3 ऐसी छोटी-छोटी बातें जो बताती हैं कि आप अपने चाइल्डहुड ट्रॉमा से जूझ रहे हैं
ऐसा कहा जाता कि यदि बचपन में आपको कोई सदमा लगता है या कोई बुरी घटना आपके साथ हुई होती है, तो आप जिंदगी भर उससे परेशान रहते हैं। बीते वक़्त के साथ बचपन की घटी घटना आप भूल जाएं ऐसा जरूरी नहीं है। यह आघात इतने बड़े होते हैं कि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहता हैं। बहुत बार आपको पता भी नहीं होता कि आपके साथ कोई समस्या है या आप अपने चाइल्डहुड ट्रॉमा से जूझ रहे (you struggled with childhood trauma) हैं। इस समस्या को समझने के लिए एक्सपर्ट बता रही हैं ऐसे 3 संकेत जो बताते हैं कि आप अपने चाइल्डहुड ट्रॉमा से जूझ रहे (3 things happen when you struggled with childhood trauma) हैं।
डाॅ. ललिता साइकोलॉजिस्ट, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट हैं। वे कहती हैं कि हर किसी को अपने बचपन के आघात (childhood trauma) का एक अलग अनुभव होता है। हम जिन चीज़ों से गुज़रे हैं, वे हमारे अपने बारे में, दूसरों के बारे में और जिस दुनिया में हम रहते हैं, उस पर विश्वास करने को एक आकार देती हैं।
जो लोग चाइल्डहुड ट्रॉमा से जूझ रहे होते हैं उनके साथ एक बहुत बड़ी समस्या यह होती है कि वह कम कॉन्फिडेंस वाले होते हैं। जिस तरह हम खुद पर और इस दुनिया पर यकीन करते हैं, वो लोग नहीं कर पाते। जब उनके साथ ‘अच्छा’ व्यवहार किया जाता है, तो वे लोग अक्सर असहज महसूस करते हैं। लेकिन उन्हें यह बात ध्यान रखना जरूरी है कि सेल्फ एस्टीम को डेवलप करने और ट्रॉमा से बाहर आने के कई तरीके हैं।
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यहां हैं वे संकेत जो बताते हैं कि आप बचपन के आघात से अब भी उबर नहीं पाए हैं
1 भरोसा करना सीखना और फिर भी दूसरों के साथ असहज रहना (learning to trust and be vulnerable with someone else)
यदि आप लोगों पर विश्वास करना सीख रहे हैं और फिर भी दूसरों के साथ संबंध बनाते समय आप असहज होते हैं या खुद को कमजोर पाते हैं, तो यह एक संकेत है कि आप चाइल्डहुड ट्रॉमा से जूझ रहे हैं। इसी वजह से लोगों पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं।
2 ना कहना और घेरे बना लेना (saying no and implementing boundaries)
यदि कोई व्यक्ति आपसे दोस्ती करना चाहता है या बात करने की कोशिश करता है, तो आप असहज हो जाते हैं। उनसे बात नहीं करते या अपनी सीमाओं का एक दायरा बना लेते हैं। जिससे आपको लोगों का सामना न करना पड़े।
3 ख्याल रखने वालों पर संदेह करना
जब लोग आपका ख्याल रखें या आपकी जरूरतों को अपनी जरूरतों से ज्यादा तव्वजों दें। तब आप उन विश्वास करने के स्थान पर असहज महसूस करने लगते हैं कि कोई आपका ध्यान क्यों रख रहा हैं। ऐसा असल में आप नहीं आपके अंदर का वो सदमा करता है जिससे आप जूझ रहे होते हैं।
एक्सपर्ट कहती हैं कि जब आप इन “छोटी चीजों” का अनुभव करते हैं तो यह आप नहीं आपके भीतर का बच्चा होता है जो असहज महसूस करता है। वह यह देखने या सुनने के लिए अभ्यस्त नहीं है। यह बाते उसे गहरे स्तर पर हिट करती हैं। जो हुआ उसके लिए आपको खुद को और परेशान करने की जरूरत नहीं है। आप बदल सकते हैं। आप अपने बचपन के आघात को समझने के लिए कोशिश कर सकते हैं और उससे बाहर आ सकते हैं।
ध्यान रखें
आपका आघात आपके मूल्य को परिभाषित नहीं करता है। जब आप अपने उन सभी अलग-अलग हिस्सों के साथ तालमेल बिठाते हैं, जो सबसे कठिन चीजों के अनुभव से गुज़रे हैं, तो जीवन बदलता है। आप परिवर्तनों को समझते हैं, आप बदलाव से कैसे प्यार करते हैं, आप परिवर्तनों को कैसे जोड़ते हैं। हम अपने आसपास की दुनिया से कैसे जुड़ते हैं। याद रखें कि यह सब उस सम्बन्ध से आता है जैसा हम खुद के साथ रखते हैं।
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