सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से लेकर सरकारें तक लैंगिक समानता (Gender Equality) और स्त्री अधिकारों (Women rights) की बात करती नजर आती हैं। इसके बावजूद हमारे आसपास के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। समान पद, समान क्षमता के बावजूद स्त्रियों को एक अलग तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अपने अधिकारों को छिनता देखकर या भेदभाव का सामना करने पर हमारी मेंटल हेल्थ का बिगड़ना स्वभाविक है। कभी-कभी हम तनाव और एंग्जायटी के भी शिकार हो सकते हैं। हम स्थिति को अभी नहीं बदल पा रहे, मगर उसका सामना करने की रणनीति तो हम बदल ही सकते हैं। जानना चाहती हैं कैसे? तो बस इसे पढ़ती रहें।
अफसोस की बात यह है कि ऐसी भावना के लोग सिर्फ हमारे ग्रामीण इलाकों में ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे बड़े दफ्तरों में मालिक की गद्दी पर बैठे भी मिल जाते हैं। ऐसे लोग सिर्फ अपने आसपास महिलाओं की उपस्थिति को स्वीकार नहीं कर सकते। केवल पुरुष ही स्त्री द्वेषी नहीं हैं, दुख की बात है कि ऐसी महिलाएं भी हैं जो स्त्री द्वेषी हैं।
मिसोगिनिस्ट (misogynist) व्यक्ति उन्हें कहा जा सकता है जो किसी भी तरह से महिलाओं के प्रति एक अलग नजरिया रखते हैं। कभी-कभी ये प्रत्यक्ष नजर नहीं आता, लेकिन उनके व्यवहार से परिलक्षित होता है।
कभी-कभी यह इतना छुपा हुआ हो सकता है कि आप महसूस नहीं कर पातीं, जैसे लड़कियों को नाइट शिफ्ट पर नहीं रखना चाहिए, लड़कियां किसी खास परिधान में ही अच्छी लगती हैं या लड़कियों को इस तरह के काम नहीं करने चाहिए। कभी सुरक्षा, तो कभी संस्कृति के आग्रह के साथ वे महिलाओं को पीछे रखने की मानसिकता से व्यवहार करते हैं।
निश्चित रूप से इस तरह का व्यवहार आपके काम करने के अवसर, अपनी क्षमताओं को साबित करने के मौके कम करता है। जिसका आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। बराबर कार्यक्षमता के बावजूद आप खुद को साबित नहीं कर पातीं और तनाव, एंग्जायटी जैसी समस्याओं से घिर जाती हैं।
ऐसी स्थिति में ज्यादातर महिलाएं तनाव की शिकार हो जाती हैं। वे या तो विवादों की शिकार हो जाती हैं, या नौकरी बदलने पर मजबूर होने लगती हैं। मगर इसका समाधान विवाद नहीं हैं। कुछ ट्रिक्स हैं, जिनसे आप इन स्थितियों से बच सकती हैं।
ऐसा बिल्कुल मुमकिन है कि जब आप अपने बॉस की हरकतों के बारे में अपने फ्रेंड सर्कल या सहकर्मियों के साथ साझा करें, तो वे आपको अपने बॉस को नजरअंदाज करने की सलाह दें।
जबकि आपको बिल्कुल भी ऐसा नहीं करना है। यदि आपका बॉस मिसोजिनिस्ट है, तो उसे नजरअंदाज करके आप अपनी ही समस्याएं बढ़ा लेंगी। ऐसे में आपको अपने उच्चाधिकारियों से इस बारे में बात करने की आवश्यकता है। यदि आप ऐसा करती हैं, तो संभावना है कि आपका बॉस अपनी गलती महसूस करें और अपनी विचारधारा को बदलने का प्रयास करें।
फोर्टिस हेल्थ केयर में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट कामना छिब्बर कहती हैं, “अपने दफ्तर में हमेशा अपने काम की नैतिकता (ethics) का पालन करें और अपने बॉस से बातचीत सीमित रखें। सिर्फ उतनी ही बात करें जितने में आपका काम हो सके। कई बार ना चाहते हुए भी हमें पेशेवर स्तर पर लोगों से बात करनी पड़ती है।”
वे आगे कहती हैं, “आपको इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि आपका बॉस सिर्फ आपका सहयोगी है जो आप के दफ्तर तक ही सीमित रहेगा, वह आपका मित्र नहीं है। इसलिए सिर्फ मतलब तक ही संबंध बनाए रखें।”
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कस्टमाइज़ करेंपरिस्थितियां चाहे कैसी भी हो आपको हमेशा शांति से और विनम्रता से चीजों को संभालने की जरूरत होती है। लेकिन यदि आप अपना आपा खो देती हैं, तो आपको कई और कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। चाहे कुछ भी हो अपना आपा न खोएं। हो सकता है कि आपको उसे गाली देने या उसके साथ अशिष्ट लहजे का इस्तेमाल करने का मन करें, लेकिन याद रखें कि वह आपका बॉस है।
यदि आपका बॉस मिसोजिनिस्ट है, तो वह जरूर आपकी गलतियां खोजने का मौका नहीं छोड़ेगा। ऐसे लोग इस बात पर जोर देना पसंद करते हैं कि महिलाएं अपने काम में कितनी अक्षम हैं। ऐसे में आपको ध्यान देना है कि आप अपने काम में कम से कम गलतियां करें और अपना प्रदर्शन अच्छा रखें। आशावादी बने रहें, तो स्त्री द्वेषी बॉस आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।
यदि कभी पानी सर से ऊपर चला जाए, तो आप कानूनी सहायता की और भी आगे बढ़ सकती हैं। भारत के संविधान में जेंडर इक्वलिटी को जगह दी गई है। संविधान हमें इस भेदभाव के लिए कानूनी सहायता का भी अधिकार देता है।