आपकी सेहत, मूड और प्रोडक्टिविटी खराब कर सकती है स्लीप एंग्जाइटी, जानिए इसके संकेत और इससे निपटने के उपाय

अपनी एंग्जाइटी को शांत करने और अपनी ज़रूरत के हिसाब से नींद पाने के लिए आप जो तरीका अपनाते हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी स्लीप एंग्जाइटी किस वजह से है।
anxiety ka karan jaanein
असंतुलित भावनाएं बन सकती है परेशानी का कारण। चित्र : एडॉबीस्टॉक
Published On: 16 Jun 2024, 05:30 pm IST
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स्लीप एंग्जाइटी, नींद आने के बारे में चिंता या तनाव की भावना है, जो आपकी नींद की मात्रा और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। यह एक आम समस्या है, जिससे बहुत से लोग जूझते हैं। आप कितनी ज्यादा और कितनी अच्छी नींद लेंगे, इस बारे में चिंता, आपकी नींद की मात्रा और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, जिससे एंग्जाइटी और नींद की समस्याओं का कभी न खत्म होने वाला चक्र बन जाता है।

सौभाग्य से स्लीप एंग्जाइटी से निपटने के तरीके हैं। अपनी एंग्जाइटी को शांत करने और अपनी ज़रूरत के हिसाब से नींद पाने के लिए आप जो तरीका अपनाते हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी स्लीप एंग्जाइटी किस वजह से है। जीवनशैली में बदलाव, थेरेपी और दवाएं ऐसे उपचार हैं जो मददगार हो सकते हैं। सबसे पहले यह पहचानना ज़रूरी है कि आपको स्लीप एंग्जाइटी है और यह पता लगाना है कि आपको यह क्यों है।

इस बारे में ज्यादा जानकारी दी साइकलॉजिस्ट आशुतोष श्रीवास्तव ने, उन्होंने बताया कि स्लीप एंग्जाइटी में आपको रातों में नींद में काफी दिक्कत होती है। ये आपको काफी परेशान भी कर सकती है।

unhealthy sleep ke nuksaan
थकावट महसूस करने के बावजूद नींद आने में परेशानी महसूस हो सकती है। चित्र-: अडोबी स्टॉक

स्लीप एंग्जाइटी के क्या लक्षण है (Signs of sleep anxiety)

1 सोने में परेशानी होना

थकावट महसूस करने के बावजूद नींद आने में परेशानी महसूस हो सकती है। इसमें आपकी नींंद रात में कई बार खुल सकती है और फिर से सोने में परेशानी हो सकती है। सोने के समय आराम न मिल पाने के कारण आप पूरी रात करवट बदल सकते है। सोने की कोशिश करते समय या जागने पर दिल की धड़कन बढ़ जाना भी इसी का संकेत है।

2 बहुत ज्यादा पेरशानी और चिंता होना

लगातार नींद न आने से परेशान रहना, खराब नींद के परिणाम या सोने के समय की दिनचर्या के बारे में चिंता होती रहती है। मन को शांत करने पाना मुश्किल हो सकता है और लगातार ओवर थिंकिंग का शिकार होना पड़ता है। इसमें आपको बूरे सपने भी आ सकते है जिसके कारण आपको सोने में भी डर लग सकता है।

3 आपके बरताव में बदलाव आ सकता है

जैसे-जैसे आप कम सोते हैं, आप अधिक एंग्जाइटी महसूस हो सकती है। चाहे रात में हो या दिन में ये बदतर होती जाती है। नींद की समस्याएं अवसाद और नकारात्मक विचार पैटर्न को भी बदतर बना सकती हैं।

स्लीप एंग्जाइटी के कारण (Causes of sleep anxiety)

1 अनिद्रा

स्लीप एंग्जाइटी आपको अनिद्रा के कारण भी हो सकती है। अनिद्रा एक स्लीप डिस्ऑडर है जो आपको सो जाने या सोए रहने या अच्छी गुणवत्ता वाली नींद लेने में मुश्किल पैदा करता है। अनिद्रा शेड्यूल में बदलाव या नई नौकरी या किसी अलग स्थान पर जाने जैसी बड़ी चीजों से तनाव के कारण हो सकता है। अगर ये लंबे समय तक हो तो ये चिकित्सा स्थितियों या दवाओं जैसे कारकों के कारण हो सकता है।

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स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

अनिद्रा होने से आपको अस्लीप एंग्जाइटी हो सकती है। और जैसे-जैसे अनिद्रा जारी रहती है, आपकी नींद के बारे में आपकी चिंता और भी बढ़ सकती है।

2 स्ट्रेस के कारण स्लीप एंग्जाइटी होना

काम, पर्सनल संबंधों या अन्य जीवन परिस्थितियों से होने वाले स्ट्रेस का उच्च स्तर, नींद को काफी हद तक बाधित कर सकता है। तनाव कोर्टिसोल नामक हार्मोन के स्राव को ट्रिगर करता है, जो शरीर को ‘फाइट और फ्लाइट’ प्रतिक्रिया के लिए तैयार करता है, जो आराम करने और सो जाने की क्षमता में बाधा डाल सकता है।

3 खराब सोने की आदतें

अनियमित स्लीप शेड्यूल, सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अत्यधिक उपयोग और कैफीन या अल्कोहल जैसे उत्तेजक पदार्थों का सेवन शरीर के प्राकृतिक नींद के चक्र को बाधित कर सकता है। ये आदतें एक सुसंगत और स्वस्थ नींद की दिनचर्या स्थापित करना मुश्किल बना सकती हैं। खराब नींद की वजह से नींद आने में, नींद में बने रहने में और गहरी, आरामदायक नींद पाने में कठिनाई हो सकती है।

4 ट्रॉमा और PTSD

पिछले दर्दनाक अनुभव और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी स्थितियां नींद के पैटर्न को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। ट्रॉमा से जुड़े बुरे सपने, फ्लैशबैक और बढ़ी हुई उत्तेजना नींद की संभावना को डरावना बना सकती है।

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अनिद्रा होने से आपको अस्लीप एंग्जाइटी हो सकती है। चित्र : अडॉबी स्टॉक

स्लीप एंग्जाइटी से निपटने के कुछ तरीके (How to deal with sleep anxiety)

  1. हर रात एक ही समय पर सोएं और उठें, यहां तक कि वकेंड पर भी। हमारा शरीर एक लय में काम करना पसंद करता है, लेकिन अपने शरीर की भी सुनें।
  2. सोने से कम से कम 6 घंटे पहले कैफीन का सेवन न करें।
  3. दिन के समय झपकी लेने से बचें, लेकिन अगर आपको झपकी लेनी है, तो 20 या 30 मिनट से ज़्यादा न सोएं।
  4. बाहर थोड़ा व्यायाम करें, लेकिन सोने से 2 घंटे पहले व्यायाम करने से बचें।
  5. सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम आरामदायक, ठंडा और अंधेरा हो, और शाम और दिन के समय अपने बेडरूम में समय बिताने से बचें।
  6. ऐसी दिनचर्या अपनाएं जिसमें आप सोने से पहले कुछ आरामदेह गतिविधियां करें, जैसे किताब पढ़ना या संगीत सुनना।

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लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

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