हमारे आसपास कई तरह के लोग मौजूद होते है, जिनका आचरण एक दूसरे से बिल्कुल जुदा होता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हर व्यक्ति खुद को अन्य लोगों की तुलना में कुशल, सहनशील और दयालु मानने लगता है और अन्य लोगों में बेवजह खामियां तलाश करने लगता है। मगर ऐेसी प्रक्रिया तुलनात्मक व्यवहार का कारण साबित होती है, जिससे मन में चितांए और मनमुटाव बढ़ने लगता है। साथ ही अन्य लोगों से जाने अनजाने में दूरियां भी बढ़ जाती हैं। सबसे पहले समझते हैं कि जजमेंटल इंसान (judgmental person) किसे कहते है और किन संकेतों से इस तरह के लोगों की पहचान की जा सकती है।
निर्णायक व्यक्ति ऐसे इंसान को कहा जाता है, जो इस तरह से सोचता, बोलता या व्यवहार करता है जो एक आलोचनात्मक और निंदात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। ऐसे लोग दूसरे व्यक्ति, लोगों के समूह, विचार या स्थिति में कमियाँ ढूँढ़ते हैं। इसका असर जजमेंटल व्यक्ति (judgmental person) पर भी दिखने लगता हैं। वो हर समय तनाव और चिंता से घिरा रहता है।
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि अक्सर अपनी राय को सही मानकर दूसरे में कमियां खोजने वाले लोग जजमेंटल कहलाते हैं। ऐसे लोग किसी अन्य व्यक्ति के विषय में अपनी राय ज़ाहिर करने लगते है। वे मन मुताबिक अन्य व्यक्ति के व्यक्तित्व से लेकर आचरण तक को प्रदर्शित करती है।
ऐसे लोग खुद को समझदार और हर चीज़ के जानकार मानते हैं। वो बिना किसी सवाल के अपनी सलाह खुद देने लगते हैं। उनके अनुसार वे हर चीज़ को बेहतर तरीके से समझते हैं और अपनी सलाह को मानने के लिए अन्य लोगों को बाध्य करते हैं।
जजमेंटल लोगों का व्यवहार जिद्दी होता है और व दूसरों से आगे निकलने की चाह में रहते हैं। ऐसे में अन्य लोगों को खुद से कम आंकने लगते है और अपनी राय को सर्वोपरी मानते हैं। दूसरों की राय को महत्व नहीं देते है और उन्हें अपने जीवन में शामिल भी नहीं करते हैं।
दूसरों से अपनी तुलना करते हुए ऐसे लोग अपने आप को सही और उचित मानने लगते हैं। वे अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए दूसरों की निंदा, झूठ और कमियां खोजने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। इससे व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है।
ऐसे लोग अन्य लोगों पर हावी होने लगते हैं। वे बातचीत के दौरान खुद को सही साबित करने के लिए ऊँचा बोलकर दूसरों की खामियां दर्शाते हैं। इससे आपसी मनमुटाव और तनाव बढ़ने लगता है। साथ ही रिश्तों में टकराव आने लगता है।
किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले व्यक्ति की समस्याओं और परिस्थिति का ज़ायजा लें। इससे चीजों को समझने में मदद मिलती है और व्यक्ति के असल स्वभाव की जानकारी होती है। किसी भी राय को देने में जल्दबाज़ी करने से बचें।
अगर व्यक्ति के व्यवहार में अटपटापन महसूस हो रहा है, तो इसके कई कारण हो सकते है। ऐसे में किवल देखकर या कही सुनी बातों पर विश्वास करने से बचें। सभी पहलुओं को परखकर आगे बढ़ें और जानकारी एकत्रित करने का प्रयास करें।
अपने दिमाग को शांत रखें और जजमेंटल होने से बचें। हर व्यक्ति के गुणों पर फोकस करें और व्यवहार को नकारात्मक होने से बचाएं। इसके लिए योग की मदद लें और दिन की शुरूआत में ध्यान लगाएं और प्रकृति के नज़दीक कुछ वक्त अवश्य बिताएं।
ऐसे लोग जिनके विचार टॉक्सिक हैं, वो अक्सर निगेटीविटी को फैलाने लगते हैं। ऐसे में अपने विचारों की मज़बूती के लिए नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर रखें और आत्म चिंतन अवश्य करें। अपनी कमियों को समझकर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
हर वक्त अपनी प्रतिक्रिया देना अन्य लोगों के समक्ष आलोचना का शिकार बना सकता है। ऐसे में अपने विचारों को ज़ाहिर करने से पहले उन्हें रोज़ाना लिखने का प्रयास करें। इससे चीजों को समझने में मदद मिलती है और व्यक्ति अपनी खामियों को पहचानने लगता है।
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