दूसरों के प्रति जलन, ईर्ष्या और द्वेष के चलते कुछ लोग धीरे धीरे नकारात्मक होने लगते है। उनके इस निगेटिव रवैये (Negative attitude) का प्रभाव हमारे आसपास के वातावरण पर भी देखने को मिलता है। ये लोग जब भी किसी से बात करते है, तो सिर्फ दूसरों की कमियों और उनकी गलतियों को प्वाइंट आउट (point out) करते हैं। खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने वाले ये लोग आसपास के माहौल को अपने विचारों से धीरे धीरे दूषित करने लगते हैं। उसका असर इनके परिवार के बाकी सदस्यों और ऑफिस क्लीग्स पर भी पड़ता है। कई मामलों में ये अपनी फज़ीहत भी करवाते हैं। मगर आचरण (Behaviour) में बदलाव नहीं ला पाते। इन आसान तरीको से आप भी जान सकती है, क्या आप वाकई नकारात्मक लोगों से घिरी हुई है (signs of a negative people) ।
इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ आरती आनंद, साइकॉलोजिस्ट सीनियर कंसलटेंट, गंगा राम हास्पिटल का कहना है कि ऐसे लोग किसी भी हद तक जाकर दूसरों को गहरी चोट पहुंचाने से पीछे नहीं हटते हैं। ये व्यवहार धीरे धीरे उनकी आदत में शुमार हो जाता है। ये लोग मानसिक (mental illness) तौर पर किसी बात को लेकर बेहद परेशान होते है, जिसके चलते वे अन्य लोगों को हर बात के लिए गलत ठहराते हैं। जो व्यक्ति जैसे वातावरण में रहता है। उसका आचरण उसी प्रकार का हो जाता है। हर वक्त नकारात्मक लोगों (Negative people) में घिरे रहने के कारण इन लोगों के स्वभाव में उसी प्रकार की आदतें शुमार हो जाती है।।
डॉ आरती कहती हैं कि टाक्सिक लोगों की ये निशानी है कि वे हर वक्त अन्य लोगों में खामियां खोजते रहते है। वे दिनभर इसी उधेड़बुन में समय व्यतीत करते है कि किस व्यक्ति में क्या कमी है। अधिकतर खाली लोग इस तरह की विचारधारा के बन जाते हैं। वे अपना खाली वक्त दूसरों को कोसने और उनकी कमज़रियों को प्वाइंट आउट करने में बिताते है। ऐसे लोग हर वक्त नकारात्मक रहते है। चाहे ऑफिस हो या घर वे हर वक्त आपके पास बैठकर अन्य लोगों के बारे कुछ न कुछ कमेंट करने में आनंद का अनुभव करते हैं।
जो लोग इन्हें भाते नहीं हैं, ये उन लोगों को बातचीत के दौरान चुभने और ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहने से नहीं चूकते है। बात बात में ताने कसना और दूसरों की गलतियों को सबके सामने उभारना इन्हें बेहद पसंद आता है। जो दूसरे व्यक्ति को मानसिक तौर पर परेशान कर देता है।
एक अवधारणा बन गई है कि सिर्फ लड़कियां ही दूसरों के बारे में बातें करती हैं, जब कि ये काम जेंडर बायस्ड नहीं है। यानी आपके आसपास के पुरुष और स्त्रियां दोनों ही गॉसिपिंग के उस्ताद हो सकते हैं। आप इस बात को न भूलें कि अगर कोई व्यक्ति आपके पास आकर किसी और की बात कर रहा है, तो ज़ाहिर है कि वो अन्य के पास जाकर आपके बारे में भी कटु शब्द ज़रूर बोलेगा।
डॉ आरती का कहना है कि ऐसे लोग अपना ज्यादतर वक्त इधर उधर की बातों में जाया कर देते हैं। दूसरों के बारे में गॉसिप करना इन्हें बेहद पसंद होता है और वहीं इनका बेस्ट टाइमपास कहलाता है।
हर समय उनकी नज़र दूसरों पर टिकी रहती है कि कोई व्यक्ति कब किस काम को अंजाम दे रहा है। उनकी नज़र हर उस गतिविधि पर रहती है, जो दूसरों से जुड़ी हो। अपने जीवन पर ध्यान देने की बजाय वे अपना अधिकतर समय दूसरों की बातों को सुनने में निकालते हैं। ऐसे लोग हर वक्त कान लगाकर अन्य लोगों की बातों को सुनने का प्रयत्न करते हैं। फिर वही बात वो पूरे जग में फैलाने में समय नही लगाते हैं। ऐसे लोगों से बचकर रहना बेहद ज़रूरी है।
जो लोग दूसरों से जलते है या जिनका व्यवहार नकारात्मक होता है, वे हर छोटी बात पर रिएक्ट करते हैं। ग्रुप के अन्य लोगों को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे लोग विश्वास के पात्र नहीं होते हैं। दूसरों की पूरी बात सुनने से पहले खुद का रिएक्शन देना इन लोगों की आदत होती है।
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