दिनों दिन बढ़ रहा तनाव का स्तर मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। इससे दिमाग प्रैशराइज़ होने के चलते एक समय में बहुत सी गतिविधियों में उलझा रहता हैं और थकान महसूस करता है। मानसिक दबाव का बढ़ना पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn brain) की समस्या का कारण साबित होता है। सुनने में थोड़ा अटपटा है, मगर बदलते वर्क कल्चर के साथ ये समस्या सामान्य हो रही है। इस मानसिक समस्या से ग्रस्त होने पर स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता ह। जानते हैं पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn brain) किसे कहते हैं और कैसे इस समस्या से बचा जा सकता है।
इस बारे में सर गंगा राम हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती आनंद से बात की। उन्होंने बताया कि जब दिमाग (Brain) एक समय पर बहुत सारे कार्योंं को साथ करने की कोशिश करने लगता है, तो उसे पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn brain) कहा जाता है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों के दिमाग (Brain) में एक ही समय में कई प्रकार के विचार उत्पन्न होने लगते हैं। जिससे वे एक विचार से दूसरे विचार पर जंप करने लगते हैं। ऐसे में दिमाग में एकाग्रता (concentration) दिनों दिन कम होने लगती है और तनाव (stress) के स्तर में बढ़ोतरी हो जाती है।
पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn brain) टर्म की शुरूआत सबसे पहले सन् 2011 में वाशिंगटन युनिवर्सिटी के रिसर्चर डेविड लेवी एक शब्द बिखरे ने की थी। उनके अनुसार विचारों में विविधता, खंडित ध्यान और मन के लिए एक विषय से दूसरे विषय पर पहुंचना उसी प्रकार महसूस होता है, जैसे एक गर्म बर्तन में पॉपकॉर्न कर्नेल का तेजी से पॉप होना।
इस तरह की प्रवृत्ति (Popcorn brain) से ग्रस्त लोगों को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। फोकस की कमी, बढ़ा हुआ तनाव, थकान और एंग्जाइटी (anxiety) का सामना करना पड़ता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार 2019 के एक रिसर्च में पाया गया कि सोशल मीडिया (social media) पर एक्टिव रहने और स्क्रीन टाइम (screen time) बढ़ने से अटैंशन में कमी आने लगती है, जिससे डे टू डे लाइफ की एक्टीविटीज़ में ध्यान लगाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
एक ही समय पर कई चीजों के बारे में विचार करना
याददाश्त का कमज़ोर हो जाना और फोकस करने में तकलीफ का सामना करना
कार्यों को समय पर पूरा न कर पाना और तनाव का सामना करना
स्क्रीन टाइम का बढ़ना और दिन में अधिकतर समय सोशल मीडिया पर यूटिलाइज़ करना
जल्दबाज़ी करना और सभी कार्यों को एक साथ करने की कोशिश करना
मेंटल हेल्थ बूस्ट करने के लिए सोशल मीडिया (social media) से दूरी बनाकर रखें। स्क्रीन टाइम (screen time) का लिमिटेड प्रयोग करने से कार्यक्षमता में सुधार आने लगता है और फोकस बढ़ जाता है। वीकेण्ड पर डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital platform) के इस्तेमाल को कम कर ले। इससे डोपामाइन (Dopamine) लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है, जिससे काफग्नीटिव ओवरलोड से बचा जा सकता है।
दिन की शुरूआत में टू डू लिस्ट तैयार कर लें और अपने दिनभर के समय को उसी तरह से डिवाइड कर लें। इससे सोशल मीडिया इस्तेमाल को कम किया जा सकता है। साथ ही बार बार मन में उठने वाले विचारों की रोकथाम में भी मदद मिलती है। वर्क मैनेजमेंटे स्किल (management skill) को बढ़ाने से कार्यों को समय पर करने में मदद मिलती है।
एक ही समय पर बहुत से कार्यों को करने की इच्छा रखने से मेंटल हेल्थ पर प्रैशन बढ़ जाता है। इससे व्यक्ति किसी भी कार्य को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है और तनाव (stress) का सामना करना पड़ता है इस स्थिति से बचने के लिए एक समय पर एक ही कार्य करें। इससे पॉपकॉर्न ब्रेन (Popcorn brain) की समस्या हल हो जाती है।
खुद को पॉपकॉर्न ब्रेन की समसया से बचाने के लिए दिनभर में कुछ वक्त ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (Breathing exercise) के लिए निकालें। इससे मन को शांति की प्राप्ति होती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे ब्रेन सेल्स एक्टिव रहते है और चीजों को भूलने की समस्या कम होने लगता है।
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