तीज-त्योहार, ब्याह-शादियां, सब मेहंदी के बिना अधूरे हैं। सोलह श्रृंगार में एक खास श्रृंगार हैं हथेलियों को मेहंदी से सजाना। हालांकि वक्त के साथ मेहंदी के डिजाइन भी बदल गए हैं। और अब ये हथेलियों के साथ-साथ, बाजू, कमर और पीठ पर भी नजर आने लगी है। पर क्या आप जानती हैं कि मेहंदी सिर्फ श्रृंगार ही नहीं है, बल्कि इसका आपकी मेंटल हेल्थ से भी गहरा ताल्लुक है। विभिन्न शोध इस बात का दावा करते हैं कि मेहंदी की महक और आकर्षक रंग (Mehandi benefits for mental health) आपके मूड को बूस्ट कर सकते हैं।
करवा चौथ के अवसर पर स्त्रियां मेहंदी रचाती हैं। हाथों पर काढ़ा गया खूबसूरत डिज़ाइन दिल और दिमाग को बहुत सुकून दिलाता है। कोरोना के समय में लोगों ने खुद को व्यस्त रखने और खुश रखने के लिए यू टयूब से मेहंदी आर्ट सीखा। रिसर्च भी बताते हैं कि मेहंदी मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाती हैं। बस जरूरत है कि आपने केमिकल वाली नहीं बल्कि हर्बल मेहंदी चुनी हो।
मेहंदी का रंग हाथों पर या बालों पर गहरा हो, इसके लिए बाज़ार में उपलब्ध केमिकल युक्त मेहंदी में पैरा फिनाइलएनेडियामाइन (Para-phenylenediamine) केमिकल मिलाया जाता है। यह स्किन के लिए काफी नुकसानदेह होता है। इससे खुजली और स्किन पर रेड रैशेज की समस्या हो सकती है। दूसरी ओर हर्बल मेहंदी एंटी इन्फ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल होने के कारण यह हर प्रकार के इन्फेक्शन से दूर रखती है।
स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी की रिसर्च बताती है कि प्रतिदिन क्रिएटिव वर्क करने से आप पॉजिटिव फील करती हैं। क्रिएटिव वर्क करने का प्रभाव अगले 24 घंटे तक बना रहता है। मेहंदी आर्ट एक क्रिएटिव वर्क है। यदि किसी तरह का नकारात्मक विचार आपको परेशान कर रहा है, तो क्रिएटिव वर्क से जुड़ें। अगर आप किसी दूसरे से मेहंदी लगवा रहीं हैं, तब भी उसकी क्रिएटिविटी आपके मूड पर पॉजिटिव इफेक्ट डालती है।
यदि आप नियमित रूप से मेहंदी की बारीक कला सीखती और आजमाती हैं, तो आप में धैर्य से काम करने का गुण विकसित होगा। आप किसी भी समस्या से विचलित नहीं होंगी। बल्कि समस्या का धैर्यपूर्वक समाधान कर पाएंगी।
सालों से अपने और परिवारजनों के हाथों में मेहंदी लगा रहीं सपना अवस्थी बताती हैं कि जब भी उन्हें कोई समस्या परेशान करती है, तो वे मेहंदी लगाने बैठ जाती हैं। इससे उनका ध्यान समस्या से हट जाता है। स्टडी भी बताती है कि कोई भी क्रिएटिव वर्क एंग्जायटी और स्ट्रेस से लड़ने में मददगार होता है।
पबमेड सेंट्रल की स्टडी बताती है कि घरों में रहनेवाली ज्यादातर महिलाएं अवसाद का शिकार इसलिए होती हैं, क्योंकि वे खुद को एक्सप्रेस ही नहीं कर पाती हैं। अवसाद से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि वे खुद को किसी न किसी क्रिएटिव वर्क से जुड़ें। इसके माध्यम से वे अपने मन की बात कह पाती हैं।
हिमाचल में लगने वाले सरस मेला में भाग लेने वाली एक मेहंदी आर्टिस्ट खुश्बू पठानिया ने बताया कि जब भी उन्हें अपने दिल की बात शेयर करनी होती है, वे मेहंदी के डिजाइन में कह देती हैं।
पबमेड की स्टडी बताती है कि मेहंदी तेल का प्रयोग अवसादग्रस्त लोगों पर किया गया। इसकी खुशबू मन को शांत कर अवसाद दूर करने में कुछ हद तक कामयाब हुई। अरोमाथेरेपी में भी मेहंदी तेल का प्रयोग किया जाता रहा है।
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