थोड़ी सी उदासी का मतलब अवसाद नहीं, जानिए कैसे अवसाद से अलग है उदासी

ब्रेकअप का तनाव, ऑफिस का वर्क लोड या फिर किसी पारीवारिक विवाद के कारण होने वाली परेशानी से हम कई बार उदास हो जाते हैं। लेकिन ऐसे में इन कारणों को डिप्रेशन से जोड़ना सही नहीं है। जानिए कैसे उदासी और डिप्रेशन हैं अलग-अलग।
विटामिन डी की कमी से अवसाद की समस्या होती है।चित्र- शटरस्टॉक।
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 12 Oct 2023, 17:36 pm IST
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थोड़ी से भी उदासी होने पर हम उसे डिप्रेशन समझने लगते हैं। जबकि अवसाद और उदासी अपने आप में एक-दूसरे से काफी अलग हैं। हालांकि लंबे समय तक उदास रहना डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

मनुष्यों में ढेरों भावनाएं होती हैं। वह खुश भी होता है, तो कई बार उदास भी होता है। दोनों ही बिल्‍कुल प्राकृतिक और स्वाभाविक भावनाएं हैं। उदास होना​ असल में डिप्रेशन नहीं है।

जानिए ये एक-दूसरे से कैसे अलग हैं

क्या है उदासी

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जब भी कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर परेशान रहता है, तो उसे यह लगता है कि वह डिप्रेशन का शिकार हो गया है। लेकिन ऐसा नहीं है। यह सामान्य उदासी होती है। सामान्य उदासी से कोई भी और किसी भी समय प्रभावित हो सकता है।

जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ भी गलत होता है। तो वह इसके चलते उदास हो जाता है। इस तरह की उदासी व्यक्ति में कुछ दिन ही रहती है। इसके बाद आप फिर से पहले की तरह सामान्य हो जाती हैं। जबकि डिप्रेशन के दौरान आपको लंबे समय तक उदासी रहती है।

डिप्रेशन एक तरह की मानसिक स्थिति है, इसे ड्रग्‍स से जोड़ना मूर्खता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
डिप्रेशन एक तरह की मानसिक स्थिति है। चित्र: शटरस्‍टॉक

क्या है डिप्रेशन

अवसाद या डिप्रेशन पूरी तरह से एक मेडिकल कंडीशन है। इसके लक्षण सिर्फ मानसिक ही नहीं है, बल्कि इlका शारीरिक प्रभाव भी होता है। डिप्रेशन की समस्या होने पर आपको भूख कम लग सकती है। आपको बहुत ज्यादा नींद आती है या हो सकता है कि आपको बिल्कुल भी नींद न आए। इसके अलावा आपको अपने रोजमर्रा के कामों को करने में भी परेशानी आ सकती है।

आप रहती हैं लंबे समय तक उदास

यह सामान्य उदासी से बिल्कुल अलग होता है। डिप्रेशन के दौरान आप लंबे समय तक उदास रहते हैं। आपके आस-पास कितनी भी अच्छी घटनाएं क्यों न घटित हो रही हों, लेकिन आप उनमें कोई रूचि नहीं लेते और उदास रहते हैं।

ये डिप्रेशन के संकेत हो सकते हैं। डिप्रेशन एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है। डिप्रेशन के लक्षणों को पहचान कर समय रहते इसका इलाज किया जाना बहुत ही जरूरी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कि 2015 में की गई एक स्टडी में भारत में हर 5 लोगों में से 1 व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी न कभी डिप्रेशन की समस्या का शिकार हुआ है। स्टडी के मुताबिक भारत में रहने वाले करीब 20 करोड़ लोग डिप्रेशन के शिकार हैं।

डॉक्टर से परामर्श लेना है जरूरी

उदासी या डिप्रेशन की समस्या होने पर आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है। लेकिन ज्यादातर लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते। जिससे उनकी समस्या बढ़ती रहती है और वे गंभीर रूप से डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।

अपनी भावनाओं के बारे में बात करना मुश्किल तो है, पर यह जरूरी भी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के सचिव डॉ. राजेश सागर बताते हैं कि डिप्रेशन यानी हताशा ऐसा रोग है, जिसके बहुत कम रोगी डॉक्टर के पास आते हैं।

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इस समस्या से पीड़ित सिर्फ 10% लोग ही डॉक्टर के पास जाते हैं। जिसके चलते 90% लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल ही नहीं पाती। ऐसे में इस प्रकार की समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है।

कैसे पहचानें उदासी है या डिप्रेशन

सबसे पहला और सबसे महत्‍वपूर्ण लक्षण है दोनों की अवधि। उदासी अमूमन एक अस्‍थायी भाव है। यानी उसके कारण तात्‍कालिक होते हैं। जैसे ही कोई अच्‍छी खबर आती है, या सुखद घटना घटती है आप फि‍र से चकहने लगती हैं।

इसके उलट अवसाद से उबरना बहुत मुश्किल होता है। सुखद बदलाव भी आप पर कोई असर नहीं डाल पाते। इस स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए और बाहर आने के लिए मदद मांगने में भी संकोच न करें।

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