बहुत से लोगों में सेल्फ डाउट यानी की आत्म संदेश की भावना आ जाती है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर कोई आपको लंबे समय से क्रिटिसाइज कर रहा है, या आप में गलतियां निकालने की कोशिश कर रहा है, या फिर आप ऐसे लोगों से घिरी हैं, जहां लोग आपकी हर एक्शन पर सवाल करते हैं, तो ऐसे में किसी भी व्यक्ति के मन में सेल्फ क्रिटिसिज्म या सेल्फ डाउट आ सकता है। सेल्फ डाउट किसी भी व्यक्ति को जीवन में बहुत पीछे ले कर चला जाता है, और ऐसे लोग चाहकर भी कुछ बेहतर नहीं कर पाते। अगर आप भी इन्ही में से एक हैं, तो ऐसे में ये बेहद महत्वपूर्ण है, की आप सेल्फ डाउट से डील करना सीखें और लाइफ को अपने पॉइंट ऑफ व्यू से देखना शुरू करें।
सेल्फ डाउट को बेहतर तरीके से समझने और इससे ओवर कम करने के टिप्स को लेकर हेल्थ शॉट्स ने सर गंगा राम हॉस्पिटल की सीनियर कंसलटेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती आनंद से बात की। तो चलिए डॉक्टर से जानते हैं, आखिर किस तरह सेल्फ डाउट से डील करना है (how to overcome self doubt)।
आत्म-संदेह अपने और अपनी क्षमताओं के बारे में आत्मविश्वास की कमी महसूस करना है। यह एक मानसिकता है जो आपको सफल होने और खुद पर विश्वास करने से रोकती है। इस स्थिति में व्यक्ति खुदपर डाउट करना शुरू कर देता है, उन्हे एहसास होता की वे किसी भी काम को पूरा करने में समर्थ नहीं हैं।
सामान्य संकेत जो बताते हैं कि आप अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में आत्म-संदेह से जूझ रही हैं, उनमें शामिल हैं:
1. आप दूसरों से प्रशंसा स्वीकार नहीं कर सकते, और आप स्वयं को श्रेय नहीं दे सकते।
2. आप लगातार किसी एक चीज को लेकर रीएश्योर होने की कोशिश करती रहती हैं।
3. आपका सेल्फ एस्टीम बहुत कम है।
4. आपको ऐसा लगता है कि आप किसी भी कार्य के लिए अच्छे नहीं हैं।
आमतौर पर लोगों में सेल्फ डाउट आने के कई कारण हैं ,पर कुछ कॉमन कारण हैं जो आमतौर पर सेल्फ डाउट का कारण बनते हैं। नार्सिस्टिक पेरेंट्स और पार्टनर, ऐसे लोग केवल अपने डिसीजन को सामने वाले व्यक्ति पर थोप देते हैं। वहीं ऐसे लोग आपको खुद के एक्शन और डिसीजन पर डाउट करने पर मजबूर कर देते हैं। कुछ पास्ट एक्सपीरियंस ऐसे होते हैं, जो आपको सेल्फ डाउट में डाल देते हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो पास्ट में कई बार फेलियर का सामना कर चुके हैं, उन्हे कही न कहीं खुदपर डाउट आ जाता है।
एक्सपर्ट के अनुसार सेल्फ डाउट का सबसे बड़ा कारण है दूसरों से खुदकी तुलना करना। जब हम ऐसा करना शुरू कर देते हैं, तो वहीं से सेल्फ डाउट शुरू हो जाता है। हमें हमेशा अपनी मेहनत पर भरोसा होना चाहिए। आप चाहें तो दूसरों से चीजें सिख सकती हैं, पर उनसे बराबरी करने का प्रयास न करें।
आत्म-संदेह का अर्थ है कि आप स्वयं को रोक रहे हैं। ऐसा गलती करने के डर से उत्पन्न होता है। ऐसे में हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए साथ ही हम अपनी क्षमताओं को कैसे विकसित करते हैं और इसे कैसे सुधारते हैं। अपने आप को आईने में देखें और हर दिन की शुरुआत में तीन सकारात्मक बातें कहें।
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खुदको सपोर्टिव लोगों के आसपास रखें। ऐसे कई लोग होते हैं जो आपको नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब चीजों में से एक है। अपना समय उन लोगों के साथ बिताए जो आपको अच्छा महसूस कराते हैं। जब आप स्वयं को प्रोत्साहित करने के लिए संघर्ष कर रहे हों तो वे इसमें आपको एप्रिशिएट कर सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंयाद रखें जब आप स्कूल या काम पर कुछ करने से डर रहे होंगे, लेकिन वास्तव में वे काम अच्छा हो रहा था? यह उन ठोस उपलब्धियों को प्रतिबिंबित करने में मदद करता है, जहां हमारे लिए कुछ चीजों को करना कठिन हो जाता है। बहुत सारी अचीवमेंट प्रारंभिक अनिश्चितता या संदेह से पैदा होती हैं। खुद को उस समय के बारे में याद दिलाने में मदद करता है, कि चीजें सही हो गई हैं, क्योंकि वही चीज वर्तमान क्षण में भी हो सकती है।
जब विचार मन में आने लगते हैं, तो कभी-कभी उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है क्योंकि हम नकारात्मक हो जाते हैं और हम उनके आदी हो जाते हैं। इम्पोस्टर सिंड्रोम इन नकारात्मक विचारों से पनपता है जो हमें बताते हैं कि हम जिस स्थान पर हैं उसके लायक नहीं हैं, या हम अच्छा काम नहीं कर पाएंगे। अगली बार जब ये विचार बने रहें, तो एक क्षण रुकें और अपने आप से पूछें कि क्या आप सचमुच मानते हैं कि ये सच हैं। विचार करें कि कैसे सकारात्मक सोच आपकी मानसिकता को बदल सकती है और आपको अपनी क्षमताओं पर अधिक विश्वास करने की अनुमति दे सकती है।
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