बढ़ते डेथ टोल के बारे में टीवी चैनलों पर बातें हुईं हैं, सोशल मीडिया पर पोस्ट डाले गए और दोस्तों के बीच बात भी हुई होगी, लेकिन इस स्थिति से डील कैसे करना है यह कहीं नहीं बताया जा रहा।
जहां इरफान खान, ऋषि कपूर और सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु पर देश इतना दुखी है, वहीं किसी अपने की मृत्यु पर होने वाले दुख की तो कल्पना भी नहीं हो सकती। मैंने इस कल्पना को यथार्थ में बदलते देखा है, जब मेरे दादाजी की मृत्यु पिछले महीने हुई। मैं जिस दर्द से गुज़री, उसे शब्द देना असम्भव है, लेकिन मेरे दर्द ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि मेरे जैसे कितने लोग किसी अपने को खो देने के दर्द से गुज़र रहे होंगे। इसलिए मैंने एक्सपर्ट से सलाह ली।
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथेरेपिस्ट डॉ प्रीति सिंह बताती हैं, “इस महामारी का हम सभी के मेंटल हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ा है। आर्थिक समस्या, स्वास्थ्य और तनाव ने लोगों को मेंटली और इमोशनली कमजोर कर दिया है।”
किसी अपने के चले जाने का दुख हमेशा ही अकल्पनीय होता है, लेकिन इस महामारी की स्थिति के कारण यह कष्ट और बढ़ गया है।
जब कोविड-19 के कारण किसी की मृत्यु होती है, तो आप देश की स्थिति पर ज़रूरत से ज्यादा सोचने लगते हैं। आप ओवर थिंकिंग करने लगते हैं। कैसे वे वायरस से संक्रमित हुए, क्यों आप उनकी जगह नहीं थे या क्या होता अगर आपने थोड़े और प्रीकॉशन्स लिए होते। इस तरह के सवाल आपके दर्द को बढ़ा देते हैं।
आपके दिमाग मे यही चलता है कि आप कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लेकिन आप बच गए। इसे ‘सर्वाइवर गिल्ट’ कहते हैं।
साथ ही जब कोई व्यक्ति किसी गम्भीर बीमारी से मरता है, तो हम मानसिक रूप से तैयार होते हैं कि ऐसा कुछ होने वाला है। कोविड-19 के केस में हम तैयार नहीं थे, जो दर्द को और बढ़ा देता है।
एक और दर्दनाक पक्ष है उनका अंतिम संस्कार न कर पाना। वायरस के संक्रमण के कारण आप उन्हें आखिरी अलविदा भी नहीं कह पाए, यह विचार भी परेशान करता है।
यही कारण है कि लोग इस दौरान ज्यादा मानसिक अशांति से जूझ रहे हैं।
इस स्थिति में आप PTSD का शिकार हो सकते हैं। PTSD यानी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर। इसमें आपको अनिद्रा, मृत व्यक्ति के सपने आना, एंग्जायटी, अवसाद, बहुत अधिक शराब या सिगरेट पीना और निराश रहने जैसे लक्षण दिखाई देंगे।
1. गिल्ट से बाहर आएं
यह सोचना बंद करें कि उनकी जगह आप क्यों नहीं थे। आपने हर सम्भव प्रयास किया उन्हें बचाने का, इस बात को समझें। जो बातें आपके हाथ मे नहीं हैं उन्हें लेकर पछतावा न रखें।
2. बात करें
अपनी भावनाओं को अंदर बन्द करके रखने से बेहतर है किसी से बात करें। किसी करीबी से बात करना हर समस्या का समाधान है। जितना आप इन बातों को खुद तक सीमित रखेंगे, उतना ही आप घुटते रहेंगे। बात करें, रोएं, अपने दर्द को बयां करें। आपको अच्छा लगेगा।
3. अपनों के करीब रहें
इस बुरे समय में अकेले बिल्कुल न रहें। किसी रिश्तेदार, दोस्त के साथ रहें जो आपका ख्याल रखें। आपको मानसिक यातना कम होगी।
4. रूटीन बनाकर रखें
यह समझना जरूरी है कि जो चला गया उसके बगैर भी आपको जीना है। और यह समझने के लिए सबसे पहले आपको अपने रूटीन में वापस जाना होगा। साथ ही आपका रूटीन आपको इधर-उधर की बातें सोचने से रोकेगा। आप जितना बिजी रहेंगे, उतना बेहतर महसूस करेंगे।
5. अपनी हॉबी को समय दें
यह खुद को बिजी और डिस्ट्रैक्ट रखने का सबसे अच्छा तरीका है। जो भी काम आपको खुशी देता है पेंटिंग, कुकिंग, वॉकिंग, उसे अपने रूटीन में शामिल करें।
6. एक्सरसाइज करें और हेल्दी खाएं
हेल्दी खाने से आपकी बॉडी को ज़रूरी पोषण मिलेगा, जिससे आप तनाव और दर्द से लड़ पाएंगे। एक्सरसाइज करने से न सिर्फ आप फिट रहेंगे, बल्कि आपका मूड भी अच्छा रहेगा। आपका मन शान्त होगा और नींद भी आसानी से आएगी।
7. मदद मांगने में पीछे न हटें
अगर 5-6 महीने बाद भी आप नार्मल जीवन नहीं जी पा रहे हैं, तो प्रोफेशनल मदद लेने का समय है।
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