रिश्तों की बुनियाद प्यार, अपनापन और विश्वास पर टिकी होती है। मगर कई बार इस बात का अंदाज़ा लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है कि जिसे लोग वास्तव में प्यार समझते है, वो प्यार है या कोई डर। हेल्दी और और अनहेल्दी इमोशनल अटैचमेंट (unhealthy emotional attachment) में बेहद बारीक रेखा होती है। कई कारणों से रिलेशनशिप अनहेल्दी होने लगते हैं और भावनात्मक लगाव कम हो जाता है। इसके चलते व्यक्ति खुद को रिश्ते में बंधा हुआ और तनाव से घिरा हुआ पाता है। अपने रिश्ते को हेल्दी और तनावमुक्त बनाए रखने के लिए जरूरी है कि आप अनहेल्दी इमोशनल अटैचमेंट (Signs of unhealthy emotional attachment) के संकेतों को पहचानें।
इस बारे में एनएलपी प्रेक्टीशनर और लाईफ कोच अंजलि त्यागी बताती हैं कि अनहेल्दी इमोशनल अटैचमेंट (unhealthy emotional attachment) उस स्थिति को कहते हैं, जब कोई व्यक्ति अपनी खुशियों और जीवन के हर फैसले के लिए अपने पार्टनर पर पूरी तरह से डिपैंड होने लगता है। इसमें व्यक्ति खुद को इनसिक्योर, जैलेस और डरा हुआ महसूस करने लगता है।
ऐसे रिश्ते में अधिकतर लोग अपने बॉन्ड को मज़बूत बनाने के लिए सेल्फ केयर पर ध्यान न देकर अपने पार्टनर को खुश रखने का प्रयास करते हैं। मगर वो साथ ही साथ तनाव और टेंशन का सामना करते हैं। इससे रिश्ते में टॉक्सीसिटी बढ़ने लगती है।
किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए पार्टनर के साथ बैठकर डिस्कशन करने की जगह ऐसे लोग पार्टनर से किसी भी बात को करने से पहले बहुत बार सोचने लगते है। फिर बातचीत के बाद पार्टनर की कही बातों पर ओवरथिकिंग (over thinking) से मेंटल बर्डन का सामना करना पड़ता है। छोटी छोटी बातों के बारे में ज्यादा सोचने से रिश्तों में बिखराव आने लगता है।
अनहेल्दी रिलेशनशिप (unhealthy relationship) में लोग ईर्ष्या का सामना करने लगते है। पार्टनर से कुछ देर दूर रहने पर भी उनके मन में कई प्रकार के विचार आने लगते है। पार्टनर के प्रति अविश्वास की भावना पैदा होने लगती है। इसके चलते अपने साथ के फोन कॉल्स, मीटिंग्स और बातचीत पर पूरी नज़र बनाए रखते हैं।
पार्टनर के नज़दीक न होने पर इनसिक्योरिटी (insecurity) महसूस होने लगती है। पार्टनर को बार- बार कॉल करना और मिलने की इच्छा ज़ाहिर करना। पार्टनर के साथ न होने पर ऐसे लोगों में कॉफिडेंस की भावना कम होने लगती है और व्यक्ति खुद को कमज़ोर महसूस करता है।
ऐसे अनहेल्दी रिश्ते व्यक्ति के स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ा देती है। इससे व्यक्ति अपने आप को कमज़ोर और इमोशनली वीक समझने लगता है। पार्टनर से छोटी छोटी बातों पर टकराव बढ़ जाता है, जिससे रिश्ते खराब होने लगते हैं। हर चीज़ के लिए पार्टनर पर डिपेंड हो जाना अनहेल्दी रिलेशनशिन का मुख्य कारण साबित होता है।
हर चीज़ के लिए पार्टनर पर डिपेंड रहने की जगह अपने कार्य खुद करना सीखें और फाइनेंशियली डिपेंडेंट न रहें। ब्लेम गेम से बाहर निकलकर एक दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बनें। इससे पार्टनर के व्यवहार में भी बदलाव आने लगेगा औश्र रिश्ते को मज़बूती मिलन जाएगी।
ईर्ष्या और अविश्वास को त्यागकर पार्टनर को थोड़ा स्पेस दें, ताकि वो अपने मन मुताबिक अपने कार्यों को कर पाए। हर बार पार्टनर की जासूसी करना छोड़ दें। इससे रिश्ते में सकारात्मकता बढ़ जाती है। जीवन को स्मूद बनाने के लिए किसी भी कार्य में इनटरफेरेंस से बचें।
किसी भी कार्य की शुरूआत के लिए दोनों लोग आपसी सहमति से आगे बढ़ें। एक दूसरे को सलाह दें और हर कार्य में मज़बूत पिलर की तरह एक दूसरे का साथ देना भी ज़रूरी है। रिश्ते की मज़बूती के लिए र्पाटनर को रिस्पेक्ट दें और रिश्ते की सीमाओं को न भूलें।
जब दो लोग एक दूसरे से इमोशनली अटैच होने लगते हैं, तो बिना कहे एक दूसरे की बात को आसानी से समझ लेते हैं और भावनाओं का ख्याल रखते हैं। साथ ही अनय लोगों के सामने भी पार्टनर का आदर औश्र सम्मान बनाए रखते हैं।
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