रिश्ते निभाना किसी एक की ज़िम्मेदारी नहीं होती। यह दोनों पार्टनर्स के आपसी प्रेम, सहयोग और ईमानदारी से चलते हैं। इनमें से एक भी कमजोर पक्ष रिश्ते को चोट पहुंचा सकता है। अपनी जिम्मेदारियों और ईमानदारी में कोई एक भी अगर पटरी से उतर जाए, तो जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाना और रिश्ते निभाना दोनों काफी मुश्किल हो सकता है। मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक किसी भी स्तर पर पार्टनर के अलावा किसी और को साझीदारी बनाना रिश्तों में बेईमानी (infidelity in relationships) का पर्याय है। इसके बावजूद महिलाएं इस तरह की चीटिंग लगातार बर्दाश्त करती जाती हैं। पर मजबूरी में झेली जा रही कोई भी स्थिति आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है। इसलिए आपको अकेले होने के डर से उबरने (how to overcome fear of being alone) की जरूरत है। इसके लिए एक्सपर्ट कुछ सुझाव दे रहे हैं।
बहुत सारे मामलों में हम देखते हैं कि कई महिलाएं पार्टनर की चीटिंग (Cheating) या रिश्ते में धोखा (Infidelity) खाने के बावजूद, मन मारकर भी साथ निभाती रहती हैं। ऐसी स्थिति के बारे में सोचकर ही घुटन महसूस होती है। सोचिए जो महिलाएं इससे गुजरती हैं और चाहकर भी रिश्ते से अलग नहीं हो पातीं, वे अपने आप को कितना विवश और मजबूर महसूस करती होंगी।
मगर प्रश्न यह है कि इन्फिडेलिटी का शिकार होने के बावजूद कोई महिलाएं ऐसे रिश्ते में क्यों बनी रहती हैं? ऐसी कौन सी मजबूरी है जो महिलाओं को इतना लाचार बना देती है कि वे टॉक्सिक माहौल में जीना चुन लेती हैं।
यदि आप या आपके जान पहचान में कोई इस तरह के समझौते को रिश्ते का नाम देकर बैठा है, तो उन्हें बताएं कि ये लॉन्ग टर्म में कई मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स (Mental Health Problems) का कारण बन सकता है।
यदि कोई व्यक्ति किसी भी कारण से अपने रिश्ते में धोखा मिलने के बाद भी उसे जारी रखने का प्रयास करता है तो वे रिश्ते में मौजूद टॉक्सिसिटी का शिकार हो जाएगा। ऐसा होना लाज़मी है, क्योंकि यह एक तरह का मेंटल ट्रॉमा है जिससे आप रोज़ गुज़रेंगे। एक टॉक्सिक रिलेशन को निभाना और मजबूर होकर रह जाना किसी के भी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है।
इन सब की वजह से आप जाने अंजाने अवसाद, चिंता और पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर (PTSD) की चपेट में आ सकती हैं। कई महिलाओं के टॉक्सिक रिलेशन को निभाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे आर्थिक तौर पर मजबूत न होना, सामाजिक अलगाव, परिवार वालों का सपोर्ट न मिलना आदि।
गेटवे ऑफ हीलिंग की, संस्थापक और मनोचिकित्सक, लाइफ कोच, डॉ चांदनी तुगनैत का कहना है कि ”कई महिलाएं सोशल स्टिग्मा और अकेलेपन के डर से पतियों के एक्सट्रा मैरिटल अफेयर को स्वीकार कर लेती हैं।”
इस बारे में सही जानकारी हासिल करने के लिए हेल्थशॉट्स नें बात की पटना की क्लीनिकल साईकोलॉजिस्ट – डॉ. बिंदा सिंह से। जो बता रही हैं अकेलेपन के डर को दूर करने के कुछ टिप्स।
रिश्ते से अलग होने के लिए आपका हर तरह से मजबूत होना ज़रूरी है। इसलिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से खुद को मजबूत बनाएं। यदि फाइनेंशियल तौर पर सक्षम नहीं हैं तो जॉब ढूंढें। उन दोस्तों का सहारा लें जो आपकी मदद कर सकते हैं। इमोशनली न सोचें।
डॉ. बिंदा सिंह कहती हैं कि – ”किसी भी रिश्ते से निकलना बहुत मुश्किल होता है। माना कि यह ये इमोशनली और मेंटली काफी चैलिंजिंग हो सकता है।” मगर, कई बार हमारी सोशल कंडिशनिंग हमें टॉक्सिक रिलेशन से बाहर नहीं निकलने देती है। हम सिर्फ ये सोचकर डर जाते हैं कि रिश्ता तोड़ दिया तो लोग क्या कहेंगे।
मगर लोगों से ज़्यादा अपनी हेल्थ की परवाह करें और यदि आपके बच्चे हैं तो उनका ख्याल करें। क्योंकि यदि आप खुद के लिए स्टैंड नहीं लेंगी तो कोई नहीं लेगा। बस यह मान लें कि लोग हर परिस्थिति में आपके खिलाफ ही बोलेंगे तो बस अपने बारे में सोचें।
डॉ. बिंदा के अनुसार ”अकेलेपन का डर तब सताता है जब आपके अपने ही आपका साथ नहीं देते हैं। और ऐसे में यदि आप वर्षों से अपने पार्टनर पर निर्भर रही हैं, तो इस निर्भरता के छूट जाने का डर मन में घर कर सकता है। मगर, आपको अलग हट कर सोचना होगा। एक – एक करके अपने डर का सामना करें देखें कि आप किन चीजों के लिए अपने पति पर निर्भर हैं और धीरे – धीरे उन चीजों का कंट्रोल खुद के हाथ में लें।”
एक्सट्रा मैरिटल अफेयर, इंफिडेलिटी, चीटिंग या फिर पति का कहीं और इनवॉल्व होना, मल्टीपल पार्टनर्स। ये सब वो समस्याएं हैं जो आपके रिश्ते को टॉक्सिक बना सकती हैं, लेकिन इससे मजबूत होकर बाहर निकलने में ही आपकी भलाई है। इसलिए किसी भी तरह के सोशल स्टिग्मा या डर को पीछे छोड़ दें और खुद के लिए स्टैंड लें।
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