scorecardresearch

उम्र के साथ कमजोर होने लगा है दिमाग? तो इन 5 तरीकों से बढ़ाएं उसकी क्षमता

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारी त्वचा, बोन्स और मांसपेशियों पर इसका असर दिखाई देने लगता है। इनके साथ ब्रेन भी यह शिकायत करने लगता है कि अब वह पहले की तरह चीजें याद नहीं रख सकता। ऐसी स्थिति में आपको इन 5 तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।
Published On: 16 Feb 2024, 06:06 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
dementia ke kaarn ka pta lagaya ja skta hai
यहां हैं ब्रेन कैपेसिटी बढ़ाने वाली खास स्ट्रैटेजिज। चित्र : एडोबी स्टॉक

आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में शारीरिक देखभाल के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। अपने ब्रेन को मांसपेशियों की तरह इमेजिन करें। जिस प्रकार आपके मसल्स को एक्टिव और स्ट्रांग रहने के लिए एक्सरसाइज की आवश्यकता पड़ती है, ठीक उसी तरह ब्रेन कैपेसिटी और कैपेबिलिटी को एन्हांस करने के लिए ब्रेन एक्सरसाइ की जरूरत होती है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी मदद से आप सक्रिय रूप से ब्रेन फंक्शन और कैपेसिटी को बूस्ट कर सकती है।

योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर, योग गुरु और हेल्थ कोच हंसा जी योगेंद्र ने ब्रेन कैपेसिटी को बूस्ट करने के लिए पांच खास स्ट्रैटेजिज बताई हैं (tips to improve brain power)। तो चलिए जानते हैं, इनके बारे में आखिर यह आपकी ब्रेन के लिए किस तरह काम करते हैं।

यहां हैं ब्रेन कैपेसिटी बढ़ाने वाली खास स्ट्रैटेजिज (tips to improve brain power)

1. संस्कृत या कोई अन्य नई भाषा सीखने का प्रयास करें

संस्कृत या अन्य किसी नए भाषा को सीखने से ब्रेन पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है। लैंग्वेज के ग्रामर, साउंड और स्ट्रक्चर रूल्स को समझना इसे एक यूनिक मेंटल वर्कआउट बनाता है। यह उतना ही प्रभावी है जितना की एक पजल सॉल्व करना। संस्कृत का कॉम्प्लेक्स ग्रामर लॉजिकल थिंकिंग को इंप्रूव करता है और लर्नर को कई नई और प्रभावी चीजे सीखने का मौका देता है। वही संस्कृत साउंड एक वाइब्रेशन रिलीज करती है, साथ ही इसमें स्पिरिचुअल कनेक्शन भी होता है। यह केवल एक लैंग्वेज नहीं है, बल्कि एक स्पिरिचुअल विजडम है। आप सभी को हमेशा कुछ नया सीखने का प्रयास करना चाहिए, खासकर संस्कृत को समझने की कोशिश जरूर करें।

Brain health ko nuksaan pahunchaati hain yeh galtiyaan
हमारा दिमाग धीरे धीरे डैमेज होने लगता है. चित्र : शटरस्टॉक

2. अनुलोम-विलोम

यह एक बेहद खास योगिक प्रैक्टिस है। अब आप सोच रही होंगी ये ब्रेन के लिए किस तरह काम करता है! तो आपको बताएं कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज ब्रेन में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सप्लाई करता है, जिससे की ब्रेन अधिक प्रभावी रूप से कार्य कर पता है। ये आपके नॉस्टैल्स के माध्यम से सांसों के अल्टरनेटिव फ्लो को इंवॉल्व करता है, जिससे कि ब्रेन के अलग-अलग हेमिस्फीयर तक पर्याप्त मात्रा में ब्लड पहुंचता है।

यह भी पढ़ें: डार्क स्पॉट्स और पिगमेंटेशन हटा सकता है हाइड्रा फेशियल, जानिए क्या है इसका तरीका

इसके साथ ही अनुलोम विलोम परसिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम को एक्टिवेट कर देता है, जिससे दिमाग पर स्ट्रेस का असर कम हो जाता है और आपका ब्रेन अधिक प्रभावी और फोकस्ड होकर काम करता है। अनुलोम विलोम के दौरान आपको रिदम और काउंट पर अधिक अटेंशन देने की आवश्यकता होती है। वहीं ये आपके कंसंट्रेशन पॉवर को भी बढ़ा देता है।

3. ब्लड शुगर लेवल के मैनेजमेंट पर ध्यान दें

डायबिटीज डिमेंशिया का एक सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर हो सकता है। बॉडी में बढ़ता ब्लड शुगर लेवल ब्रेन को कई प्रकार से प्रभावित करता है ऐसे में मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ब्लड शुगर लेवल के मैनेजमेंट पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। खान-पान, नियमित व्यायाम और वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दे डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। लेकिन यदि आपका ब्लड शुगर लेवल हाई रहता है, तो आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है।

Pollपोल
स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?
Moong dal side effects
ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है मूंग दाल. चित्र : शटरस्टॉक

4. ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करे

एलडीएल (“खराब” कोलेस्ट्रॉल) का उच्च स्तर डिमेंशिया के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। डाइट, एक्सरसाइज, वेट मैनेजमेंट और तंबाकू से परहेज रख आपको कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने में मदद मिलेगी। बॉडी में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर आपके हार्ट को प्रभावित कर सकता है, जिससे की ब्लड वेसल्स संकुचित हो जाते हैं और ब्लड फ्लो प्रभावित होती है। ऐसे में ब्रेन तक पर्याप्त मात्रा ऑक्सीजन नहीं पहुंचता और ब्रेन फंक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए अपनी बॉडी को कोलेस्ट्रोल फ्री रखने का प्रयास करें।

5. स्लीपिंग स्ट्रैटेजी को समझना है जरूरी

स्लीपिंग स्ट्रैटेजी आपके ब्रेन कैपेसिटी को बढ़ा सकती है। यदि आप उचित मात्रा में नींद नहीं ले रही हैं, तो इससे आपकी मानसिक स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है और डिप्रेशन, डिमेंशिया, मेमोरी लॉस जैसी तमाम समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में 7 से 9 घंटे की उचित नींद लेने से आपकी मेमोरी बूस्ट होती है, साथ ही साथ ब्रेन कैपेसिटी, प्रोबलम सॉल्विंग स्किल्स और क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स भी इंप्रूव होता है। यह सभी आपके डे-टू-डे लाइफ के काम को बेहद आसान बना देते हैं। वहीं ये ब्रेन बूस्टिंग टिप्स में से सबसे आसान है।

यह भी पढ़ें: हैवी मेटल टॉक्सिंस भी बन सकते हैं सिर दर्द, थकान और ब्रेन फॉग का कारण, जानिए इन्हें कैसे बाहर करना है

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

पत्रकारिता में 3 साल से सक्रिय अंजलि महिलाओं में सेहत संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। हेल्थ शॉट्स के लेखों के माध्यम से वे सौन्दर्य, खान पान, मानसिक स्वास्थ्य सहित यौन शिक्षा प्रदान करने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं।

अगला लेख