यह तो हम सभी जानते हैं कि प्रोबायोटिक्स हमारे पाचन तंत्र, खासकर पेट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, लेकिन रिसर्च में पता चला है कि प्रोबायोटिक्स में मौजूद माइक्रोब्स मेंटल हेल्थ को भी बूस्ट करते हैं।
बीएमजे न्यूट्रिशन प्रिवेनशन एंड हेल्थ जर्नल में प्रकाशित स्टडी के अनुसार प्रोबायोटिक्स हमारे मस्तिष्क के लिए हेल्दी होते हैं। चाहे सिर्फ प्रोबायोटिक लें या फिर प्रीबायोटिक्स के साथ लें, दोनों ही तरह से इसमें मौजूद माइक्रोब्स डिप्रेशन को दूर करने में सहायक होते हैं। लेकिन जब बात आती है एंग्जायटी की तो इस पर अभी रिसर्च की जानी बाकी है।
वैसे तो हमारी पूरी बॉडी आपस में कनेक्टेड है। सभी ऑर्गन्स आखिर में दिमाग से ही कनेक्ट होते हैं, इसीलिए जो हम खाते हैं उसका हमारी सेहत पर ही नहीं हमारे मूड पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। वे फ़ूड आइटम्स जिनमें गुड बैक्टीरिया मौजूद होते हैं उन्हें प्रोबायोटिक्स कह जाता है। जो फ़ूड आइटम्स इन हेल्पफुल बैक्टीरिया को ग्रो करने में मदद करते हैं उन्हें प्रीबायोटिक्स कहते हैं।
हमारे पेट और दिमाग के बीच एक टू-वे सम्बंध होता है, जिसे गट-ब्रेन एक्सिस कहते हैं। इसलिए गट में मौजूद बैक्टीरिया का दिमाग पर क्या असर पड़ता है, यह वैज्ञानिकों की जिज्ञासा का विषय रहा है।
2003 से 2019 के बीच ऐसी कई रिसर्च और स्टडीज हुईं जिसमें प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक्स का डिप्रेशन और एंग्जायटी पर प्रभाव को पढ़ा और समझा गया।
जर्नल में इस दिशा में किये गए 71 शोध और स्टडीज का रिव्यु दिया गया था, और इन 71 में से सात रिसर्च सभी क्राइटेरिया पर खरी उतरी हैं। बात करें रिज़ल्ट्स की, तो इन सात रिसर्च में कम से कम एक प्रोबायोटिक स्ट्रेन समान पाया गया, वहीं चार में कई स्ट्रेन कारगर पाए गए। इस रिसर्च में मुख्यतः 12 तरह के बैक्टीरिया ऐसे पाए गए जो दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, उनमें से लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस, लैक्टोबैसिलस कैसी और बिफडोबैक्टीरियम बिफ़ीडम नामक स्ट्रेन प्रमुख थे।
इस स्टडी से परिणाम यह निकाला गया कि सिर्फ प्रोबायोटिक और प्री-प्रोबायोटिक का कॉम्बिनेशन दोनों ही डिप्रेशन के सिम्पटम्स कम करते हैं। लेकिन यह रिजल्ट्स पुख़्ता नहीं थे क्योंकि इस स्टडी को काफी छोटे सैम्पल के साथ टेस्ट किया गया था।
आपके पेट के लिए प्रोबायोटिक्स बहुत लाभदायक हैं, इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है। पेट की हर समस्या को दूर करता है प्रोबायोटिक बैक्टीरिया।
मगर डिप्रेशन और एंग्जायटी हर व्यक्ति को अलग रूप से प्रभावित करती है, इसलिए सभी के ट्रीटमेंट भी अलग होते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर शोधकर्ता यह कहते हैं, “डिप्रेशन और एंग्जायटी के सभी वेरिएशन को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि प्रोबायोटिक्स वाइड रेंज के मेन्टल प्रोब्लम्स को सॉल्व करने में कारगर है। प्रोबायोटिक्स डिप्रेशन के सिम्पटम्स को कम कर के ट्रीटमेंट में सहायक होते हैं। सिर्फ प्रोबायोटिक्स या प्रीबायोटिक्स के सेवन से मेन्टल प्रोब्लम्स दूर नहीं हो सकती, लेकिन यह आपके ट्रीटमेंट को ज्यादा प्रभावी बनाता है।”
अगर आप इनिशियल स्टेज ऑफ डिप्रेशन में हैं तो डेली प्रोबायोटिक्स का सेवन आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।