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इन 4 तरीकों से सिखाएं अपने बच्चों को खुद को एक्सप्रेस करना 

यदि आपका बच्चा ज्यादा चुप रहता है, अपनी भावनाओं को एक्सप्रेस नहीं कर पाता है, तो उसे सिखाना होगा। ये टिप्स आपके लिए इसे ज्यादा सुविधाजनक बना सकते हैं। 
Published On: 28 Aug 2022, 06:30 pm IST
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parenting tips
बच्चे के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए उसे अपनी बातों को एक्स्प्रेस करने दें।चित्र: शटरस्टॉक

यह सच है कि कुछ बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। वे जरूरी बातों के बारे में भी नहीं बता पाते हैं। उनकी इस आदत से पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चा यह आदत घर और उसके माहौल से ही डेवलप करता  है। यदि उसे हर बात के लिए पेरेंट्स से  डांट मिलती है या उसे हर बात के लिए रोका-टोका जाता है, तो वह चुप रहना शुरू कर देता है। वह अपनी बातों को एक्स्प्रेस करना छोड़ देता है। उसे अपनी बात कहना व्यर्थ लगने लगता है। यदि आपको भी लगता है कि आपका बच्चा अपनी बातों को एक्स्प्रेस नहीं कर पा रहा है, तो आपको उसे सिखाना पड़ेगा ( how to teach a child to express emotions)।  बच्चे के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए यह जरूरी है। 

बच्चे को एक्सप्रेस करना सिखाने के लिए क्या- क्या करना चाहिए, इसके लिए हमने बात की चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट पूजा कपूर से। 

1 सिखाने से पहले खुद सीखें

पूजा कपूर कहती हैं, ‘किसी भी गलत काम के लिए जब आप बच्चे को टोकने जाती हैं, तो सबसे पहले यह जांच लें कि कहीं यह गलती आप भी तो नहीं कर रही हैं। यदि आप या आपके पार्टनर उस गलती को करते हैं, जैसे कि तेज आवाज में जवाब देना, किसी बाहरी व्यक्ति को देखकर उससे कट कर चले आना आदि, तो आपका बच्चा भी वैसा ही करेगा।पेरेंट्स जो करते हैं, बच्चा वही सीखता है। 

किसी गलती पर तुरंत डांटने की बजाय स्थिर होकर बच्चे की बात सुनने की कोशिश करें, उसे समझाने का प्रयास करें। जब आप उनकी बात सुनेंगी, तो वे भी अपनी तरफ से कुछ कह पाएंगे। अपनी भावनाओं को शेयर कर पाएंगे। 

2 फैमिली बॉन्डिंग  का एहसास कराएं

पूजा बताती हैं, ‘यदि आप अपने काम में लगी रहेंगी और आपके पार्टनर अपने काम में, तो बच्चा इग्नोर फील करने लगता है। उसे लगता है कि अपने घर में उसका कोई महत्व नहीं है।  यह एहसास उसे अपनी बात शेयर करने से रोकने लगता है। वह चाहकर भी अपनी बातें शेयर नहीं कर पाता है।’ 

ध्यान रखें कि यह फीलिंग बच्चे को भावनात्मक तौर पर कमजोर कर देती है। वह अपनी गलतियां छुपाने लग जाता है। आप उसे यह बताएं और समझाएं कि परिवार के हर सदस्य को एक-दूसरे की जरूरत होती है। सभी को एक दूसरे के सुख- दुख में साथ देना चाहिए। एक दूसरे को बात बताने और एक-दूसरे की बात सुनने से भी फैमिली बॉन्डिंग मज़बूत होती है। 

3 रिश्तेदार, पड़ोसी और समाज की जरूरत 

बच्चे को यह बताएं कि जिस तरह पेरेंट्स जरूरी हैं, उसी तरह रिश्तेदार, पड़ोसी या समाज के अंजाने लोग भी बेहद जरूरी हैं।

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दबाव बनाने की बजाय बच्चों को दूसरों के सामने एक्सप्रेस करने के लिए प्यार से समझाएं। चित्र: शटरस्टॉक

किसी एक की कमी से संतुलन बिगड़ सकता है। यदि वे उनसे घुलमिल नहीं पाएंगे, उनके बीच स्वयं को अभिव्यक्त नहीं कर पाएंगे तो भविष्य में उन्हें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। 

4 समझें बच्चे का स्वभाव

कई बार बच्चे का स्वभाव भी शर्मीला होता है। वह लोगों से बहुत अधिक  घुलना-मिलना और उंनसे बातचीत नहीं कर पाता है। कई बार इसके लिए जीन भी जिम्मेदार होती है।

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कुछ बच्चों का स्वभाव शर्मीला होता है। उन पर हमेशा लोगों से बातचीत करने के लिए बहुत अधिक दबाव न बनाएं। चित्र: शटरस्टॉक

यदि आपका बच्चा भी इस श्रेणी में है, तो उस पर बहुत अधिक दवाब न बनाएं। बड़े होने पर वह अपने-आप चीजों को समझना शुरू कर देगा। जहां स्वयं को अभिव्यक्त करना जरूरी होगा, वह कर पायेगा।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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