ये शुरुआती लक्षण बताते हैं कि आपके एजिंग पेरेंट्स हो सकते हैं डिमेंशिया के शिकार, जानिए कैसे बचाना है

डिमेंशिया एक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की मेमोरी और सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है। अगर इसे शुरूआत में ही पहचान लिया जाए, तो काफी हद तक अपने एजिंग पेरेंट्स के कॉग्निटिव डिकलाइन को बचाया जा सकता है।
early signs of Dementia
माइंड गेम्स से कम होता है डिमेंशिया का खतरा । चित्र : अडॉबीस्टॉक
ईशा गुप्ता Updated: 20 Oct 2023, 10:05 am IST
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डिमेंशिया की स्थिति में व्यक्ति अक्सर चीजों को भूलने लग जाता है। ऐसे में सबसे ज्यादा सोचने समझने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसका असर व्यक्ति की सोशल लाइफ के साथ डेली एक्टिविटीज पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की मानें तो अधिकतर होने वाली मृत्यु में डिमेंशिया सातवां सबसे बड़ा कारण पाया गया है। इसके कारणों की बात की जाए तो अधिकतर मामलों में बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या देखने के लिए मिलती है। क्योंकि उम्र बढ़ना इसके मुख्य कारणों में शामिल होता है। आइए हेल्थ शॉट्स के इस लेख के माध्यम से जानते हैं उन मुख्य लक्षणों के बारे में जो शुरुआत में दिखाई देने लगते हैं।

डिमेंशिया होने पर ये लक्षण नजर आ सकते हैं

1. बोलने में परेशानी आना

कई बार बोलते हुए चीजें भूल जाना या गलत शब्दों को बोलते वक़्त इस्तेमाल करना डिमेंशिया का वार्निंग साइन हो सकता है। अल्जाइमर सोसाइटी ऑफ कनाडा के मुताबिक जो लोग डिमेंशिया की समस्या से ग्रस्त होते हैं, उन्हें शुरूआती लक्षणों में बोलने में बार-बार परेशानी आने लगती है। ऐसे लोगों को सही समय पर सही शब्दों का चयन करने में भी मुश्किल होने लगती है।

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क्या अपके माता-पिता भी चीज़ें भूलने लगे हैं। चित्र : शटरस्टॉक

2. चीजें रखकर भूल जाना

बिजी होने के कारण हम कई बार जरूरी चीजों को उनकी जगह रखकर भूल जाते हैं, लेकिन अगर यह आपकी आदत बना चुकी है। तो आपको जल्द ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

अल्जाइमर सोसाइटी ऑफ कनाडा की एक अन्य रिसर्च में सामने आया है कि अक्सर चीजों को रखकर भूल जाना या कोशिशों के बाद भी चीजें याद नहीं आना डिमेंशिया के मुख्य कारणों में शामिल हो सकता है।

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3. स्लीप पैटर्न में बदलाव आना

हेल्दी माइंड और लाइफस्टाइल के लिए स्लीप पैटर्न का हेल्दी होना सबसे ज्यादा जरुरी है। अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेती हैं, तो इससे मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक समस्याएं भी बढ़ने लगती है।

क्लीवलैंड क्लिनिक के विशेषज्ञों ने पाया है कि डिमेंशिया से ग्रस्त होने पर स्लीप पैटर्न में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति को सोने में भी परेशानी आने लगती है।

4. मूड में लगातार बदलाव आना

मूड स्विंग होने के कारणों में व्यक्ति का तनाव में होना या किसी स्थिति से गुजरना पाया गया है। साथ ही महिलाओं में खासकर पीरियड्स के दौरान भी मूड स्विंग होने लगते हैं।

वहीं डिमेंशिया के शुरूआती लक्षणों में भी मूड में बदलाव आना देखा गया है। ऐसे में व्यक्ति अचानक से कभी उदास तो कभी ज्यादा खुश हो जाता है। साथ ही अपने मूड और व्यहवार पर व्यक्ति का खुद कंट्रोल नहीं रहता।

Dementia
बढ़ती उम्र के साथ डिमेंशिया को बढ़ने न दें। चित्र शटरस्टॉक।

5. रोजमर्रा की गतिविधियों में परेशानी

डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों को अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में परेशानी आने लगती है। उन्हें अपने रोज के छोटे-छोटे कार्यो के लिए भी दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है।

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क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक डिमेंशिया होने के शुरूआत में व्यक्ति अपने डेली टास्क को भूलने लगता है। साथ ही साधारण कार्यो जैसे कि ब्रश करना या सामने रखा खाना खाना तक भूल सकता है।

6. साइकोलॉजिकल बदलाव

डिमेंशिया के शुरूआती लक्षणों में व्यक्ति में मानसिक और शारीरिक रूप से कई बदलाव होने लगते है, उसका अपने व्यहवार पर कंट्रोल नही रहता है। इसके अलावा अध्ययनों में कई साइकोलॉजिकल बदलाव भी देखें गए हैं। जो व्यक्ति की रोजमर्रा के व्यहवार में साफ नजर आने लगते हैं।

मायो क्लीनिक की रिसर्च के मुताबिक इस दौरान पर्सनेलिटी में बदलाव आने के साथ डिप्रेशन, एंजायटी या व्यहवार में लगातार बदलाव सामने आते हैं।

जानिए कैसे बचाना है

डिमेंशिया के परमानेंट इलाज के लिए डाक्टर से सलाह लेना ही एक बेहतर ऑपशन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इसके शुरूआती लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाए और समय रहते जरूरी इलाज अपनाए जाएं।

मायो क्लीनिक के मुताबिक लाइफस्टाइल में साधारण बदलाव करके आप डिमेंशिया को शुरूआत में ही रोक सकते है। इसके लिए अपने माइंड को एक्टिव बनाए रखने के साथ डाइट में जरूरी बदलाव करने की कोशिश करें। माइंड को एक्टिव रखने के लिए कुछ माइंड गेम्स जैसे कि पज्लस सोल्व करवाना या रीडिंग पर ध्यान दिया जा सकता है। कोशिश करें कि रोज थोड़ी फिजिकल और मेंटल एक्सरसाइज जरूर की जाए। ध्यान रखें कि व्यक्ति पर्याप्त नींद जरूर लें, क्योंकि अधूरी नींद स्लीप पैटर्न पर प्रभाव डाल सकती है।

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