीत करके एक सामान्य निर्णय लेना उचित रहेगा नाराजगी को पीछे रखने का प्रयास करें।
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