रिश्तों के मायने धीरे-धीरे बदल रहे है। जहां पहले कपल उम्र भर साथ रहते थे, तो वहीं अब कभी बेनिफिट्स, तो कभी सिचुएशन के हिसाब से रिश्ते में फेर बदल किए जा रहे हैं। साफ शब्दों में कहें, तो अब ज़रूरत के हिसाब से रिश्तों की लेबलिंग करने से लोग नहीं हिचकते हैं। कुछ वक्त पहले फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स यानि फायदे के लिए दोस्ती करना या पार्टनर बनाना टर्म बेहद प्रचलित हुई थी। ठीक उसी तरह से इन दिनों एक और टर्म, जो बहुत ट्रेंड में है, वो है सिचुएशनशिप। ये वो स्थिति है, जिसमें किसी के साथ इमोशनल या सेक्सुअल रिलेशन रखने के बावजूद उसे कोई लेबल न देना।
इसके तहत नियमित रूप से मिलना जुलना, शारीरिक अंतरंगता और भावनात्मक संबंध बना रहता हैं, लेकिन इस तरह की व्यवस्था में फॉर्मल कमिटमेंट का अभाव होता है। कमिटमेंट की कमी के अलावा फ्यूचर प्लान भी एक दूसरे से शेयर नहीं किए जाते हैं। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए, तो इस सिचुएशन (how to get over Situationship) में कोई व्यक्ति शारीरिक संबध तो बनाना चाहता है, मगर किसी तरह के कमिटमेंट में विश्वास नहीं रखता है।
ये स्थिति दोस्ती और कमिटमेंट के बीच का ग्रे एरिया कहलाता है। दरअसल, सिचुएशनशिप शब्द सिचुएशन और रिलेशनशिप से मिलकर बना है। मनोचिकित्सक और लाइफ कोच डॉ. चांदनी तुगनैत कहती हैं कि वास्तव में सिचुएशनशिप एक रोमांटिक उलझन है। इसके अर्तंगत दोनों पक्ष भावनात्मक और शारीरिक अंतरंगता साझा करते हैं, मगर अपने रिलेशन को कोई नाम देने से डरते हैं। साल 2024 में सेक्सुअलिटी एंड कल्चर में प्रकाशित शोध के अनुसार, सिचुएशनशिप में लोग अधिकतर भावनात्मक और यौन रूप से खुद को इनवेस्ट यानि निवेशित करते हैं, फिर चाहे कमिटमेंट न भी हो।
पारंपरिक रिश्तों की तुलना में सिचुएशनशिप में अनकहे नियम और सहज अस्पष्टता के बारे में अधिक जानकारी होती है। शोध के अनुसार, कई युवा इस तरह की रोमांटिक व्यवस्था के साथ बेहद कंफर्टेबल हैं। 2024 में पार्टनर्स यूनिवर्सल इंटरनेशनल इनोवेशन जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसारए 18 से 29 वर्ष की आयु के लगभग 50 प्रतिशत लोग सिचुएशनशिप में शामिल रहे हैं।
वे रिश्ते जहां व्यक्ति कमिटिड होता है, उसकी तुलना में इस तरह के रिलेशनशिप में व्यक्ति हर वक्त संपर्क में नहीं रहता है और न ही रोज़ाना बातचीत होती है। कभी मैसेज, तो कभी कॉल पर संपर्क हो सकता है, जो नियमित नहीं कहलाता है।
इस तरह के रिलेशन में रहने वाले लोगों को आज़ादी बेहद प्यारी होती है। इसी के चलते शायद ही कभी उनकी बातचीत कभी तत्काल योजनाओं से आगे बढ़ती है। भविष्य पर चर्चा करने में उन्हें झिझक या अस्पष्टता महसूस होती है। एक्सपर्ट के अनुसार इस तरह के कनेक्शन में व्यक्ति जानबूझकर खुद को किसी भी तरह के कमिटमेंट से दूर रखने का प्रयास करता है।
इसमें व्यक्ति खुद को आइसोलेट करके रखता है, वो एक दूसरे के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराते हैं। अगर मुलाकात होती भी है, तो किसी स्पष्ट लेबल के बिना या बस एक दोस्त के रूप में मिलवाया जाता है।
इस तरह के रिलेशन में कनेक्शन गहरा बना रहता है लेकिन केवल तभी जब दोनों एक दूसरे के लिए उपलब्ध हो। इसमें कोई भी व्यक्ति एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी का एहसास नहीं रखता है और खुद को इस तरह की स्थिति से अलग रखना पसंद करते हैं।
ऐसे में अधिकांश बातचीत खाली समय या सप्ताहांत के दौरान होती है। इसमें व्यक्ति अपने दैनिक जीवन से जुडत्री बातों को डिस्कस नहीं करना चाहते हैं। डॉण् तुगनेट के अनुसार ये पैटर्न लाइफ इंटीग्रेशन की जगह सुविधा पर अधिक निर्भर करता है।
इस तरह का पैटर्न अपेक्षाओं के बोझ के बिना इमोशनल इंटीमेसी प्रदान करता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इसमें व्यक्ति को पर्सनल स्पेस को बनाए रखते हुए इंटिमेसी का अनुभव करने की आज़ादी मिलती है। इसके चलते व्यक्ति को रिश्ते की बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
किसी प्रकार की फॉर्मल कमिटमेंट के बिना अपने साथी के अधिकारों की चिंता किए बगैर व्यक्ति अपने प्रोफेशन और पर्सनल लाइफ पर फोकस कर पाता है। इसमें व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राथमिकता देने के लिए आज़ाद होता हैं।
इसमें पारंपरिक संबंधों के समान परिवार से किसी तरह के दबाव को महसूस नहीं किया जाता है। साथ ही व्यक्ति तनाव से भी दूर बना रहता है। इस तरह के संबध में व्यक्ति अपने अनुसार जीवन में आगे बढ़ने लगता है।
ऐसे लोग जो पहले रिश्ते के दर्द से उबर रहे हैं, उनके लिए ये स्थिति फायदेमंद साबित होती है। ऐसे में उन्हें साथी से मेंटल सपोर्ट हासिल हेता है और लाइफ में इंटिमेसी बनी रहती है। इससे एंगज़ाइटी से राहत मिलती है
एक्सपर्ट के अनुसार स्पष्ट सीमाओं की कमी अक्सर रिश्ते को चिंता (how to get over Situationship) और भ्रम की ओर ले जाती है। ऐसे में भविष्य की संभावनाओं और वास्तविक भावनाओं के बारे में उठने वाले सवाल मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।
असमान निवेश यानि अनइक्वल इनवेंस्टमेंट, जिसमें अक्सर एक व्यक्ति जहां गहरी भावनाओं को विकसित करता है, तो वहीं दूसरा भावनात्मक रूप से दूर रहता है। इससे असंतुलन पैदा हो सकता है जो चिंता का कारण साबित होता है।
इस तरह की रोमांटिक रिलेशनशिप में महीनों या सालों तक बने रहने से व्यक्ति सार्थक संबंधों के अवसरों को खोने लगता है। इससे समय पर लाइफ सेटल न होने का रिस्क बढ़ जाता है, जो मानसिक खिन्नता को बढ़ा सकता है (how to get over Situationship)।
लगातार अनिर्धारित सीमाओं और अलिखित नियमों के आसपास खुद को खोजना मानसिक रूप से थका देने वाला हो सकता है। इसका असर काम, परिवार के साथ संबंध और दोस्ती जैसे अन्य क्षेत्रों पर देखने को मिलता है।
डॉ तुगनेट बताती हैं कि ये मुख्य रूप से दोनों पक्षों की जागरूकता और भावनात्मक बॉडिंग पर निर्भर करता है कि ये रिलेशन उनके लिए फायदेमंद है या नहीं। जब दो व्यक्ति सचेत रूप से इस स्थिति को चुनते हैं और अपनी अपेक्षाओं के बारे में ईमानदार संचार बनाए रखते हैंए तो ये एक मैनेजएबल अरेंजमेंट हो सकता है।
हालांकि, जब भावनाओं या भविष्य की अपेक्षाओं में मिसअलाइनमेंट होता है, तो ये अक्सर भावनात्मक रूप से अनहेल्दी हो जाता है। जर्नल ऑफ़ प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी में 2023 में प्रकाशित शोध के अनुसार सिचुएशनशिप में स्पष्टता और प्रतिबद्धता की कमी इमोशनल, कॉग्नीटिव और यौन संकट पैदा कर सकती है, जो स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
ये स्वाभाविक रूप से अस्वस्थ नहीं है, लेकिन संकट को रोकने (how to get over Situationship) के लिए भावनात्मक प्रबंधन और सेल्फ रिफलेक्शन की आवश्यकता होती है।
इस रोमांटिक व्यवस्था के केजुअल नेचर के बावजूद मैसेज के बजाय आमने सामने बैठकर बातचीत करें और चुनें। विशेषज्ञ का सुझाव है, भावनाओं और निर्णय को स्पष्ट रूप से व्यक्त करें और अस्पष्ट बयानों से बचें, जो भ्रम की गुंजाइश छोड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए मुझे स्पेस चाहिए, कहने के बजाय कहें कि मैंने इस सिचुएशनशिप को खत्म (how to get over Situationship) करने का फैसला किया है।
इस बारे में ईमानदार रहें कि आप उस व्यक्ति के साथ संबंध क्यों खत्म कर रहे हैं। चाहे वह गहरी भावनाओं का विकास हो, इमोशनल एंग्ज़ाइटी हो या अपने फ्यूचर में बस कुछ अलग करना हो। उचित कारणों को व्यक्त करना दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद है।
किसी स्थिति से बाहर निकलते समय समाप्ति के बाद की अपेक्षाएँ निर्धारित करें (how to get over Situationship) । तय करें कि आप दोस्त बने रहेंगे। पूरी तरह से दूरी बनाए रखना चाहते हैं या सीमित संपर्क पसंद करते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं पुराने पैटर्न में वापस जाने से बचने के लिए इन सीमाओं को स्पष्ट करें।
हो सकता है कि आप जीवन में बाद में दोस्त बनना चाहें लेकिन सिचुएशनशिप खत्म (how to get over Situationship) होने के तुरंत बाद शारीरिक और डिजिटल स्पेस बनाएँ। विशेषज्ञ कहते हैं इसका मतलब सोशल मीडिया पर अनफ़ॉलो करना, आम हैंगआउट स्पॉट से बचना या आपसी दोस्तों के ग्रुप से ब्रेक लेना हो सकता है (how to get over Situationship) ।
खुद को भावनाओं को महसूस करें। विशेषज्ञ कहते हैं आप अपने दोस्तों या परिवार पर निर्भर हो सकते हैं और व्यक्तिगत विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
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