क्या आप भी जरा-जरा सी बात पर आग बबूला हो जाते हैं? क्या दोस्तों के साथ वैचारिक मतभेद बहस का रूप ले लेते हैं? अगर जवाब है हां, तो आपको ये टिप्स जानने की बहुत जरूरत है।
यूं तो गुस्सा आना साधारण सी बात है, आप मनुष्य हैं और गुस्सा एक आम भावना है जो किसी भी मनुष्य में हो सकती है। लेकिन जब यह गुस्सा नियंत्रण से बाहर हो जाये और आपके रिश्ते दांव पर आ जाएं तो गुस्सा कंट्रोल करना जरूरी हो जाता है।
गुस्से में अक्सर हम बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं और यही हमारे लिए नुकसानदेह साबित होता है। गुस्से में कुछ भी बोलने से बचें। बेहतर है कि आप गुस्सा शांत होने के बाद ही बात करें। अगर बहस के दौरान दिमाग में कोई बात आती है, तो बोलने से पहले कम से कम दो बार सोचें।
अगर आपको किसी बात पर गुस्सा आया है, तो वह सामने वाले व्यक्ति को बताना भी जरूरी है। लेकिन गुस्सा शांत होने के बाद आराम से बात करें। गुस्सा शांत होने के बाद आप बेहतर सोच पाएंगी और अपनी बात हो बेहतर ढंग से कह सकेंगी। शांति से समस्या को डिस्कस करें ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
अगर आपको लग रहा है कि बात झगड़े का रूप ले रही है और हाथ से निकल रही है तो तुरन्त पॉज करें। समय लें, अकेले बैठकर स्थिति का आंकलन करें और खुद को शांत होने का मौका दें।
इस ब्रेक में कोई एक्टिविटी करें जैसे टहलने जाएं, डांस करें, पेंटिंग करें, कुछ कुक करें या संगीत सुनें। इससे आपका दिमाग शांत होगा और आप स्पष्ट सोच पाएंगे।
कोई भी झगड़ा समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि बात को बढ़ाता है। इसलिए कोशिश करें समाधान की ओर बढ़ने की। गलती किसकी है यह मायने नहीं रखता और इस बहस में बिल्कुल न पड़ें। अपना पक्ष रखें, सामने वाले का पक्ष सुनें और समस्या को सुलझाने की कोशिश करें।
आप ऐसा करेंगी तो सामने वाला व्यक्ति भी यही तरीका अपनाएगा। आप दोष देंगीं तो सामने वाला व्यक्ति भी वही करेगा जिससे सिर्फ बात बढ़ेगी।
गलती करना मानव स्वभाव है और माफ कर देने वाला हमेशा बड़ा होता है। माफ करने का यह भी अर्थ है कि उस बात को बाद में न उठाया जाए। मन में कोई बैर न रखें, गलतियों से सीखें और आगे बढ़ें। तभी माफ करने का फायदा है। अगर आप किसी गलती को दिल से लगाकर रखेंगी तो बार-बार एक ही बात पर लड़ाई होगी, जो व्यर्थ है।
याद रखें, एक दिन में आपको गुस्से पर नियंत्रण नहीं आएगा, लेकिन नियमित प्रयास जरूरी है। अगर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पा रही हैं तो उसे कागज पर उतार दें। मन में भावनाओं को भरकर न रखें। अगर आपको लगता है कि गुस्सा आपके बस से बाहर जा रहा है तो प्रोफेशनल मदद लेने में कोई हर्ज नहीं है।